BRABU : बीएचएमएस रिजल्ट घोटाला में बीआरएबीयू का तत्कालीन परीक्षा सहायक गिरफ्तार
होमियोपैथिक चिकित्सा परीक्षा (बीएचएमएस) के रिजल्ट फर्जीवाड़ा में सात साल बाद विश्वविद्यालय थाने की पुलिस ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के तत्कालीन सहायक अमरेश कुमार को गिरफ्तार किया...
होमियोपैथिक चिकित्सा परीक्षा (बीएचएमएस) के रिजल्ट फर्जीवाड़ा में सात साल बाद विश्वविद्यालय थाने की पुलिस ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के तत्कालीन सहायक अमरेश कुमार को गिरफ्तार किया है। रिटायर होने के बाद अमरेश कुमार अभी विश्वविद्यालय की एकाउंट शाखा के हेड बने हुए थे। नगर डीएसपी रामनाथ पासवान ने समीक्षा के बाद कांड के आठों आरोपितों को गिरफ्तार करने का निर्देश एक सप्ताह पहले जारी किया था। उसी आधार पर विश्वविद्यालय थाने के प्रभारी थानेदार ने अमरेश कुमार को गिरफ्तार किया है। कटरा थाना के गंगेया गांव निवासी अमरेश का विश्वविद्यालय के पास भी आवास है। सात अन्य आरोपितों पर भी पुलिस कार्रवाई में जुटी है।
वर्ष 2006 में बीएचएमएस परीक्षा के पार्ट एक से चार तक की कॉपियों की जांच इलाहाबाद स्थित लालबहादुर शास्त्री महाविद्यालय में कराई गई थी। कॉपी जांच के बाद इलाहाबाद से मार्क्सफाइल व कॉपियां भेजी गई थी। इसी आधार पर रिजल्टशीट तैयार करने के लिए संस्कृत विभाग के प्रो. मनोज कुमार और प्रो. बीबी ठाकुर को टेबुलेटर बनाया गया था। दोनों ने प्रारंभिक स्तर पर पाया कि इलाहाबाद से आयी मार्क्स फाइल के लिफाफे का सील टूटा हुआ है। मार्क्स फाइल में नंबरों में टेपरिंग कर उसे बढ़ाया गया है। तब दोनों टेबुलेटरों ने रिजल्टशीट तैयार करने से इंकार कर दिया। दोनों ने पूरी वस्तुस्थिति से तत्कालीन कुलपति अशेश्वर प्रसाद यादव को पत्र भेजकर अवगत कराया। कुलपति की अनुशंसा पर कुलाधिपति ने मामले की जांच का आदेश दिया था। जांच में पाया गया कि मार्क्स फाइल पर टेंपरिंग कर छात्र का मार्क्स बढ़ा दिया गया है। इस तरह 302 छात्रों की मार्क्स फाइल में टेंपरिंग पायी गई।
अंक बढ़ाने के लिए हुआ था करोड़ों का खेल :
जांच कमेटी की रिपोर्ट पर तत्कालीन रजिस्ट्रार अशोक कुमार श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय थाने में 21 अप्रैल 2007 को एफआईआर दर्ज करायी। पुलिस जांच में सामने आया कि छात्रों को पास कराने के लिए करोड़ों रुपये की वसूली कर मार्क्स फाइल में टेंपरिंग की गई थी। कुछ छात्रों ने गुप्त रूप से पुलिस को पत्र भेजकर यह भी बताया था कि उनसे दो लाख रुपये लिए गए थे। इस तरह पुलिस जांच में विश्वविद्यालय के आठ लोगों की रिजल्ट फर्जीवाड़ा में संलिप्तता पायी गई। उन्हें गिरफ्तार कर चार्जशीट दायर करने का आदेश जारी किया गया है। गिरफ्तारी नहीं होने पर आरोपितों की कुर्की होगी है।
रिजल्ट फर्जीवाड़ा में आरोपित:
विश्वविद्यालय के तत्कालीन सहायक सूचना पदाधिकारी नरेश कुमार, मुकुंद सिंह, तत्कालीन परीक्षा सहायक अमरेश कुमार, तत्कालीन टंकक प्रेम कुमार झा, चंद्रकांत प्रसाद, देवदत्त कामत, ललित कुमार, तत्कालीन परीक्षा ओएसडी आनंद स्वरूप सिंह।
एसएसपी जयंतकांत ने कहा, 'बीएचएमएस रिजल्ट फर्जीवाड़ा कांड में आठ आरोपितों को दोषी पाया गया है। इनमें से अबतक फरार आरोपितों की गिरफ्तारी अथवा कुर्की और जमानत ले चुके आरोपितों पर चार्जशीट दायर करने का आदेश जारी किया गया है। रिजल्ट फर्जीवाड़ा में 302 छात्रों की मार्क्स फाइल में टेंपरिंग थी। उन सभी को चिह्नित कर आरोपित मानते हुए कार्रवाई की जायेगी। सभी छात्रों का विश्वविद्यालय से ब्योरा लिया जायेगा।'
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