बिहार : सीबीएसई 10वीं में 1.66 लाख विद्यार्थी पास, 11वीं में सीटें 40 हजार
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से हर साल हजारों विद्यार्थी दसवीं पास करते हैं। सीटें कम रहने के कारण 11वीं में इन सभी का दाखिला नहीं हो पाता है। अपने ही स्कूल इन्हें जगह नहीं मिल पाती है।...
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से हर साल हजारों विद्यार्थी दसवीं पास करते हैं। सीटें कम रहने के कारण 11वीं में इन सभी का दाखिला नहीं हो पाता है। अपने ही स्कूल इन्हें जगह नहीं मिल पाती है। मजबूरन इन्हें दूसरे स्कूल ही नहीं दूसरे बोर्ड की तरफ रुख करना होता है। वर्ष 2021 की दसवीं रिजल्ट की बात करें तो बिहार से कुल एक लाख 66 हजार 12 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इन छात्रों को 11वीं में नामांकन लेना है। पूरे बिहार में सीबीएसई के प्लस टू स्कूलों में 11वीं नामांकन के लिए कुल 40 हजार सीटें उपलब्ध हैं। ऐसे में 40 हजार सीटों पर एक लाख 66 हजार के बीच नामांकन की मारामारी होगी।
इसके अलावा प्लस टू स्तर पर सीबीएसई स्कूलों की मांग बिहार बोर्ड और आईसीएसई के छात्रों के बीच भी अधिक होती है। बिहार बोर्ड से अच्छे अंक प्राप्त छात्र सीबीएसई स्कूलों में दाखिला लेते हैं। वहीं, आईसीएसई से दसवीं करने के बाद छात्र अच्छे अंक लाकर सीबीएसई स्कूल में दाखिला लेकर प्लस टू करते हैं। इससे भी सीबीएसई स्कूलों में सीटें जल्दी भर जाती हैं। ऐसे में सीबीएसई के ही छात्रों को अपने स्कूल में दाखिला के लिए जद्दोजहद करनी होती है।
पूरे बिहार में 1101 में 700 में प्लस टू
सीबीएसई के पटना जोन के बिहार की बात करें तो पूरे बिहार में 1101 मान्यता प्राप्त सीबीएसई स्कूल हैं। इनमें सात सौ स्कूलों में ही प्लस टू की पढ़ाई होती है। इन सात सौ स्कूलों में कुछ ही स्कूल हैं, जिन्हें 11वीं में तीन सेक्शन से अधिक रखने की मान्यता है। पटना जिले की बात करें तो जिले भर में दो सौ स्कूल में एक सौ स्कूल में ही प्लस टू की पढ़ाई होती है। जबकि पटना जिले से तीस हजार परीक्षार्थी दसवीं बोर्ड में शामिल हुए थे।
ज्यादातर स्कूल 11वीं में सेक्शन कर देते कम
हर साल छात्रों की संख्या बढ़ रही है लेकिन स्कूलों में 11वीं में सेक्शन नहीं बढ़ा है। इतना ही नहीं स्कूल में मूलभूत संरचना की कमी होने के कारण दसवीं से 11वीं में सेक्शन भी कम कर देते हैं। ऐसे में कई स्कूल अपने ही स्कूल से दसवीं पास बच्चों को नामांकन नहीं ले पाते हैं। बस उन्हीं छात्रों का नामांकन हो पाता है, जिनके अंक ज्यादा होते हैं। 80 फीसदी से कम अंक लाने वाले छात्रों को बाहर कर दिया जाता है।
अधिक अंक लाकर आईसीएसई के छात्र लेते हैं दाखिला
दसवीं तक तो सीबीएसई में केवल वही बच्चे नामांकित होते हैं जो कक्षा एक से नामांकन लिये होते हैं। 11वीं में सीबीएसई स्कूल में बिहार बोर्ड और आईसीएसई के भी छात्र दाखिला लेते हैं। ऐसे में सीबीएसई स्कूल के ऊपर 11वीं में दाखिला के लिए लंबी लाइन होती है। इससे सभी छात्रों का नामांकन संभव नहीं हो पाता है।
ब्रदर सुधाकर (प्राचार्य, लोयेला हाई स्कूल) ने कहा, प्लस टू में प्रैक्टिकल को ध्यान में रखकर नामांकन लिया जाता है। इतने ही छात्रों का नामांकन होता है जिससे प्रैक्टिकल वर्क आसानी से किया जा सके। जितने बच्चे आते हैं, उतने का नामांकन नहीं ले पाते हैं।
वीएस ओझा (प्राचार्य, डीएवी बीएसईबी) ने कहा, 11वीं के लिए बोर्ड ने जितने सेक्शन की मान्यता दी है, उसीमें हमें नामांकन लेना है। हर साल छात्रों की संख्या बढ़ती जाती है। ऐसे में हम मजबूर होते हैं क्योंकि जितनी सीटें हैं, उससे पूरा नामांकन लेना संभव नहीं हो पाता है।
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