BTech Admission: यहां CUET UG के जरिए होने वाला BTech Admission भी लटका
BTech in MMMUT: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की सुस्ती दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पर भी भारी पड़ रही है। इससे इन दोनों ही संस्थानों में प्रवे
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की सुस्ती दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पर भी भारी पड़ रही है। इससे इन दोनों ही संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। एमएमएमयूटी में सीयूईटी-यूजी का परीक्षा परिणाम घोषित नहीं होने के कारण बीबीए, बीफार्म और बीटेक लेटरल इंट्री जैसे विषयों में आवेदन की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। डीडीयू में सीयूईटी रिजल्ट के चक्कर में ही प्रक्रिया की गति धीमी रखी गई।
स्नातक और परास्नातक में प्रवेश के लिए बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की पहली पसंद केंद्रीय विश्वविद्यालय होते हैं। विद्यार्थी प्रवेश के लिए डीडीयू व अन्य विश्वविद्यालयों में भी आवेदन तो करते हैं लेकिन वे उसी सूरत में प्रवेश लेते हैं, जब यह तय हो जाता है कि उन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिलेगा।
एमएमएमयूटी पहले प्रवेश के लिए अपनी परीक्षाएं खुद कराता था लेकिन बाद में उसने सीयूईटी के जरिए एमटेक, एमसीए, एमएससी, बीबीए, बीफार्म, बीटेक व बीफार्म लेटरल इंट्री में प्रवेश लेना शुरू कर दिया।
सीयूईटी पीजी के परिणाम जारी होने के बाद उसमें प्रवेश प्रक्रिया तो शुरू हो गई लेकिन यूजी का रिजल्ट जारी नहीं होने के कारण बीबीए, बीफार्म व बीटेक लेटरल इंट्री के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पाई है। एमएमएमयूटी में बीबीए की 120, बीफार्म की 60 और बीटेक द्वितीय वर्ष की रिक्त करीब 25 सीटों पर प्रवेश लिया जाना है।
डीडीयू में देरी से कॉलेज भी प्रभावित डीडीयू में प्रवेश नहीं मिलने पर छात्र कॉलेजों का रुख करते हैं। डीडीयू में काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण इक्का-दुक्का कॉलेजों में ही प्रवेश लिया जा रहा है। ज्यादातर कॉलेजों में आवेदन की तिथि बार-बार बढ़ाई जा रही है।
डीडीयू में इसलिए प्रक्रिया में देरी डीडीयू में मार्च-अप्रैल में ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। तब जून में सभी प्रवेश परीक्षाएं संपन्न कराकर जुलाई के शुरुआत में काउंसलिंग कंप्लीट कराने की योजना थी। लेकिन सीयूईटी परिणामों में देरी के कारण बार-बार तिथि विस्तारित की गई। इसका कारण यह है कि विवि में प्रवेश लेने के बाद भी सीयूईटी में चयनित होने पर विद्यार्थी डीडीयू छोड़ देते हैं और वह सीटें रिक्त रह जाती हैं।
छात्रों, अभिभावकों की दृष्टि से देखें तो यह पीड़ादायक स्थिति है। जमीनी सच्चाई यह है कि सीयूईटी की केंद्रीयकृत व्यवस्था व्यावहारिक रूप से ठीक नहीं है। भाषाई, सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण वाले देश में यह व्यवस्था नहीं चल सकती। इससे बहुत से कॉलेज बंद हो जाएंगे।
प्रो. चन्द्रभूषण गुप्त ‘अंकुर’, पूर्व विभागाध्यक्ष, इतिहास, डीडीयू
विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के बाद सीयूईटी की मेरिट में आने पर बड़ी संख्या में विद्यार्थी छोड़कर चले जाते हैं। इससे सीटें रिक्त हो जाती हैं। इससे डीडीयू व छात्रों दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है। विद्यार्थियों के छोड़कर जाने पर बाद में भी प्रवेश के लिए विंडो खुले तो बेहतर होगा।
प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, केमिस्ट्री, डीडीयू
● एमएमएमयूटी में सीयूईटी यूजी-पीजी से ही ज्यादातर विषयों में लिया जाता है प्रवेश
● सीयूईटी परिणामों के इंतजार में डीडीयू नहीं शुरू कर सका काउंसिलिंग की प्रक्रिया
● एमएमएमयूटी में बीबीए की 120 सीटों पर प्रवेश होना है
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