BPSC: पहले बनी पंचायत की उप मुखिया, अब पीएचडी पास रजिया ने पास की बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा
BPSC Shkshak bharti:बिहार में शिक्षक के रूप में चयन होने पर जिप उपाध्यक्ष अनीता देवी,मुखिया नरेश लोहार,कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष हाजी मोतिउर रहमान, भाजपा नेता शैलेश सिंह,राजद प्रखंड अध्यक्ष प्रीतलाल याद
प्रखंड के ग़ालिब कॉलोनी निवासी शमशाद जैदी की पत्नी व पश्चिम क्षेत्र से पंसस डॉ रजिया सुल्ताना ने बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक चयन परीक्षा में सफल होकर प्रखंड का नाम रौशन की है। रजिया सुल्ताना का चयन अपर प्राइमरी (वर्ग 5 से 8) के शिक्षिका के रूप में हुई है। शिक्षिका के रूप में चयन होने के बाद रजिया ने कहा कि शुरू से ही मेरी रुचि शिक्षा के क्षेत्र में रही है।
पंचायत प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का जो भी अवसर मुझे प्राप्त हुआ ,मैंने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता की सूची में पहले पायदान पर रखी। समाज को साक्षर बनाकर समाज की सही सेवा की जा सकती है। शिक्षा के माध्यम से ही विकसित भारत के सपने को साकार किया जा सकता है। डॉ रजिया का पंचायत प्रतिनिधि के तौर पर सफर की शुरुआत 2015 में बालूमाथ पंचायत के वार्ड सदस्य के रूप में शुरू हुई। इसी सफर में वर्ष 2015 में ही बालूमाथ पंचायत की उप मुखिया के रूप में चुनी गई। 2022 के पंचायत चुनाव में बालूमाथ पश्चिम क्षेत्र से पंचायत समिति सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई। बिहार के जहानाबाद की बेटी रजिया शिक्षा के क्षेत्र में उच्च योग्यता रखती है। इतिहास विषय में मगध विश्वविद्यालय,गया से स्नातक करने के बाद नालंदा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की फिर उन्होंने पीएचडी डिग्री भी हासिल की।
बिहार में शिक्षक के रूप में चयन होने पर जिप उपाध्यक्ष अनीता देवी,मुखिया नरेश लोहार,कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष हाजी मोतिउर रहमान, भाजपा नेता शैलेश सिंह,राजद प्रखंड अध्यक्ष प्रीतलाल यादव, दीपक यादव, मनोज यादव,कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष आमिर हयात,मो. जुबैर सहित कई लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उनके सफलता पर बधाई दी है।
और आपत्ति शपथ पत्र के माध्यम से मांगा था। आयोग ने कहा है जिनकी आपत्ति या शिकायत सही नहीं है, वे छह जनवरी से लेकर 13 जनवरी तक आपत्ति वापस ले सकते हैं। अगर इनकी आपत्ति सही नहीं है तो इन पर कार्रवाई भी हो सकती है। आयोग की मानें तो बेवजह से शिकायत करने वाले अभ्यर्थी की शिकायत पर अगर समय बर्बाद हुआ तो कार्रवाई संभव है। इसके पहले भी 400 अभ्यर्थियों पर गलत तथ्य पेश करने पर तीन साल का प्रतिबंध लगाया गया था।
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