बिहार में आईटीआई की 5000 सीटें रह गईं खाली
बिहार के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में इस साल लगभग 5000 सीटें खाली रह गईं। कुल 149 सरकारी आईटीआई में 26 हजार से अधिक सीटों पर दाखिला के लिए प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा हुई थी। इसमें...
बिहार के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में इस साल लगभग 5000 सीटें खाली रह गईं। कुल 149 सरकारी आईटीआई में 26 हजार से अधिक सीटों पर दाखिला के लिए प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा हुई थी। इसमें से लगभग 19 फीसदी सीटें खाली रह गईं। कुछ ट्रेडों में 90 फीसदी तक सीटें खाली रह गईं। जो सीटें खाली रह गईं उनमें तीन हजार नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) और स्टेट काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एससीवीटी) के तहत चलने वाले आईटीआई की दो हजार सीटें हैं।
बिहार में 149 सरकारी आईटीआई में 45 को एनसीवीटी से मान्यता मिलीहै। जिन 104 आईटीआई में बुनियादी सुविधाएं बहुत दुरुस्त नहीं हैं, उनका संचालन बिहार सरकार एससीवीटी से करा रही है। आईटीआई में दाखिले के लिए राज्य स्तरीय प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पिछले साल हुई थी। परीक्षा के बाद दो बार काउंसिलिंग हुई। दो काउंसिलिंग के बाद श्रम संसाधन विभाग ने पाया कि आईटीआई में मात्र 17 हजार 754 सीटों पर ही दाखिला हो सका और 8735 सीटें खाली रह गईं।
सीटें खाली रहने पर बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से एनसीवीटी से संचालित आईटीआई के लिए एक-दो और काउंसिलिंग कराने का अनुरोध किया, ताकि छात्रों को मौका मिल सके। लेकिन केंद्र सरकार ने देशव्यापी व्यवस्था का हवाला देते हुए राज्य सरकार के इस अनुरोध को खारिज कर दिया। इसके उलट जो आईटीआई एससीवीटी से संचालित हो रही हैं, उनके लिए दो और काउंसिलिंग कराए गए तो इसमें लगभग तीन हजार छात्रों का दाखिला हो गया। हालांकि एससीवीटी से चलने वाले आईटीआई में भी लगभग 2000 सीटें खाली रह गईं।
कई ट्रेड हो चुके हैं अनुपयोगी
आईटीआई में अब कुछ ऐसे ट्रेड हैं, जो बाजार की मांग के अनुसार न होने से अनुपयोगी हो चुके हैं। मौजूदा समय में इन ट्रेडों में एक-दो छात्र ही आते हैं। उदाहरण के तौर पर बेकर एंड कन्फेक्शनर की 32 में से 30 सीटें, हाउसकीपर की 40 में से 34, फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग की 62 में से 51 तो मल्टीमीडिया की 32 में से 22 सीटें खाली रह गई हैं।
कुछ चर्चित ट्रेडों में भी सीटें खाली
आम तौर पर इलेक्ट्रिशियन, फीटर, मैकेनिस्ट, वायरमैन, टर्नर, डीजल मैकेनिक जैसे ट्रेडों में प्रशिक्षण लेने की दिलचस्पी छात्रों में अधिक होती है। लेकिन इन ट्रेडों में भी कुछ सीटें खाली रह गई हैं। अधिकारियों के अनुसार इन ट्रेडों में कोटा की सीटें खाली रह जाती हैं। मसलन, एससी-एसटी, ओबीसी, सैनिक, दिव्यांग, स्वतंत्रता सेनानी आदि आरक्षित कोटा की सीटों पर छात्र नहीं आ पाते हैं।
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