BPSSC Bihar Police SI भर्ती : सड़क किनारे और गोलंबर पर बैठ पढ़ाई कर बने दारोगा
नम्रता कुमारी नवादा की रहने वाली है। पटना में रह कर तैयारी कर रही थी। कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। प्रेमचंद रंगशाला गोलंबर के पास बैठकर पढ़ाई करने लगी। एक साल की मेहनत के बाद अब नम्रता कुमारी दारोगा के...
नम्रता कुमारी नवादा की रहने वाली है। पटना में रह कर तैयारी कर रही थी। कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। प्रेमचंद रंगशाला गोलंबर के पास बैठकर पढ़ाई करने लगी। एक साल की मेहनत के बाद अब नम्रता कुमारी दारोगा के लिए चयनित हुई हैं। कुछ ऐसा ही मनीदर्शन कुमार ने भी कर दिखाया है। मनीदर्शन पहली बार में ही दारोगा परीक्षा में सफलता हासिल की है। यह स्थिति कोई इन दोनों छात्र-छात्रा की नहीं है, बल्कि प्रेमचंद रंगशाला के बाहर गोलंबर पर हर दिन सैकड़ों छात्र बैठ कर पढ़ाई करते हैं। छात्रों ने इसका नाम प्रेमचंदी पाठशाला दिया है। गुरुवार को बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग की ओर से दारोगा, सार्जेंट और सहायक जेल अधीक्षक के रिजल्ट में प्रेमचंदी पाठशाला से एक साथ दस छात्र और छात्रा शामिल हैं। इसमें नम्रता कुमारी, मनीदर्शन कुमार के अलावा ओमप्रकाश कुमार, संटू कुमार, फ्रूटी कुमारी आदि शामिल हैं। पाठशाला के संयोजक छात्र रामजी भारती ने बताया कि बहुत ऐसे छात्र हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वो कोचिंग या ट्यूशन नहीं ले पाते हैं। ऐसे छात्र एक साथ इकट्ठा होकर पढ़ाई करते हैं।
न कोई शिक्षक और न कोई गाइड
2016 से चल रही इस पाठशाला में अभी 250 से अधिक छात्र-छात्राएं एक साथ बैठकर तैयारी करते हैं। छात्रा नम्रता कुमारी ने बताया कि यहां पर तैयारी करने में बहुत मदद मिलती है। तभी मैं एक बार में ही दारोगा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर पायी। वहीं अजय कुमार ने बताया कि यहां पर सबसे अच्छी बात है कि कोई न तो शिक्षक है और न ही गाइड। हम सब एक-दूसरे की मदद करते हैं। डिस्क्शन करने से बहुत सारे प्रश्न का जवाब खुद ही हल कर लेते हैं। पाठशाला के संयोजक सिकंदरा के सुजीत ने बताया कि हर छात्र प्रतिभागी हैं और वो एक-दूसरे के मार्गदर्शक भी हैं।
गर्व : मजदूर की बेटी बनी दारोगा
सीवान जिला की रहने वाली शोभा कुमारी के पिता भले मजदूर हों लेकिन बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। पिता के सपनों को अब शोभा कुमारी ने दारोगा बन कर पूरा किया है। नवलपुर गांव की शोभा कुमारी ने बताया कि हम लोग दलित वर्ग से आते हैं। दलित समाज में बेटियों को उच्च शिक्षा की आजादी नहीं होती है। लेकिन मेरे पिता ने मुझे उच्च शिक्षा दिलाया और पटना तैयारी के लिए भेजा। मैं दारोगा परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित हुई हूं।
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