BPSC ने पूछा RRB रेलवे ग्रुप डी परीक्षा पास करके ट्रैकमैन बने आईआईटीयन श्रवण कुमार पर प्रश्न
आईआईटीयन श्रवण कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं। आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक की डुएल डिग्री लेकर धनबाद रेल मंडल में ट्रैकमैन (ट्रैक मेंटेनर) बनने वाले श्रवण कुमार पर बीपीएससी ने प्रश्न पूछा है। 17...
आईआईटीयन श्रवण कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं। आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक की डुएल डिग्री लेकर धनबाद रेल मंडल में ट्रैकमैन (ट्रैक मेंटेनर) बनने वाले श्रवण कुमार पर बीपीएससी ने प्रश्न पूछा है। 17 फरवरी को हुई 65वीं बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) में सेट ए के 52वें नंबर सवाल में पूछा गया कि 'हाल ही में अपने नए जॉब ट्रैकमैन के रूप में धनबाद में दायित्व ग्रहण करने वाले आईआईटी बॉम्बे के स्टूडेंट का क्या नाम है? उत्तर में विकल्प के रूप में चौथे नंबर पर श्रवण कुमार का नाम दिया गया है।
पटना बिहटा पालीगंज निवासी श्रवण ने 30 जुलाई को धनबाद रेल मंडल में योगदान दिया था। उनकी पोस्टिंग उस समय चंद्रपुरा पीडब्ल्यूआई के अधीन तेलो में की गई थी। फिलहाल वे धनबाद पीडब्ल्यूआई के अंडर कार्यरत हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान में खबर छपने के बाद डीआरएम अनिल कुमार मिश्रा और सीनियर डीईएन को-ऑर्डिनेशन सह एडीआरएम बीके सिंह ने श्रवण को धनबाद बुलाकर उनसे बातचीत की थी। उन्हें जी लगा कर पढ़ने की सलाह दी गई थी।
श्रवण की कहानी बन गई सामान्य अध्ययन की विषय-वस्तु
श्रवण कुमार के आईआईटी बॉम्बे से रेलवे ट्रैक पेट्रोलिंग तक के सफर में फासला इतना बड़ा है कि आज उनसे संबंधित जानकारी सामान्य अध्ययन की विषय-वस्तु बन गई। बिहार की सबसे बड़ी परीक्षा बीपीएससी ने बिहार करंट अफेयर सेक्शन में पूछे जाने वाले एकमात्र सवाल की श्रेणी में श्रवण कुमार से संबंधित प्रश्न को जगह दी। श्रवण के लिए यह गौरव की बात भले न हो, लेकिन बीपीएससी ने श्रवण के संबंध में सवाल पूछकर उन्हें यह सोचने पर विवश कर दिया कि उनकी मंजिल रेलवे की चतुर्थ वर्गीय नौकरी नहीं है।
डिग्री पाने के बाद भी तीन साल नहीं मिली नौकरी
श्रवण को 2010 में आईआईटी जेईई में सफलता मिली थी। उनका कटेगरी रैंक (सीएमएल) 1,570 था। श्रवण ने आईआईटी मुंबई में इंटीग्रेटेड डुएल डिग्री कोर्स में दाखिला लिया था। 2015 में उन्होंने एक साथ बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की। उनका ब्रांच मेट्रोलॉजी एंड मैटेरियल साइंस था। शादीशुदा श्रवण को पढ़ाई पूरी करने के बाद भी तीन वर्षों तक जब सरकारी नौकरी नहीं मिली तो उनका हौंसला जवाब दे गया। बाद में मजबूर हो कर उन्होंने रेलवे के ग्रुप डी के पद पर ज्वाइन कर ली। श्रवण अभी भी एक साथ कई परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
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