BEd Vs DElEd BTC : डीएलएड का क्रेज घटा तो ताला, बढ़ा तो काट रहे नियामक के चक्कर
यूपी के जिन 28 निजी कॉलेजों ने एनसीटीई को मान्यता वापस करते हुए 2023-24 सत्र में प्रवेश लेने से इनकार कर दिया था। उनमें से 15 कॉलेजों के प्रबंधक अब परीक्षा नियामक के चक्कर काट रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना में बीएड को भी प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्य करने के बाद डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) का क्रेज घटने लगा। एक के बाद एक प्राइवेट कॉलेजों पर ताले पड़ने लगे लेकिन पिछले महीने 11 अगस्त को एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट से निरस्त होने और डीएलएड में प्रवेश के लिए रिकॉर्ड 3,36,572 आवेदन होने के बाद तस्वीर बदल गई है। जिन 28 निजी कॉलेजों ने एनसीटीई को मान्यता वापस करते हुए 2023-24 सत्र में प्रवेश लेने से इनकार कर दिया था। उनमें से 15 कॉलेजों के प्रबंधक अब परीक्षा नियामक प्राधिकारी एलनगंज से लेकर लखनऊ में शासन के अधिकारियों तक का चक्कर काट रहे हैं।
निजी कॉलेज प्रबंधकों ने अपना प्रत्यावेदन देकर इसी साल डीएलएड की प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने का दबाव बना रहे हैं ताकि 2018 से बंद कमाई फिर से चालू हो जाए। लेकिन चूंकि एनसीटीई ने मान्यता वापस कर दी है इसलिए अधिकारी भी बेबस हैं। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि मान्यता सरेंडर करने वाले जिन निजी डीएलएड कॉलेज के प्रबंधकों ने इस सत्र में प्रवेश के लिए आवेदन किया है, उसे शासन को संदर्भित किया जा चुका है।
आगरा और मऊ के तीन तीन, मेरठ के दो कॉलेज
मान्यता सरेंडर करने के बाद डीएलएड प्रवेश के लिए दौड़ लगा रहे निजी कॉलेजों में से आगरा व मऊ के तीन-तीन, मेरठ के दो जबकि गाजीपुर, मैनपुरी, बलिया व एटा के एक-एक कॉलेज शामिल हैं। एक समय डीएलएड की सरकारी और प्राइवेट कुल 242200 सीटों पर प्रवेश होता था जो घटते-घटते इस साल 2,33,350 रह गई है।
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