जयंती पर विशेषः पढ़ें भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार
'व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं' यह कहना था शहीदे आजम भगत सिंह का। शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज (28 सितंबर) को 111वीं जयंती है। देश के सबसे बड़े...
'व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं' यह कहना था शहीदे आजम भगत सिंह का। शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज (28 सितंबर) को 111वीं जयंती है। देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी और अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को अपने साहस से झकझोर देने वाले शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म 1907 में 28 सितंबर को हुआ था।
महात्मा गांधी ने जब 1922 में चौरीचौरा कांड के बाद असहयोग आंदोलन को खत्म करने की घोषणा की तो भगत सिंह का अहिंसावादी विचारधारा से मोहभंग हो गया। उन्होंने 1926 में देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया। यह माना जाता है कि मृत्युदंड के लिए 24 मार्च की सुबह ही तय थी, मगर जनाक्रोश से डरी सरकार ने 23-24 मार्च की मध्यरात्रि ही फांसी पर लटका दिया था।
आज उनकी जयंती पर पढ़ें 5 विचार:
1. बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
2.निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
3. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।
4.प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
5. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
6. व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।
7.निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
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