Hindi Newsकरियर न्यूज़After IAS Puja Khedkar ex IAS Abhishek Singh under fire in UPSC CSE selection over disability claim certificates

ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के बाद एक और शख्स के UPSC CSE में चयन पर उठे सवाल, जवाब में बोले- किसी के बाप के दम पर नहीं चलता

आईएएस से अभिनेता बने अभिषेक पर भी आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी में चयन के लिए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया। अभिषेक सिंह के डांस और जिम करते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 16 July 2024 02:41 PM
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ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर के बाद अब पूर्व आईएएस अफसर अभिषेक सिंह यूपीएससी सिविल सर्विसेज में अपने चयन को लेकर सवालों के घेरे में हैं। जिस तरह पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी दिव्यांगता और ओबीसी सर्टिफिकेट इस्तेमाल किया, उसी तरह आईएएस से अभिनेता बने अभिषेक सिंह पर भी यह आरोप लग रहा है कि उन्होंने यूपीएससी में चयन के लिए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया। अभिषेक सिंह के डांस और जिम करते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यूजर्स यूपीएससी में विकलांग कोटे से उनके चयन पर सवाल उठा रहे हैं। 

अभिनेता बनने के लिए पिछले साल इस्तीफा देने वाले 2011 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर हैं। इस विवाद ने विकलांगता (PWD) कैटेगरी के तहत नौकरशाहों की चयन प्रक्रिया में जांच और अधिक पारदर्शिता की मांग को जन्म दिया है। सिंह ने यूपीएससी चयन प्रक्रिया में रियायतें प्राप्त करने के लिए लोकोमोटर विकलांगता का दावा किया था। अभिषेक सिंह की यूपीएससी  सिविल सेवा परीक्षा 2010 में 94वीं रैंक थी। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने सिविल सर्विसेज चयन प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए उनके वीडियो पर टिप्पणी की है।

एक यूजर ने लिखा - 'लोकोमोटर डिसेबिलिटी का फायदा उठा के आप आईएएस बन गए उसके बाद आप जिम जा रहे हैं, डांस कर रहे हैं ऐसा क्या हुआ जो आपका लोकोमोटर डिसेबिलिटी आईएएस बनते ही छूमंतर हो गया जानकारी शेयर करें और लोगो को भी मदद मिल जाएगी।' 
सवाल आपके LD पर है, जिसके चलते आपने कोटा लिया और आईएएस बने। आप सवाल पढ़े बिना ही ‘मेरा जीवन एक संघर्ष’ विषय पर आलेख पेल दे रहे हैं। सवाल फिर से समझिए- ‘आपको दिव्यांग कोटा कैसे मिला? क्या किस क़िस्म के लोकोमोटिव डिसऑर्डर का शिकार हैं? विस्तार से समझाइए।’
एक अन्य ने लिखा - 'अपने सोशल मीडिया अकाउंट के कारण, वह फिल्मों, यूट्यूब वीडियो में काम कर रहे हैं, वर्कआउट कर रहे हैं और वह सब कुछ कर रहे हैं जो लोकोमोटिव विकलांगता वाले लोग नहीं कर सकते।'

अभिषेक सिंह ने दिया आरोपों का जवाब 
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि आरक्षण का समर्थन करने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। 
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'वैसे तो मुझे किसी आलोचना से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, पर ये मेरे जीवन काल में पहली बार है जब मैं अपने आलोचकों को जवाब दे रहा हूँ। और वो इसलिए क्योंकि मेरे हज़ारो समर्थक मुझसे कह रहे हैं कि आप जवाब दें नहीं तो हमारा मनोबल टूट जाएगा।अतः ये मेरा नैतिक कर्तव्य है कि मैं सच्चाई सामने रखूँ जिससे उनका भरोसा ना टूटे। तो ये जवाब मेरे समर्थकों को समर्पित है ना कि आलोचकों को। 

जबसे मैंने आरक्षण के पक्ष में आवाज़ उठाना शुरू किया है, आरक्षण विरोधियों की पूरी सेना ने सब काम छोड़कर मुझपे मोर्चा खोल दिया है। उनको यह बात हज़म नहीं हो रही कि एक जनरल कैटेगरी का लड़का आरक्षण के पक्ष में कैसे बोल रहा है? 

पहले तो आपने मेरी कास्ट पर ही सवाल उठाया और कहा कि मैं झूठा सिंह हूँ, फिर आपने कहा कि मैं अपनी नौकरी वापिस माँग रहा हूँ, और अब कह रहे हैं कि मैंने नौकरी आरक्षण से ली है। 

मैं आपसे बड़ी विनम्रता पूर्वक एक बात कहना चाहता हूँ। अभिषेक सिंह अपने पुरुषार्थ, कर्मठता और साहस के लिए जाना जाता है। किसी की कृपा के लिए नहीं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया है अपने दम पर हासिल किया है, किसी आरक्षण के दम पर नहीं।

देश की सर्वोच्च सेवा में सेलेक्शन लेना, उसमें निर्भीक निडर बिना किसी का दबाव माने ईमानदारी से कार्य करना, और अपनी मर्ज़ी से उसे छोड़ दोबारा शून्य से शुरुआत करना। जब भविष्य अंधकार में छुपा हो तब भी उसमें सूरज ढँढने का हौसला लिए, आँखों में अनगिनत सपने लिए, अपने दम पर आगे बढ़ जाना, साहब इसके लिए चट्टान का कलेजा चाहिए। 

आपने ये कहा कि मेरे पिताजी IPS अधिकारी थे इसलिए मुझे फ़ायदा मिला। आपको बता दूँ, मेरे पिताजी एक बहुत ग़रीब परिवेश से निकलकर PPS अधिकारी बने, IPS में प्रमोट हुए थे। उनकी 3 सन्तानें हैं, यानी मेरी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई। उन्होंने भी UPSC की तैयारी करी पर सेलेक्शन नहीं हो सका, इसके अलावा मेरे 7 और कजिंस ने प्रयास किया, कई कर भी रहे हैं, अभी तक किसी का भी सेलेक्शन नहीं हो सका है। अपने पूरे खानदान में मैं इकलौता IAS में चयनित हुआ। 

आपको ये भी बता दूँ कि UPSC में कोई डोमिसाइल certificate नहीं लगता। जिसने भी UPSC दिया है उसको पता होगा। तो ये फ़र्ज़ी प्रॉपगैंडा बंद करें। जिसको जो भी पूछना है मैं जवाब देने के लिए तैयार हूँ।

मुझे जो ठीक लगता है मैं करता हूँ, और आगे भी करता रहूँगा। कला और समाज सेवा मेरी रुचि है और मैं इसमें लगातार प्रयासरत हूँ। हाँ मैं ये मानता हूँ कि दोनों ही फील्ड में मैं ज़्यादा कुछ नहीं कर पाया हूँ, पर मैं हारा नहीं हूँ। रोज़ सुबह उठकर मैं पूरी निष्ठा से मेहनत करता हूँ, और तब तक करता रहूँगा जब तक सफल नहीं हो जाता।  मैं कभी मैदान छोड़कर नहीं भागूँगा। 

हाँ, ये भी सुन लें, मैंने जितने भी सामाजिक कार्य किए हैं चाहे वे अपने United by Blood के तहत COVID-19 से ग्रसित लोगों को वैक्सीन लगवाना व ऑक्सीजन सिलिंडर पहुँचाना या No-Shame Movement के माध्यम से लड़कियों को निःशुल्क लीगल सहायता दिलवा कर उनका आत्मबल बढ़ाना, या फिर “राष्ट्रीय युवा शक्ति” द्वारा फ्री UPSC कोचिंग, ये सब अपनी निजी क्षमता से किया हैं। नौकरी से इतर। सिस्टम का सहारा लिए बिना!

मैंने अब तक के जीवन में जो भी ठाना है, वो पाया है अपनी मेहनत और लगन से। तो अब जब बात छेड़ ही दी है, तो एक और संकल्प ले रहा हूँ। इस देश में सरकार के संसाधन जहाँ जहाँ भी खर्च होंगे, न्यायसंगत तरीक़े से ही होने चाहिए। सरकार की नौकरियाँ में आरक्षण जनसंख्या के अनुरूप होना चाहिए। अब मैं आंदोलन शुरू करूँगा और इस 50% की सीलिंग को हटाकर जनसंख्या के अनुरूप आरक्षण की माँग रखूँगा और उसको संवैधानिक तौर पर पूरा कराऊँगा। 

और जिन आरक्षण विरोधियों को इससे तकलीफ़ है, और वो अपनी प्रतिभा का दंभ भरते हैं, उनसे मैं कहूँगा कि यदि इतनी ही प्रतिभा है, तो सरकारी नौकरियों में सेंध लगाना बंद करो और खुले मैदान में आओ और बिज़नेस करो, उद्योगपति बनो, खिलाड़ी बनो, एक्टर बनो। वहाँ तो आपकी सीट कोई नहीं माँग रहा। वहाँ कोई रिज़र्वेशन नहीं। खुला मैदान है, आसमान पुकार रहा है, चलो मेरे साथ। जब मैं चल सकता हूँ तो आप क्यूँ नहीं। 

हालाँकि मैं जात-पात के एकदम ख़िलाफ़ हूँ, और मैं चाहता हूँ कि ये व्यवस्था ख़त्म हो, इसके लिए हमारी “राष्ट्रीय युवा शक्ति” इंटरकास्ट शादी करने वालों को धन भी देती है, लेकिन जब तक समाज इसको मानता है तब तक आरक्षण जनसंख्या के आधार पर रहना चाहिए। 

भविष्य में मुझपर आक्षेप लगाने से पहले दो बार सोच लेना, मैं कोई छुई मुई नहीं हूं जो डर के बैठ जाऊंगा। अपनी प्रतिभा, अपने आत्मविश्वास और अपने साहस के दम पर चलता हूं, किसी के बाप के दम पर नहीं।'

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