Hindi Newsकरियर न्यूज़99 schools closure approved in Himachal Pradesh by government due to zero enrollment of students

हिमाचल प्रदेश में 99 सरकारी स्कूल होंगे बंद, वजह कर देगी हैरान

हिमाचल प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में राज्य के 99 स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। इसमें 89 प्राइमरी स्कूल और 10 मिडल स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों में किसी भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया था।

Prachi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 26 July 2024 09:11 PM
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हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 25 जुलाई, 2024 को हुई कैबिनेट मीटिंग में राज्य के 99 सरकारी स्कूलों को बंद करने का लिया है। इन 99 सरकारी स्कूलों में 89 प्राथमिक स्कूल और 10 सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। हिमाचल सरकार को यह फैसला इसलिए करना पड़ा क्योंकि इन स्कूलों में किसी भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया है, इन स्कूलों में जीरो इंरोलमेंट हुआ है। 

इसके साथ ही यह निर्णय लिया गया है कि यदि 2 किलोमीटर के दायरे के अंदर प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की संख्या 5 या उससे कम है तो उन स्कूलों का विलय (मर्जर) कर दिया जाएगा। और यदि 3 किलोमीटर के दायरे के अंदर मिडल स्कूलों में छात्रों की संख्या 5 या उससे कम है तो उन स्कूलों का विलय (मर्जर) कर दिया जाएगा।

हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा है कि हम संसाधनों का अच्छे से उपयोग कर बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में जीरो इंरोलमेंट वाले स्कूल अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पा रहे थे और कम इंरोलमेंट वाले स्कूलों का विलय करने से शिक्षा संसाधनों का अच्छे से उपयोग हो पाएगा। 

इसके साथ ही मीटिंग में यह भी निर्णय लिया गया कि वार्षिक रूप से शिक्षकों का ट्रांसफर शैक्षणिक वर्ष के अंत में ही किया जाएगा। इसके अलावा सभी स्कूलों के हेड टीचर, प्रिंसिपल, डायरेक्टर और सेंटर हेड भी स्कूलों में छात्रों को पढ़ाएंगे। सभी हाई स्कूलों और सेकेंडरी स्कूलों में प्रार्थना सभा में राष्ट्रीय गान और तिरंगा फहराना अनिवार्य कर दिया गया है। अभी स्कूलों को स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर सरकार फर्स्ट ऐड भी उपलब्ध कराएगी। छात्रों के उत्थान के लिए फिजिकल एजुकेशन की ट्रेनिंग और रेगुलर लेसन को अनिवार्य कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार स्कूलों का विलय कर छात्रों को बेहतर शिक्षा संसाधन उपलब्ध कराना चाहती है, क्योंकि स्कूलों में 5 या उससे कम बच्चों के पढ़ने से शिक्षा संसाधन का बेहतर उपयोग नहीं हो पा रहा था।

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