Hindi Newsकरियर न्यूज़Ambedkar Jayanti : Differences with Mahatma Gandhi ji 10 interesting facts about Babasaheb Ambedkar life

Ambedkar Jayanti : गांधीजी से मतभेद, घर में 35000 किताबें, बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़ी 15 रोचक व खास बातें

Babasaheb BR Ambedkar Jayanti 2023: आज अंबेडकर जयंती है। मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे अंबेडकर ने सामाजिक बराबरी और समानता के लिए जो काम किया, उसे कोई दोहरा न सका।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 14 April 2023 07:33 AM
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Babasaheb BR Ambedkar Jayanti 2023: आज संविधान निर्माता डॉ.  बीआर अंबेडकर की जयंती है। मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे अंबेडकर ने सामाजिक बराबरी और समानता के लिए जो काम किया, उसे कोई दोहरा न सका। वह दलित, वंचित और शोषित वर्गों की आवाज बने। दलित वर्ग को समाज में बराबरी का हक दिलाने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। पिछड़े वर्ग उन्हें अपना मसीहा मानते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजित भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष में बिताया। वे उस समय अछूत मानी जाने वाली महार जाति से थे जिनके लिए उस समय समाज में सिर उठाकर चलना मुमकिन नहीं था। लेकिन वह लड़े और उच्चतम शिक्षा प्राप्त कर राजनीतिक ऊंचाइयां छूने में सफल रहे। आजादी के बाद उन्हें देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न मिला। आज 20वीं सदी के महान लोगों की सूची में बड़े आदर के साथ बाबासाहेब का नाम लिया जाता है। 

यहां पढ़ें बीआर अंबेडकर से जुड़ी कुछ रोचक व खास बातें- 

1. गांधी जी से रहते थे मतभेद  
महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर दोनों ने समाज सुधार के लिए अथक प्रयास किए। लेकिन कई मुद्दों पर इनके विचार काफी अलग थे। सबसे बड़ा मतभेद यह था कि गांधीजी जाति व्यवस्था से छुआछूत मिटाना चाहते थे जबकि अंबेडकर पूरी जाति व्यवस्था को खत्म करना चाहते थे। गांधी जी वर्ण-व्यवस्था के समर्थक थे। हालांकि दोनों ही दलितों की स्थिति सुधारने के पक्षधर थे। 
इसके अलावा महात्मा गांधी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वकालत करते थे। वे पूर्ण विकास के लिए गांव का रुख करने के लिए कहते थे। जबकि अंबेडकर लोगों से गांव छोड़कर शहरों का रुख करने की अपील करते थे। उनका मानना था कि दलितों को बेहतर शिक्षा, तरक्की के लिए शहरों में आना चाहिए।

2. अपने जमाने के सबसे पढ़े लिखे लोगों में से एक
बीआर अंबेडकर अपने जमाने के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कुछेक महान विद्वान लोगों में से एक थे। उनके पास अलग अलग 32 विषयों की डिग्रियां थीं। एलफिंस्टन कॉलेज मुंबई से बीए करने के बाद वह एमए करने अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी चले गए। वहीं से पीएचडी भी की। इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमएससी, डीएससी किया। ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) किया। एलफिंस्टन कॉलेज में वह अकेले दलित छात्र थे।

3. किताबे पढ़ने का जबरदस्त शौक
डॉ. अंबेडकर को खूब किताबे पढ़ने का शौक था। उनके पास किताबों का विशाल व बेहतरीन संग्रह था। जॉन गुंथेर ने इनसाइड एशिया में लिखा है कि 1938 में अंबेडकर के पास 8000 किताबे थीं। उनकी मृत्यु के समय वो 35000 हो गई थीं। 

4. बाबासाहेब अंबेडकर को बागबानी का भी शौक था। उनके बगीचे की काफी तारीफ होती थी।  उन्हें अपने कुत्ते से भी बेहद प्यार था। वह कई बार खुद खाना बनाकर अपने दोस्तों को खाने पर बुलाते थे।

5. पिता की 14 संतान लेकिन सिर्फ अंबेडकर को मिला स्कूल में पढ़ने का मौका
अंबेडकर के पूर्वज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक थे। पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सूबेदार थे। इस वजह से भी अंबेडकर को स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। उस समय एक दलित और अछूत मानी जाने वाली जाति के बच्चे के लिए स्कूल जाकर पढ़ना संभव नहीं था। अंबेडकर को स्कूल में अन्य बच्चों जितने अधिकार नहीं थे। उन्हें अलग बैठाया जाता था। वह खुद पानी भी नहीं पी सकते थे। ऊंची जाति के बच्चे ऊंचाई से उनके हाथों पर पानी डालते थे। 

6. इनसे से प्रेरित
अंबेडकर कबीरदास, ज्योतिबा फुले, महात्मा बौद्ध के विचारों से काफी प्रेरित थे। 

7. क्या था असली नाम
अंबेडकर का असल नाम अंबावाडेकर था। यही नाम उनके पिता ने स्कूल में दर्ज भी कराया था। लेकिन उनके एक अध्यापक ने उनका नाम बदलकर अपना सरनेम 'अंबेडकर' उन्हें दे दिया। इस तरह स्कूल रिकॉर्ड में उनका नाम अंबेडकर दर्ज हुआ।

8. बाल विवाह प्रचलित होने के कारण 1906 में अंबेडकर की शादी 9 साल की लड़की रमाबाई से हुई। उस समय अंबेडकर की उम्र महज 15 साल थी। 

9. डॉ. अंबेडकर के लिए अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक स्कॉलरशिप मिलने के कारण संभव हो सका था। 

10. बाबासाहेब अंबेडकर की कानूनी विशेषज्ञता भारतीय संविधान के निर्माण में बहुत मददगार साबित हुआ। उन्हें संविधान निर्माता व संविधान का जनक कहा जाता है। उन्होंने संविधान बनाने से पहले कई देशों के संविधानों का अध्ययन किया था। काबिलियत के दम पर वह भारत के पहले कानून मंत्री के पद तक पहुंचे। 

11. अंबेडकर दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए 'बहिष्कृत भारत', 'मूक नायक', 'जनता' नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किये। 1927 से उन्होंने छुआछूत जातिवाद के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया। महाराष्ट्र में रायगढ़ के महाड में उन्होंने सत्याग्रह भी शुरू किया। उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर ‘मनुस्मृति’ की तत्कालीन प्रति जलाई थी। 1930 में उन्होंने कलारम मंदिर आंदोलन शुरू किया। 

12. आजादी की लड़ाई के बीच आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। अंबेडकर ने 1952 में बॉम्बे नॉर्थ सीट से देश का पहला आम चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। वह बार राज्यसभा से दो बार सांसद रहे। 

13. कुछ विद्वानों का मानना है कि अंबेडकर नहीं चाहते थे कि अंग्रेज एक बार में भारत छोड़कर चले जाएं। दरअसल डॉ अंबेडकर वाइसराय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य थे। सदस्य का दर्जा आज के समय के कैबिनेट मंत्री के बराबर होता था। जानकारों के मुताबिक उन्हें लगता था कि वह इस पद पर रहते हुए दलितों के भले के लिए कई अहम कार्य कर सकते हैं जोकि अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद नहीं किए जा सकेंगे। 

हिंदू कोड बिल पास न होने पर दे दिया था इस्तीफा

14. सन् 1951 में उन्होंने 'हिंदू कोड बिल' संसद में पेश किया। डॉ. आंबेडकर का मानना था कि सही मायने में प्रजातंत्र तब आएगा जब महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार दिए जाएंगे। संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। 

15. 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर और उनके समर्थकों ने पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया। वह हिंदू धर्म के कई तौर तरीकों से काफी दुखी हो गए थे। 6 दिसंबर, 1956 को अंबेडकर की मृत्यु हो गई।

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