NEET PG काउंसलिंग से पहले आई अच्छी खबर, MD MS समेत मेडिकल पीजी कोर्स की राह हुई आसान
- मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स के फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता शर्तों में बदलाव किया गया है। एनएमसी ने कहा है कि अब मेडिकल पीजी छात्रों के लिए फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने को लेकर थीसिस की मंजूरी और स्वीकृति लेना अनिवार्य नहीं है।
नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है। मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स के फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता शर्तों में बदलाव किया गया है। एनएमसी ने कहा है कि अब मेडिकल पीजी छात्रों के लिए फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने को लेकर थीसिस की मंजूरी और स्वीकृति लेना अनिवार्य नहीं है। मेडिकल पीजी छात्रों के तनाव और दवाब को कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। एनएमसी के पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईबी) के अध्यक्ष डॉ. विजय ओझा द्वारा मेडिकल कॉलेजों को लिखे गए पत्र के अनुसार छात्र अपने हेड ऑफ डिपोर्टमेंट (एचओडी) और मेडिकल कॉलेज के डीन के जरिए विश्वविद्यालय में अपनी थीसिस जमा करेंगे।
मिंट द्वारा की गई पत्र की समीक्षा के मुताबिक, "यदि छात्र ने एचओडी से थीसिस की मंजूरी नहीं ली है तो उसे परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता है।" मेडिकल एजुकेशन नियामक के निर्देशों का मकसद विभागाध्यक्षों द्वारा पीजी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कथित उत्पीड़न संबंधी चिंताओं को दूर करना है।
दरअसल हाल में देहरादून, पटियाला और भोपाल में छात्रों की आत्महत् के मामले सामने आए हैं। छात्रों पर दबाव कम करने के लिए एनएमसी की यह पहल कोलकाता में एक युवा महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में चल रहे डॉक्टरों के आंदोलन के मद्देनजर आई है।
पीजीएमईबी ने मेडिकल कॉलेजों को 31 दिसंबर तक फाइनल एग्जाम पूरे करने की बात कही है। जुलाई में विभिन्न स्वास्थ्य विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में एनएमसी को 2021 पीजी बैच के लिए फाइनल एग्जाम को लेकर रिसर्च व थीसिस की शर्त होने के बारे में चिंताओं से अवगत कराया गया था। एनएमसी ने साफ किया था कि पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन (पीजीएमईआर), 2023 के प्रावधानों के अनुसार सभी स्पेशियलिटी और सुपर-स्पेशियलिटी स्टूडेंट्स रिसर्च बेस्ड थीसिस लिखेंगे।
पहले थीसिस के लिए कोई मार्क्स नहीं थे, लेकिन फाइनल परीक्षा में बैठने के लिए विभागाध्यक्ष या डीन द्वारा मंजूरी एक शर्त थी। जिस छात्र की थीसिस मंजूर नहीं होती थी, वह परीक्षा नहीं दे सकता था।
पत्र में कहा गया है, "राज्य के बाहर के बाहरी परीक्षक थीसिस का मूल्यांकन करेंगे और उस पर वायवा लेंगे। थीसिस की गुणवत्ता और वायवा में प्रदर्शन के आधार पर अंक दिए जाएंगे।" स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता को ईमेल से भेजे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं मिला।
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