Hindi Newsकरियर न्यूज़BTech in hindi medium : Preparation to teach engineering in Hindi at IIIT Bhagalpur after NIT Patna

NIT पटना के बाद IIIT भागलपुर में हिंदी में पढ़ाने की तैयारी

एनआईटी पटना के बाद भागलपुर ट्रिपल आईटी में भी सेमेस्टर की पढ़ाई हिंदी में कराने की तैयारी हो रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से निर्देश के बाद इस दिशा में काम शुरू हो गया है। सिलेबस के अनुरूप...

Pankaj Vijay कार्यालय संवाददाता, भागलपुरThu, 23 Sep 2021 07:41 AM
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एनआईटी पटना के बाद भागलपुर ट्रिपल आईटी में भी सेमेस्टर की पढ़ाई हिंदी में कराने की तैयारी हो रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से निर्देश के बाद इस दिशा में काम शुरू हो गया है। सिलेबस के अनुरूप कोर्स मैटेरियल का प्रारूप तैयार किया जाएगा। चार साल के कोर्स में किसी एक साल की पढ़ाई हिंदी में होगी। हालांकि परीक्षा किस भाषा में ली जाएगी, इस पर कोई निर्देश नहीं आया है।  

प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ. गौरव कुमार ने कहा कि मंत्रालय से मिले पत्र के आधार पर सेमेस्टर का चयन किया जा रहा है। सेमेस्टर के चयन के बाद कोर्स मैटेरियल तैयार होगा। अब तक अंग्रेजी में ही पढ़ाई होती है तो कोर्स मैटेरियल भी उसी तरह बनाया जा रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई में आसानी से अंग्रेजी माध्यम में छात्र पढ़ रहे हैं।

विदेशी भाषा के साथ-साथ हिंदी पर भी जोर
निदेशक प्रो. अरविंद चौबे ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय से पत्र आया है। इस पर शिक्षकों के साथ बुधवार को बैठक की गयी। हिंदी में पढ़ाना और समझाना दोनों ही चुनौती वाला काम है। उम्मीद है कि यहां के शिक्षक इस दिशा में बेहतर काम करेंगे। छात्रों को भी चाहिए कि वे हिंदी को अच्छी तरह से समझें और उसे अपने पठन-पाठन के कार्य में शामिल करें। छात्रों को विदेशी भाषा के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी पर समान रूप से पकड़ होनी चाहिए। इससे उनका राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्लेसमेंट में मदद मिलेगी।

हिंदी में शब्दकोश को समझाना चुनौती
ट्रिपल आईटी के शिक्षक और छात्रों ने बताया कि हिंदी में अगर पढ़ाई होती है तो उसका शब्दकोश काफी महत्वपूर्ण होगा। छात्रों ने कहा कि तकनीक की पढ़ाई में कई बिंदुओं पर अंग्रेजी का शब्दकोश ही चलता रहा है। ऐसे में अगर हिंदी में पढ़ाई होती है तो पढ़ना और पढ़ाना दोनों ही चुनौती भरा काम होगा। शिक्षक के लिए हिंदी में मैटेरियल तैयार करना और फिर उसे छात्रों को बेहतर तरीके से समझाने में परेशानी होगी। क्योंकि अधिकांश शिक्षक और छात्र अंग्रेजी में ही पढ़कर आए हैं और अब तक पढ़-पढ़ा रहे हैं। 

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