स्वतंत्रता संग्राम संघर्ष के आभूषण हैं भगत सिंह, जानिए उनके बारे में ये खास बातें
76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां हम शहीद-ए-आजम भगत सिंह के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं जो प्रत्येक स्कूली छात्र के लिए जानना जरूरी हैं। यहां दी जा रही जानकारी को वह अपने भाषण या प्रतिय
76th Independence Day India : 15 अगस्त 2022 को 76वें स्वतंत्रता दिवस के साथ ही भारत अग्रेजों की गुलामी से मिली आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लेगा। इस साल भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च 2022 को 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम को लॉन्च किया था जो कि 15 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। 15 अगस्त को देश में एकता, स्वतंत्रता और भारतीयता के रूप में मनाया जाता है। इस दिन के लिए हजारों क्रांतिकारियों द्वारा किए गए बलिदान को भी याद किया जाता है। सरदार भगत सिंह भारत के सबसे ज्यादा चर्चित क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्हें केवल 23 वर्ष की आयु में अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था। 15 अगस्त के मौके पर सरदार भगत सिंह के बलिदान को याद करते हुए हम यहां उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प बातें बता रहें हैं छात्रों को ज्ञान को समृद्ध करने में मदद करेंगी।
शहीद भगत सिंह से जुड़ी खास बातें:
भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को हु ल्यालपुर जिले (अब पाकिस्तान में) हुआ था। उनकी के पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। वह एक ऐसे परिवार में पैदा हुए थे जहां स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की पुरानी परंपरा था।
भगत सिंह की स्कूली शिक्षा दयानंद एंग्लो-वैदिक हाईस्कूल में हुई और इसके बाद लाहौर में नेशनल कॉलेज में पढ़ाई की थी। भगत सिंह शुरुवाती दिनों में गांधी केअहिंसा आंदोलन के समर्थक थे।
कुछ समय बाद भगत सिंह ने मार्क्सवादी विचारधारा को अपना लिया था और व्लैमीर लेनिन, लिऑन ट्रॉस्की और मिखाइल बकुनिन के लेखन से भी प्रभावित थे।
मार्च 1926 में उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना की। एक समाजवादी संगठन था जिसका उद्देश्य अंग्रेजों के शासन से मुक्ति पाना था। 1927 में उन्हें एक वर्ष पुराने लाहौर गोलाबारी मामले में गिरफ्तार किया गया था। फिर 5 हफ्ते बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।\
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1928 में उन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन असोसिएशन (HRA) की स्थापना की जो बाद में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) में तब्दील हो गया था। इस संगठन में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और चंद्रशेखर आजद जैसे क्रांतिकारी भी शामिल थे।
1928 में अंग्रेजों के साइमन कमिशन के खिलाफ लाला लाजपत राय के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया जिसमें लाला लाजपत राय को पुलिस बुरी तरह से लाठियों से पीटकर घायल कर दिया। इसका बदला लेने के लिए एचएसआरए के सदस्यों सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट की हत्या की योजना बनाई।
17 अक्टूबर, 1928 में उन्होंने अपनी योजना को लाहौर जिला पुलिस मुख्यालय में को अंजाम दिया और लेकिन उन्होंने भूलवश स्कॉट को छोड़ दिया और उनके सहायक जॉन पी सॉन्डर्स की हत्या कर दी।
इसके बाद सरदार भगत सिंह ने सरकारी कानूनों का विरोध करने के लिए सेंट्रल एसेंबली में बमबारी करने का प्लान बनाया। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अपनी योजना को अंजाम दिया और असेंबली में बम फेंके। इस बमबारी का मकसद किसी को मारना नहीं था। इसमें कुछ सदस्य घायल हो गए थे। बम फेंकने के बाद वह असेंबली से भागे नहीं बल्कि इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए वहीं खड़े रहे। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और बाद में फांसी की सजा सुनाई गई।
इन घटनाओं के बाद उन्हें 23 मार्च 2021 को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया। इस दिन को अब शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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