बिहार: नियोजित शिक्षकों के गायब फोल्डर मामले में दर्ज होगी प्राथमिकी
नियोजित शिक्षकों के गायब फोल्डर के मामले में अब कार्रवाई होगी। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेगा। निगरानी को अब तक एक लाख फोल्डर नहीं मिले हैं।...
नियोजित शिक्षकों के गायब फोल्डर के मामले में अब कार्रवाई होगी। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेगा। निगरानी को अब तक एक लाख फोल्डर नहीं मिले हैं। विभाग ने इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ पत्राचार किया है। शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को फोल्डर जमा करने का निर्देश देने के बाद भी पूरा जमा नहीं हुआ है। अगर निगरानी ब्यूरो को फोल्डर नहीं मिले को दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। निगरानी को अभी तक दो लाख एक हजार 901 फोल्डर ही मिला है जबकि 3 लाख, 11 हजार, 46 नियोजित की जांच हो रही है।
पटना हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी ब्यूरो नियोजित शिक्षकों की बहाली की जांच कर रहा है। हालांकि इसकी जांच की कोई समय सीमा तय नहीं है। निगरानी ब्यूरो ने वर्ष 2015 से यह जांच शुरू की और नियोजित शिक्षकों के 1132 फर्जी सर्टिफिकेट पकड़े गए। इस मामले में कुल 419 मुकदमे दर्ज किए गए हैं जिसमें 1426 अभियुक्त हैं। पिछले साल 82 हजार 42 प्रमाणपत्र विवि को जांच के लिए भेजे गए जिसमें 36 हजार, 189 प्रमाणपत्र की जांच पूरी हो चुकी है और 121 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया गया है। शेष अंकपत्र व सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति एवं संबंधित विश्वविद्यालय से पत्राचार किया जा रहा है। साथ ही टीईटी परीक्षा परिणाम के प्रमाणपत्र की भी जांच जारी है।
निगरानी ब्यूरो को फर्जी अंकपत्र को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं। जाली अंकपत्र व प्रमाणपत्र के आधार पर शिक्षक के पद पर बहाल हो गई। चूंकि इस नियोजित शिक्षकों की बहाली अंकपत्र के आधार पर हुई थी और मुखिया व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अंकपत्रों में काफी हेराफेरी की गई थी। पंचायत मुखिया ने मेधा सूची से मेरिट अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया और कम अंक वाले अभ्यर्थियों को ज्वाइन करा लिया।
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