CBSE : सीबीएसई 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा की कॉपी जांच में सामने आ रही यह चिंताजनक स्थिति
बहुत अच्छे की श्रेणी में बच्चे घट गए हैं। सीबीएसई बोर्ड और स्कूलों की परीक्षा की कॉपी जांच में यह चिंताजनक स्थिति सामने आ रही है। सहोदय रिपोर्ट अनुसार पहले 50% बच्चे बहुत अच्छे की श्रेणी में होते थे।
बहुत अच्छे की श्रेणी में बच्चे घट गए हैं। सीबीएसई 10वीं-12वीं बोर्ड और स्कूलों की वार्षिक परीक्षा की कॉपी जांच में यह चिंताजनक स्थिति सामने आ रही है। सीबीएसई स्कूल संगठन सहोदय की रिपोर्ट के अनुसार पहले 50% बच्चे बहुत अच्छे की श्रेणी में होते थे। लेकिन, अब यह संख्या 20-30% पर सिमट गई है। वार्षिक परीक्षा की रिपोर्ट के अनुसार, 60-70% बच्चों का स्तर कमजोर पाया गया है। कॉपियों की जांच में पाया गया है कि बच्चों ने 100-150 शब्द वाले दीर्घउत्तरीय सवालों के जवाब 50-60 शब्दों में ही लिखे हैं। यही नहीं, काफी संख्या में बच्चों ने बोर्ड व वार्षिक परीक्षा में सब्जेक्टिव सवाल छोड़ ही दिए हैं। वार्षिक परीक्षा की जांची गई कॉपियों के अनुसार भाषाई विकास में ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे शहरी से आगे हैं। सहोदय के सचिव सतीश कुमार झा ने बताया कि वार्षिक परीक्षा की कॉपियों की जांच में देखा गया है कि 60-65 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने केस बेस्ट या सब्जेक्टिव सवालों का जवाब या तो दिया ही नहीं है या 50-60 शब्द में जवाब निपटा दिया है।
मध्यम श्रेणी वाले बच्चे नहीं कर रहे कोशिश :
इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल के अध्यक्ष सुमन कुमार कहते हैं कि मध्यम श्रेणी वाले बच्चे जो पहले 30-35 फीसदी होते थे, वे अब सवालों को हल करने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं। ऐसे में यह आंकड़ा घटता जा रहा है। वार्षिक परीक्षा की कॉपियों की जांच में यह सामने आया है कि बच्चे सवाल छोड़ दे रहे हैं।
10वीं और 12वीं बोर्ड की कॉपियों की जांच में लगे कई परीक्षकों ने बताया कि अंग्रेजी की कॉपी जांच के दौरान यह देखा गया कि बच्चों ने 40 से 60 शब्द में ही जवाब लिखकर छोड़ दिया है। वहीं, सहोदय के सचिव का कहना है कि भाषाई विकास ग्रामीण क्षेत्र में अधिक है और शहरी क्षेत्र में कम। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल कम करते हैं।
सीबीएसई
- बोर्ड व वार्षिक परीक्षा की कॉपी जांच में सामने आ रही चिंताजनक स्थिति
-पहले 50% बच्चे होते थे बहुत अच्छे की श्रेणी में, अब 30% पर ही सिमटे
-60-70% का स्तर कमजोर, 100-150 की जगह 50-60 शब्दों में लिखा जवाब
-परीक्षा में बच्चों ने सब्जेक्टिव प्रश्न छोड़े, भाषाई विकास में गांवों के बच्चे आगे
सवाल हल करने की कोशिश नहीं कर रहे बच्चे :
केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य संजीव कुमार सिन्हा कहते हैं कि बच्चे सवालों को हल करने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं। कोविड में सबसे अधिक असर इस बैच के बच्चों पर ही पड़ा था। क्योंकि इन बच्चों ने 10वीं की परीक्षा नहीं दी और इस बार 12वीं बोर्ड दे रहे हैं। कॉपी जांच के साथ ही बच्चों की परीक्षा में स्तर इसे पता चल रहा है कि वे प्रश्नपत्र कैंपस में ही फाड़ दे रहे हैं। सही से सवालों के जवाब पहले 80 फीसदी बच्चे देते थे, लेकिन अभी 35-40 फीसदी ही दे रहे हैं।
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