Hindi Newsकरियर न्यूज़BPSSC Bihar Police SI Recruitment: there pregnant women went to supreme court for their rights

बिहार पुलिस दारोगा भर्ती : गर्भवती होने के कारण फिजिकल टेस्ट नहीं दे सकी थी ये महिलाएं, अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी रही जंग

बिहार में दारोगा बनने का सपना संजोए 63 बेटियों को अभी और इंतजार करना होगा। दरअसल ये वो बेटियां हैं, जो गर्भवती होने के कारण फिजिकल टेस्ट में शामिल नहीं हो पाई थीं। इसके अलावा करीब आठ ऐसी अभ्यर्थी थे,...

Pankaj Vijay स्मार्ट रिपोर्टर, पटनाSat, 18 Jan 2020 01:15 PM
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बिहार में दारोगा बनने का सपना संजोए 63 बेटियों को अभी और इंतजार करना होगा। दरअसल ये वो बेटियां हैं, जो गर्भवती होने के कारण फिजिकल टेस्ट में शामिल नहीं हो पाई थीं। इसके अलावा करीब आठ ऐसी अभ्यर्थी थे, जिनके पैर में फ्रैक्चर, पीलिया और डेंगू भी था। जब बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग से कोई राहत नहीं मिली तो एक गर्भवती अभ्यर्थी ने कोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला चला। पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इनके पक्ष में फैसला भी दिया था। इससे इन बेटियों के चेहरे खिल उठे थे। उम्मीद जगी थी कि प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। परंतु यह राह आसान नहीं है। आयोग ने रिव्यू पीटीशन फाइल किया है। जाहिर है, अभी अभ्यर्थियों को और इंतजार करना होगा।

फिजिकल टेस्ट देना नहीं था आसान
वर्ष 2018 में 14 से 30 सितंबर तक सफल अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट हुआ था। पैर में फ्रैक्चर, पीलिया, डेंगू से पीड़ित और गर्भवती अभ्यर्थियों के लिए फिजिकल टेस्ट देना मुमकिन नहीं था। ऐसे में इन अभ्यर्थियों ने फिजिकल टेस्ट की अलग से तारीख घोषित करने की मांग की थी। परंतु आयोग ने नियमों का हवाला देते हुए इंकार कर दिया था। इससे अभ्यर्थियों में निराशा हुई। प्रीलिम्स टेस्ट (पीटी) और मेंस (मुख्य परीक्षा) पास करने के बाद फिजिकल टेस्ट में शामिल नहीं होने का मलाल इन अभ्यर्थियों को था। इनमें से बेऊर निवासी अभ्यर्थी खुश्बू शर्मा के पिता सतेंद्र शर्मा ने हिम्मत जुटाई। उन्होंने पूरी छानबीन की और अधिवक्ताओं से राय ली। इसके बाद हाईकोर्ट की शरण ली थी। उधर, आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया था। कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने खाली पदों को भरने का निर्देश दिया है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया को रोकना ठीक नहीं है।

प्रक्रिया पूरी करने के दिए गए थे आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दारोगा भर्ती की पीटी और मुख्य परीक्षा पास करने वाली और फिजिकल टेस्ट से चूकने वाली अभ्यर्थियों को राहत दी थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल व न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी की खंडपीठ ने खुशबू शर्मा की सिविल अपील को मंजूर करते हुए बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग (भर्ती बोर्ड) को आदेश दिया था कि दो माह में परीक्षा लेकर सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति करें। कोर्ट ने कहा था कि 2018 में दारोगा भर्ती प्रक्रिया में जो अभ्यर्थी सिर्फ गर्भवती होने से फिजिकल से वंचित हुई थीं, उन्हें एक मौका देते हुए उनकी शरीरिक दक्षता परीक्षा ली जाए। जो सफल होंगी, उनका चयन 2018 के सफल उम्मीदवारों की सूची में नीचे अंकित कर उनकी नियुक्ति की जाए। कोर्ट ने यह फैसला इस बिंदु पर तय किया था कि भर्ती बोर्ड ने दारोगा के विज्ञापन में किसी भी परीक्षा का कार्यक्रम तय नहीं किया था। ऐसे में कोई भी महिला बच्चे को जन्म देने के अधिकार से वंचित नहीं की जा सकती।

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