सीबीएसई 12वीं मार्क्स फॉर्मूला : खुले नंबर नहीं दे सकेंगे स्कूल, बोर्ड ने लगाईं ये बंदिशें, पढ़ें ये रूल
cbse class 12 marking scheme 2021 : हर स्कूल चाहता है कि उसका बोर्ड रिजल्ट अच्छा आए। और अब जब इस साल बोर्ड ने स्कूलों को अपने 12वीं कक्षा के छात्रों को खुद मार्क्स देने का अधिकार दिया है तो बहुत से...
cbse class 12 marking scheme 2021 : हर स्कूल चाहता है कि उसका बोर्ड रिजल्ट अच्छा आए। और अब जब इस साल बोर्ड ने स्कूलों को अपने 12वीं कक्षा के छात्रों को खुद मार्क्स देने का अधिकार दिया है तो बहुत से लोग ऐसा सोच रहे हैं कि स्टूडेंट्स को जमकर नंबर मिलेंगे। कइयों का कहना है स्कूल इंटरनल असेसमेंट और मिड टर्म/प्री बोर्ड में स्टूडेंट्स के बढ़ा चढ़ाकर नंबर पेश करेंगे। कमजोर छात्रों के भी अच्छे नंबर दिखाए जाएंगे। लेकिन असल में सीबीएसई मार्किंग पॉलिसी के रूल की वजह से स्कूल स्टूडेंट्स को दिल खोलकर नंबर नहीं बांट सकेंगे। सीबीएसई ने रेफरेंस ईयर रूल से स्कूलों पर कई बंदिशें लगा दीं हैं।
समझें क्या है रेफरेंस ईयर
स्कूल पिछले तीन सालों के रिजल्ट (2017-2018, 2018-2019, 2019-2020) में से जो उसका बेस्ट रिजल्ट, उसे रेफरेंस ईयर चुनेगा। जैसे अगर किसी स्कूल का 2018-2019 का रिजल्ट तीन सालों में बेस्ट रहा था, तो वह 2018-2019 ईयर को अपना रेफरेंस ईयर चुनेगा। ईयर 2018-2019 उसका रेफरेंस ईयर हो जाएगा।
नियम यह है कि रेफरेंस ईयर में किसी विषय में जो औसत अंक होंगे, वर्तमान में उस विषय के औसत अंक उसे 5 अंक ज्यादा या कम हो सकते हैं। मान लीजिए अगर रेफरेंस ईयर 2018-2019 में उस स्कूल के छात्रों का मैथ्स के औसत अंक (एवरेज मार्क्स) 62 हैं तो इस वर्ष स्कूल का औसत 57 से 67 मार्क्स के बीच होना चाहिए। यानी स्कूल के मैथ्स में अधिकतम औसत मार्क्स 67 होने चाहिए, उससे ज्यादा नहीं।
ऊपर वाला रूल विषय के लिए है। इसके अलावा सीबीएसई का 2 मार्क्स का रूल एग्रीगेट मार्क्स पर बंदिशें लगाता है। किसी स्कूल के छात्रों के एग्रीगेट मार्क्स का औसत रेफरेंस ईयर में जितना रहा है, इस वर्ष ज्यादा से ज्यादा 2 फीसदी अधिक हो सकता है। यानी मान लीजिए किसी स्कूल का रेफरेंस ईयर में वहां के छात्रों के एग्रीगेट मार्क्स का औसत 66 फीसदी रहा था, तो इस वर्ष उस स्कूल के छात्रों के एग्रीगेट मार्क्स का औसत ज्यादा से ज्यादा 68 होना चाहिए। 68 से ज्यादा नहीं।
परिणाम समिति में होंगे अन्य स्कूलों के टीचर भी
प्रत्येक स्कूल अपने यहां परीक्षा परिणाम समिति बनाएगा जिसमें 5 सदस्य होंगे। इसमें विद्यालय के प्राचार्य अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा कक्षा-बारहवीं को पढ़ाने वाले स्कूल के वरिष्ठतम 2 शिक्षक होंगे। 2 शिक्षक कक्षा-बारहवीं को पढ़ाने वाले पड़ोसी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक होगें। बाहर के शिक्षक होने के चलते बढ़ाचढ़ाकर नंबर देने की संभावना बहुत कम होगी।
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