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NEET: विदेश से MBBS करना चाह रहे छात्रों के लिए नियम जारी, क्या है भारत में डॉक्टर बनने का क्राइटेरिया

  • MBBS Admission : एनएमसी ने स्टूडेंट्स को विदेश के उन मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने को लेकर आगाह किया है जो फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइंसेंशिएट्स (एफएमजीएल) रेगुलेशंस 2021 की शर्तों पर खरे नहीं उतरते।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 28 Nov 2024 12:16 PM
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एनएमसी यानी नेशनल मेडिकल कमिशन ने विदेशी मेडिकल कॉलेजों व विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस डिग्री कोर्स करना चाह रहे छात्र छात्राओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। देश में मेडिकल एजुकेशन व संस्थानों की निगरानी करने वाली संस्था एनएमसी ने स्टूडेंट्स को विदेश के उन मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने को लेकर आगाह किया है जो फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइंसेंशिएट्स (एफएमजीएल) रेगुलेशंस 2021 की शर्तों पर खरे नहीं उतरते। ताजा एडवाइजरी में एनएमसी ने एक बार फिर दोहराया है कि विदेश में मेडिकल एजुकेशन प्राप्त करने के इच्छुक छात्रों को किसी भी विदेशी संस्थान में एमबीबीएस में दाखिला लेने से पहले एफएमजीएल विनियमों का पालन सुनिश्चित करना जरूरी है।

एडवाइजरी में इस बात पर जोर दिया गया है कि एफएमजीएल रेगुलेशंस 2021 की शर्तों, जैसे कि कोर्स की अवधि, पढ़ने पढ़ाने का मीडियम, सिलेबस, क्लिनिकल ट्रेनिंग नियमों का उल्लंघन होता है तो वह भारत में डॉक्टरी करने का लाइसेंस हासिल करने के लिए अयोग्य हो जाएगा। दरअसल एनएमसी ने पाया है कि पहले की चेतावनियों के बावजूद भी कई छात्र अभी भी विदेशों में निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ले रहे हैं जो एनएमसी द्वारा तय मानकों का पालन नहीं करते हैं। ये संस्थान अक्सर कोर्स की अवधि, सिलेबस, पढ़ाने का मीडियम और क्लीनिकल ट्रेनिंग या इंटर्नशिप के संबंध में एनएमसी दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं।

एडवाइजरी के मुख्य बातें

भारत में एलोपैथी डॉक्टर के तौर पर रजिस्ट्रेशन कर लाइसेंस पाने के लिए निम्न मानकों को पूरा करना जरूरी है-

- एमबीबीएस कोर्स की अवधि कम से कम 54 महीने हो और उसी विदेशी चिकित्सा संस्थान में अतिरिक्त 12 महीने की इंटर्नशिप।

- ट्रेनिंग सहित कोर्स की कुल अवधि 10 वर्षों के भीतर पूरी की जानी आवश्यक है।

- विदेश से हासिल की मेडिकल डिग्री अंग्रेजी में प्राप्त की होनी आवश्यक है।

- सिलेबस और क्लीनिकल ट्रेनिंग भारतीय एमबीबीएस कोर्स के बराबर होना चाहिए जिसमें सामान्य चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, बाल रोग, मनोचिकित्सा, प्रसूति विज्ञान आदि जैसे विशेष विषय शामिल हों।

- कोर्स के दौरान क्लीनिकल ​​विषयों में हैंड्स ऑन ट्रेनिंग अनिवार्य है।

- आयोग में आवेदन करने के बाद भारत में 12 महीने की इंटर्नशिप भी पूरी करनी आवश्यक है।

- विदेश से डॉक्टरी कर रहे छात्र की मेडिकल डिग्री को उस देश के नियामक निकाय द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए।

- मेडिकल ग्रेजुएट को उस देश में उसके नागरिकों के समान मेडिसिन की प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलना चाहिए।

- स्थायी पंजीकरण के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) या अन्य अनिवार्य टेस्ट पास करना आवश्यक है।

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