CBSE 10th Result 2021 : सीबीएसई के 10वीं रिजल्ट फॉर्मूले पर भड़के कई स्कूल, उठाये ये सवाल
राष्ट्रीय राजधानी के कई स्कूलों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से जारी 10वीं कक्षा के वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति पर चिंता जताई है। सीबीएसई 10वीं परीक्षा रद्द करने के फैसले को...
राष्ट्रीय राजधानी के कई स्कूलों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से जारी 10वीं कक्षा के वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति पर चिंता जताई है। सीबीएसई 10वीं परीक्षा रद्द करने के फैसले को इन स्कूलों ने अनुचित करार दिया है। दिल्ली के 400 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों की एक संस्था ने सीबीएसई से मार्किंग स्कीम की समीक्षा करने का अनुरोध किया है।
1 मई को सीबीएसई ने 10वीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक स्पेशल मार्किंग स्कीम जारी की थी जिसमें कहा गया था कि छात्रों का रिजल्ट स्कूलों द्वारा आयोजित यूनिट टेस्ट, छमाही परीक्षा और प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर निकाला जाएगा। हालांकि बोर्ड ने यह भी कहा है कि हर स्कूल 'अत्यधिक मार्क्स देने' पर नजर रखेगा। स्कूल पिछले तीन अकादमिक वर्षों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में अपने बेस्ट 10वीं रिजल्ट के अनुरूप ही मार्क्स देगा।
चयनित वर्ष स्कूलों का रेफरेंस ईयर होगा। 2021 के लिए स्कूलों द्वारा आवंटित सब्जेक्ट वाइज मार्क्स + या - 2 की रेंज के भीतर ही होंगे। बोर्ड ने यह भी कहा है कि 2021 में एक स्कूल द्वारा प्राप्त औसत मार्क्स रेफरेंस ईयर में प्राप्त औसत मार्क्स से अधिक नहीं होने चाहिए।
दिल्ली के गैर-सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की एक्शन कमिटी ने 13 मई को सीबीएसई को लिखे पत्र में कहा है कि स्कूलों के पिछले तीन वर्षों के रिजल्ट के आधार पर मार्किंग स्कीम सेट किया जाना अनुचित और अव्यावहारिक है क्योंकि अलग अलग स्कूल के हर बैच में छात्रों की संख्या अलग अलग होती है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष एसके भट्टाचार्य ने कहा, 'परीक्षाएं जिस माहौल में कराई गईं, वो हालात काफी अलग हैं। प्रस्तावित मार्क्स कैलकुलेशन फॉर्मूले से खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के कुछ प्रतिभाशाली छात्रों के साथ अन्याय होगा। इसी तरह इससे अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के कमजोर छात्रों को फायदा होगा। यह स्कूलों के भीतर भी खराब व्यवस्था होगा।'
कई सरकारी स्कूलों के अधिकारियों ने भी सीबीएसई 10वीं रिजल्ट फॉर्मूले पर आपत्ति जाहिर की है। पश्चिमी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बोर्ड ने वर्ष 2017-18 को उनका रेफरेंस ईयर माना है। तब हमारा रिजल्ट 65 फीसदी था और हमारे स्कूल में साइंस में 126 छात्रों ने 26 फीसदी से कम मार्क्स हासिल किए थे। हालांकि इस वर्ष प्री बोर्ड परीक्षा में सिर्फ 38 छात्रों के मार्क्स 26 फीसदी से कम है। इसी तरह की स्थिति अन्य तीन विषयों में भी है। हम ऐसे कैसे इतने छात्रों के मार्क्स कम कर सकते हैं और तब जब वह अपने यूनिट टेस्ट व प्रीबोर्ड के मार्क्स जानते हैं।
सीबीएसई अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने रिजल्ट निकालने के लिए सबसे प्रैक्टिकल फॉर्मूला चुना है। अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास कुछ स्कूलों से ऐसी रिपोर्ट्स थीं कि स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन एग्जाम में काफी अधिक अंक हासिल किेए जबकि प्री-बोर्ड ऑफलाइन एग्जाम में उनका स्कोर कम रहा। इस समस्या का क्या इलाज हो सकता है? सीबीएसई ने स्कूलों को मार्किंग का सही फॉर्मूला सुझाया है।'
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