BEd aur DElEd me kya antar h: बीएड या डीएड कौन-सा कोर्स करना बेहतर होगा ?
टीचर बनने या टीचिंग लाइन में अपना करियर बनाने के लिए अभ्यर्थियों को बीएड या डीएलएड कोर्स करना अनिवार्य होता है। खासतौर से नर्सरी से माध्यमिक स्तर तक स्कूलों के लिए शिक्षा में डिप्लोमा या डिग्री रखना ज
टीचर बनने या टीचिंग लाइन में अपना करियर बनाने के लिए अभ्यर्थियों को बीएड या डीएलएड कोर्स करना अनिवार्य होता है। खासतौर से नर्सरी से माध्यमिक स्तर तक स्कूलों के लिए शिक्षा में डिप्लोमा या डिग्री रखना जरूरी है। बीएड दो वर्षीय फुल टाइम डिग्री है जबकि डीएलएड दो वर्षीय डिप्लोमा है। बीएड में एडमिशन के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक डिग्री कम से कम 50 फीसदी अंकों और कुछ विषयों के लिए 55 फीसदी अंकों के साथ होना अनिवार्य है। वहीं डीएलएड या डीएड कोर्स (D.El.Ed or D.Ed Course) के लिए अभ्यर्थियों को 55 अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि लोगों को यह तय करने में दिक्कत होती है कि उन्हें बीएड करना चाहिए या डीएड ? अभ्यर्थियों की इस मुश्किल को देखते हुए यहां हम बीएड और डीएलएड कोर्स से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर आए हैं जिसे पढ़ने के बाद अभ्यर्थी तय कर सकेंगे कि उन्हें बीएड करना चाहिए या डीएड।
डीएलएड या डीएड कोर्स :
डीएलएड का फुल फॉर्म डिप्लोमा इन इलेमेंटरी एजुकेशन है जो कि दो वर्षीय डिप्लोमा है। डीएलएड में एडमिशन के लिए अभ्यर्थियों को साइंस, आर्ट्स या कॉमर्स से 12वीं पास होना जरूरी है। बहुत से राज्य हर साल डीएलएड एडमिशन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा भी आयोजित कराते हैं। डीएलएड कोर्स की फीस बीएड की तुलना में काफी कम होती है। इस कोर्स को करने के बाद अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती (Class 1st to 8th) के लिए टीईटी पेपर-1 या पेपर-2 या दोनों में भाग लेने का मौका मिलता है। इसके बाद ऐसे शिक्षकों को प्राथमिक स्कूलों में उनके विषय के अनुसार नियुक्ति दी जाती है। इसके अलावा अभ्यर्थी प्राइवेट प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक की सेवा दे सकते हैं। डीएलएड पास अभ्यर्थियों का वेतन बीएड वालों की तुलना में कम होता है।
बीएड कोर्स :
वहीं बीएड (Bachelor of Education) डिग्री दो वर्षीय एक फुल टाइम डिग्री है जिसमें स्नातक पास अभ्यर्थी एडमिशन ले सकते हैं। बीएड में प्रवेश राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा के जरिए लिया जा सकता है। सरकार ने अब 12वीं के बाद 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीए-बीएड डिग्री कोर्स भी शुरू किया है। बीएड में एडमिशन लेने वाले छात्रों को कम से कम 60 हजार रुपए सालाना की फीस जमा करानी पड़ती है। बीएड पास करने के बाद अभर्थियों को प्रथमिक स्तर की शिक्षक भर्ती में भाग लेने के लिए राज्य की टीईटी परीक्षा या सीबीएसई की सीटीईटी परीक्षा में भाग लेना होता है। सीटीईटी या टीईटी के बाद अभ्यर्थी कक्षा 1 से 8 तक की शिक्षक भर्ती में आवेदन के योग्य हो जाते हैं। डीएलएड की तुलना में बीएड डिग्री में कुछ अतिरिक्त फायदे भी हैं। जैसे हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में टीजीटी व पीजीटी शिक्षक भर्ती के लिए भी बीएड पास अभ्यर्थी आवेदन के योग्य माने जाते हैं। हालांकि प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की वैकेंसी ज्यादा संख्या में निकलती है। जूनियर व हाईस्कूल स्तर में शिक्षकों पद कम होते हैं। बीएड पास अभ्यर्थी सरकारी स्कूलों के साथ ही माध्यमिक स्तर तक के प्राइवेट स्कूलों में आसानी से नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। पीजीटी शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थी को संबंधित विषय में परास्नातक डिग्री के साथ बीएड डिग्री रखना अनिवार्य है।
बीएड करें या डीएलएड करें ?
दो कोर्स छात्र अपनी परिस्थिति और च्वॉइस के अनुसार कर सकते हैं। जो छात्र सिर्फ प्राथमिक स्तर के स्कूलों में अपना करियर बनाना चाहते हैं ओर बीएड की भारी फीस नहीं भर सकते उनके लिए डीएलएड या डीएड बेहतर होगा। वहीं जो छात्र प्राथमिक स्कूलों के साथ ही माध्यमिक स्तर के स्कूलों में अपना करियर बनाना चाहते हैं उन्हें बीएड करना बेहतर होगा। साथ ही 12वीं पास होने के बाद जल्दी नौकरी पाने की चाहत रखने वालों के लिए डीएलएड बेहतर है। वहीं स्नातक या परास्नातक के बाद टीचिंग लाइन में करियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए बीएड करना चाहिए।
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