पुरानी शिक्षक भर्ती में BEd वालों को बाहर कर आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती: कोर्ट
- डीएलएड अभ्यर्थी की याचिका पर कोर्ट ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करें कि पुरानी शिक्षक भर्ती बीच में छोड़कर तीन वर्ष बाद उन रिक्तियों को शामिल करते हुए क्यों फिर से भर्ती विज्ञप्ति जारी की गई है।
पहले की शिक्षक भर्ती को बीच में छोड़कर 2024 में दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को लेकर हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से नाराजगी जताई है। मनोज पांडेय एवं अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि जब एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ये कहा गया था कि 451 पदों की भर्ती की जाएगी, तो जो अभ्यर्थी उस भर्ती में पात्र थे उनकी भर्ती बीच में छोड़कर तीन वर्ष बाद उन रिक्तियों को शामिल करते हुए क्यों फिर से भर्ती विज्ञप्ति जारी की गई है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने की। कोर्ट ने सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत से यह भी कहा है कि वह संबंधित आधिकारिक फाइल कोर्ट में पेश करेंगे, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि पूर्व में निर्गत भर्ती प्रक्रिया सितंबर 2021 से गतिमान थी। उसे बीच में छोड़कर पुन उन रिक्तियों को वर्ष 2024 की भर्तियों में किसके आदेश से शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि इस याचिका में मनोज पांडेय एवं अन्य ने हाईकोर्ट को अवगत कराया था कि वह डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) की योग्यता रखते हैं और सहायक अध्यापक बनने की पात्रता रखते हैं। लेकिन उनकी भर्ती प्रक्रिया को 2021 में बीच में ही छोड़कर सरकार ने 2024 में पुन भर्ती विज्ञप्ति निकाल दी। मंगलवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से भी कोर्ट में अपने तर्क दिए गए। इस पर उच्च न्यायालय ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता से पूछा है कि वह यह बात स्पष्ट करें कि पुरानी भर्ती में बीएडधारकों को बाहर करके योग्य अभ्यर्थियों का चिह्नीकरण कर आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती है? कोर्ट ने इसपर एक विस्तृत शपथपत्र सरकार को अगले सप्ताह तक दाखिल करने को कहा है।
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