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10वीं व 12वीं परीक्षा में 65 लाख से ज्यादा फेल, एमपी बोर्ड और यूपी बोर्ड में सबसे ज्यादा असफल छात्र: शिक्षा मंत्रालय

  • पिछले साल देशभर में 65 लाख से अधिक विद्यार्थी कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पास नहीं हो सके। विभिन्न राज्य बोर्ड में फेल होने की दर केंद्रीय बोर्ड की तुलना में अधिक थी। शिक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी।

Pankaj Vijay भाषाThu, 22 Aug 2024 06:58 AM
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पिछले साल देशभर में 65 लाख से अधिक विद्यार्थी कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पास नहीं हो सके। विभिन्न राज्य बोर्ड में फेल होने की दर केंद्रीय बोर्ड की तुलना में अधिक थी। शिक्षा मंत्रालय (एमओई) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। देश में 56 राज्य बोर्ड और तीन राष्ट्रीय बोर्ड सहित 59 स्कूल बोर्ड के कक्षा 10वीं और 12वीं के परिणामों के विश्लेषण से पता चला है कि सरकारी स्कूलों से कक्षा 12वीं की परीक्षा में अधिक लड़कियां शामिल हुईं, लेकिन निजी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में स्थिति इसके विपरीत है।

 

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''कक्षा 10वीं के करीब 33.5 लाख छात्र अगली कक्षा में नहीं पहुंच पाए। 5.5 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 28 लाख फेल हो गए।''

 

इसी तरह, कक्षा 12वीं के लगभग 32.4 लाख छात्र पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। जबकि 5.2 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए, 27.2 लाख छात्र अनुत्तीर्ण हो गए। कक्षा 10वीं में, केंद्रीय बोर्ड में छात्रों के अनुत्तीर्ण होने की दर छह प्रतिशत थी, जबकि राज्य बोर्ड में यह दर 16 प्रतिशत थी। कक्षा 12वीं में, केंद्रीय बोर्ड में असफलता दर 12 प्रतिशत है, जबकि राज्य बोर्ड में यह दर 18 प्रतिशत है।

 

मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि दोनों कक्षाओं में मुक्त विद्यालय का प्रदर्शन खराब रहा। कक्षा 10वीं में सबसे ज्यादा फेल होने वाले छात्र मध्य प्रदेश बोर्ड से थे, उसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश का स्थान था। जबकि कक्षा 12वीं में सबसे ज्यादा फेल होने वाले छात्र उत्तर प्रदेश से थे, उसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान था।

 

अधिकारी ने कहा, ''2023 में छात्रों के समग्र प्रदर्शन में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है। यह परीक्षा के लिए बड़े पाठ्यक्रम के कारण हो सकता है।'' सरकारी स्कूलों से कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में अधिक लड़कियां शामिल हुईं।

 

अधिकारी ने कहा, ''यह अभिभावकों द्वारा शिक्षा पर खर्च करने में लैंगिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है। कुल 59 परीक्षा बोर्ड ने अपने नतीजे घोषित किए, जिनमें तीन राष्ट्रीय बोर्ड और 56 राज्य बोर्ड शामिल हैं। परीक्षाओं में पाठ्यक्रम की एक विस्तृत शृंखला शामिल थी, कुछ बोर्ड गैर-एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन कर रहे थे। छात्रों की बड़ी संख्या के बावजूद, उत्तीर्ण प्रतिशत एक चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

 

कक्षा 10वीं में, बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले लगभग 1.85 करोड़ छात्रों में से 84.9 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए। हालांकि, लगभग 33.5 लाख छात्र अनुत्तीर्ण होने या अनुपस्थित रहने के कारण कक्षा 11 में नहीं जा पाए। कक्षा 12वीं में, उपस्थित होने वाले 1.55 करोड़ छात्रों में से लगभग 82.5 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए। नेपाली और मणिपुरी भाषाओं में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों में सबसे अधिक दर (85.3 प्रतिशत प्रत्येक) थी। छात्रों की एक महत्वपूर्ण संख्या 32.4 लाख ने 12वीं की शिक्षा पूरी नहीं की, या तो असफल रहे या परीक्षा में शामिल नहीं हुए।

कुल मिलाकर, 2023 में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने में 55 लाख से अधिक उम्मीदवार असफल रहे। कक्षा 10वीं और 12वीं दोनों के लिए अलग-अलग भाषाओं में परीक्षा देने वाले छात्रों के प्रदर्शन में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं देखा गया। हालांकि, क्षेत्रों और बोर्ड के प्रकारों के बीच असमानताएं स्पष्ट हैं, जो मानकीकरण की आवश्यकता को उजागर करती हैं।

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