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बिहार बोर्ड 60 लाख छात्रों का लेगा फिंगरप्रिंट, प्रधानमंत्री पुरस्कार से देश में टॉप पर आया बिहार बोर्ड : आनन्द किशोर

राज्य के 60 लाख से अधिक विद्यार्थियों का बिहार बोर्ड फिंगरप्रिंट लेगा। नौवीं से 12वीं तक के छात्र और छात्राओं का फिंगर प्रिंट लिया जाएगा। यह बात बिहार बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने कही है।

Alakha Ram Singh रिंकु झा, पटनाMon, 2 May 2022 11:49 AM
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राज्य के 60 लाख से अधिक विद्यार्थियों का बिहार बोर्ड फिंगरप्रिंट लेगा। नौवीं से 12वीं तक के छात्र और छात्राओं का फिंगर प्रिंट लिया जाएगा। यह बातें बिहार बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने कही। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के साथ बातचीत में अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि नौवीं और 11वीं में रजिस्ट्रेशन के लिए फार्म भरवाने के समय और मैट्रिक एवं इंटर परीक्षा फार्म भरवाते समय फिंगर प्रिंट लिया जायेगा। इसके लिए राज्यभर के सभी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन लगेगी।

उन्होंने बताया कि अगले कुछ सालों में बिहार बोर्ड में कई बदलाव होंगे। 2016 से अब तक बोर्ड कें क्या-क्या बदलाव आए, बोर्ड किस तरह से पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हुआ, उसका अपना सॉफ्टवेयर बनाने के साथ आगे बोर्ड के लिए क्या चुनौतियां हैं... इन तमाम सुधारों पर बोर्ड अध्यक्ष ने अपनी राय साझा की।

कोरोना संक्रमण में रिजल्ट देना काफी चुनौतीपूर्ण था। मार्च 2020 में कोरोना आया। इससे पहले फरवरी में ही इंटर और मैट्रिक परीक्षा ले ली गयी थी। मैट्रिक रिजल्ट के समय कोरोना संक्रमण तेज था। फिर 2021 में मैट्रिक और इंटर दोनों परीक्षा लेना और रिजल्ट देना मुश्किल भरा रहा। नौ क्षेत्रीय कार्यालयों में स्कैनिंग का काम शुरू किया। अधिक से अधिक कंप्यूटर का इस्तेमाल रिजल्ट के लिए किया गया। सिलेबस का आधा भाग ओएमआर पर लिया। जिसका मूल्यांकन कंप्यूटर से किया गया। शिक्षकों के मूल्यांकन कार्य को कंप्यूटर पर शिफ्ट किया। इससे समय की बचत हुई। इससे रिजल्ट की तैयारी में लगने वाले ढाई महीने के समय को 15 से 20 दिन पर लाया।

तकनीकी, परीक्षा पक्रिया और इनोवेशन से बदली बिहार बोर्ड की छवि : 2016 तक बिहार बोर्ड में कोई काम डिजिटली नहीं होता था। 2016 में पद संभालने के बाद देश के कई बोर्ड के साथ बैठक की। मैंने हर सेक्शन को कंप्यूटर से जोड़ा। मैनुअल काम खत्म किया। इससे गलतियां कम होने लगीं। परीक्षा की गोपनीयता बनाए रखने को बारकोडिंग शुरू की। त्रुटि रहित रिजल्ट के लिए परीक्षार्थियों के नाम की प्रिंट वाली उत्तर पुस्तिका देने की की व्यवस्था की गई। पिछले तीन वर्षों से बिहार बोर्ड देश में सभी बोर्ड से पहले परीक्षा ले रहा है और रिजल्ट दे रहा है।

10 देशों की परीक्षा प्रणाली का अध्ययन कर नया मानक तैयार करेगा बोर्ड
बिहार बोर्ड अन्य देशों की बोर्ड परीक्षा प्रणाली का अध्ययन करेगा। इसके लिए जल्द ही अंतरराष्ट्रीय बैठक आयोजित की जायेगी। सिंगापुर, फिनलैंड व अन्य देशों से बातचीत चल रही है। आठ से दस देशों की बोर्ड परीक्षा प्रणाली का अध्ययन करके नया मानक तैयार किया जायेगा।

प्रधानमंत्री पुरस्कार ने बिहार बोर्ड को देशभर में सबसे ऊपर ला दिया
सिविल सेवा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री पुरस्कार 2006 में शुरू किया गया था। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण 2019, 2020 और 2021 में इसका आयोजन नहीं किया जा सका। मुझे 2020 के लिए यह पुरस्कार मिला है। देशभर में बिहार बोर्ड पहला है, जिसमें काम करते हुए यह पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार मुझे बिहार बोर्ड की परीक्षा प्रणाली को बेहतर करने के लिए दिया गया है। इस पुरस्कार ने बिहार बोर्ड को देशभर में सबसे ऊपर ला दिया है।

हर बच्चे का डाटा हो रहा तैयार
पूरा बोर्ड कंप्यूटरीकृत हो गया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फार्म भरने के लिए सभी स्कूलों को कंप्यूटर दिया गया है। इससे अब स्कूल प्रशासन को सुविधा हुई है। समय से स्कूल प्रशासन की देखरेख में फार्म भरवाये जाने लगे हैं। त्रुटिपूर्ण फार्म भरा जा रहा। अब हर स्कूल के पास कंप्यूटर का पूरा सेटअप है।

बोर्ड मुन्नाभाई का नामोनिशान मिटाएगा
मैट्रिक और इंटर परीक्षा में अब भी मुन्नाभाई पकड़े जाते हैं। इसका हमें नामोनिशान मिटाना है। परीक्षा प्रणाली को इतना मजबूत कर दिया जायेगा कि फर्जी छात्र परीक्षा में शामिल ही नहीं हो पाएंगे। इसके लिए आर्टिफिेशन इंटेलीजेंस इस सत्र से लागू किया जायेगा। इससे फर्जी फोटो डाल कर परीक्षा देने वालों को तुरंत पकड़ा जा सकेगा। इसके अलावा आधार वेरिफिकेशन भी अब किया जाएगा। इससे प्रमाणपत्र में त्रुटि होने पर आसानी से सुधार किया जा सकेगा।

सभी विषयों का बनेगा डिजिटल कंटेंट
राज्य के पांच हजार माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों को कंप्यूटर दिये जे चुके हैं। अब सभी स्कूलों को डिजिटल कंटेंट दिये जाएंगे। यह हर विषय में होगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गयी है। यह इसी सत्र के कैलेंडर से लागू होगा। जरूरत पड़ी तो स्कूलों में कंप्यूटर की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। डिजिटल कंटेंट को एप के माध्यम से भी बच्चों को उपलब्ध कराया जाएगा।
 

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