CBSE: प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर 5000 रुपए तक वसूल रहे स्कूल
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा नियम तो बनाये जाते हैं, लेकिन स्कूल वाले उन्हें तोड़ने से बाज नहीं आते हैं। बोर्ड ने स्कूलों को आगाह किया था कि प्रायोगिक परीक्षा के लिए किसी छात्र से...
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा नियम तो बनाये जाते हैं, लेकिन स्कूल वाले उन्हें तोड़ने से बाज नहीं आते हैं। बोर्ड ने स्कूलों को आगाह किया था कि प्रायोगिक परीक्षा के लिए किसी छात्र से शुल्क नहीं लिया जायेगा। लेकिन राजधानी समेत प्रदेशभर के अधिकतर स्कूल प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर पैसे वसूल रहे हैं।
इतना ही नहीं, 10वीं और 12वीं के इंटरनल असेसमेंट के लिए भी छात्रों से पैसे देने को कहा जा रहा है। इंटरनल असेसमेंट के नाम पर जहां एक हजार से 15 सौ रुपये लिये जा रहे हैं, वहीं 12वीं की प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर पांच हजार तक रुपए लिये जा रहे हैं। स्कूलों के इस मनमाने पैसे वसूलने की शिकायत अब सीबीएसई से की गई है। कई छात्रों ने सीबीएसई को पत्र लिख कर इसकी जानकारी दी है।
पत्र में छात्रों ने बताया है कि स्कूल इंटरनल असेसमेंट और प्रायोगिक परीक्षा के पहले पैसे ले रहे हैं। छात्रों की शिकायत के बाद बोर्ड ने कई स्कूलों को नोटिस भी भेजा है। बोर्ड सूत्रों की मानें तो छात्रों द्वारा शिकायत आने के बाद उसकी जांच की जा रही है। जांच में कई स्कूल पकड़ में आये हैं। बोर्ड के पास अब तक सौ से ज्यादा स्कूलों के खिलाफ शिकायतें आ चुकी हैं। अब बोर्ड स्कूल की जांच कर रहा है। जिनके खिलाफ शिकायत सही पायी जा रही है तो ऐसे स्कूलों को नोटिस भी दिया गया है। बोर्ड सूत्रों की मानें तो अभी तक बिहार के दस स्कूलों को नोटिस दिया जा चुका है। शिकायत में छात्रों ने अंक देने के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप भी स्कूल पर लगाया है।
परीक्षा फॉर्म के साथ ही ले लिया जाता है शुल्क
ज्ञात हो कि सीबीएसई स्कूलों में प्रायोगिक परीक्षा और इंटरनल असेसमेंट स्कूल में ही होता है। प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर परीक्षा फॉर्म भरते समय शुल्क ले लिया जाता है। ऐसे में अब दुबारा स्कूल पैसे नहीं ले सकता है। पैसे लेने के बाद जब अभिभावक द्वारा रसीद मांगी जा रही है तो रसीद नहीं दी जा रही।
सीबीएसई ने क्या कहा?
सीबीएसई परीक्षा नियंत्रक, डॉ. संयम भारद्वाज ने मामले पर कहा कि प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा सकता है। क्योंकि प्रायोगिक परीक्षा इंटरनल होता है। इसे हर स्कूल को अपने स्तर पर करना है। परीक्षा का सारा मैटेरियल बोर्ड उपलब्ध करवाता है।
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