कोटा और दिल्ली की रेस में नहीं बिहार के टॉपर
कोरोना का डर ऐसा है इस बार कि प्लस टू करने दूसरे शहर में छात्र नहीं जाना चाहते हैं। सीबीएसई 10वीं का रिजल्ट निकलने के बाद जब टॉपर्स से बात की गयी तो अधिकतर ने कहा कि प्लस टू अपने ही स्कूल से करना...
कोरोना का डर ऐसा है इस बार कि प्लस टू करने दूसरे शहर में छात्र नहीं जाना चाहते हैं। सीबीएसई 10वीं का रिजल्ट निकलने के बाद जब टॉपर्स से बात की गयी तो अधिकतर ने कहा कि प्लस टू अपने ही स्कूल से करना चाहते हैं। जी हां, इस बार सीबीएसई हो या आईसीएसई के छात्र कोटा या दिल्ली जाने का प्लान रद्द कर दिया है। ज्ञात हो कि 10वीं करने के बाद 30 से 35 फीसदी विद्यार्थी मेडिकल इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा, दिल्ली, बोकारो, चेन्नई, हैदाराबाद आदि शहरों में जाते थे। उन शहरों में प्रतियोगी परीक्षा के साथ प्लस टू भी करते थे। लेकिन इस बार कोरोना का ऐसा डर अभिभावकों में है कि वे बच्चे को कोटा के साथ दूसरे शहर नहीं भेजना चाहते हैं।
डीएवी बीएसईबी के टॉपर आयूष प्रतीक ने बताया कि डीएवी में ही प्लस टू करेंगे। कोरोना की वहज से बाहर जाने की सोच ही नहीं सकते हैं। वहीं सेंट कैरेंस हाई स्कूल के टॉपर आदित्य राज ने भी पटना में ही रह कर पढ़ाई करने की बात कही। इंटरनेशनल स्कूल की टॉपर शांभवी सिन्हा ने भी पटना में ही रह कर प्लस टू करने की सोची है।
ज्यादातर विद्यार्थियों ने ले लिया 11वीं में नामांकन
गर्मी छुट्टी के बाद ही अधिकतर स्कूलों में 11वी में नामांकन हो चुका है। बाल्डविन एकेडमी के प्राचार्य राजीव रंजन ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ जब सारे के सारे 10वीं के छात्रों ने 11वी में नामांकन ले लिया है। सभी 11वीं में ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। वहीं डीएवी बीएसईबी प्राचार्य वीएस ओझा ने कहा कि अभी तक किसी भी छात्र ने टीसी के लिए आवेदन नहीं दिया है। सबने अपने ही स्कूल में नामांकन लिया है।
बाहर जाकर फंसना नहीं है मुझे
कोरोना का असर अभी लंबा रहेगा। दूसरे शहर में भेजना तो इस बार सोच ही नहीं सकते हैं। लोयेला हाई स्कूल के स्कूल टॉपर मो. यूसुफ रजाली ने बताया कि मैं अपने ही स्कूल से प्लस टू करूंगा। यूसुफ के पिता अनवर इमाम ने बतया कि प्लस टू में दूसरे शहर में बच्चे को नहीं भेजेंगे। डीपीएस के छात्र राहुल कुमार के पिता अभिषेक कुमार ने बताया कि प्लस टू पटना में ही बेटा को करवाना है। पिछले साल तो थोड़ा सोचे थे, लेकिन इस बार सोच नहीं सकते हैं। कोटा या दूसरे शहर जाकर बच्चे फंस जाते हैं।
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