NEET : MBBS, BDS सीटों के दिल्ली कोटा नियमों पर विवाद, कोर्ट बोला- डमी स्कूलों पर कार्रवाई करें CBSE व सरकार
- उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे स्कूलों का इस्तेमाल अन्य राज्यों के छात्रों को दिल्ली के डोमिसाइल का लाभ देने के लिए किया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार और सीबीएसई को उन डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जो कथित तौर पर छात्रों को कक्षाओं में उपस्थित हुए बिना परीक्षा देने की सुविधा देते हैं। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसे धोखाधड़ी कहा है। पीठ ने कहा कि ऐसे स्कूल छात्रों को केवल कोचिंग कक्षाओं में उपस्थित होने और गलत जानकारी के आधार पर परीक्षा देने की अनुमति नहीं दे सकते। यह देखा गया है कि छात्र स्कूलों में कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते हैं; बल्कि कोचिंग सेंटरों में समय बिताते हैं। हालांकि, उन्हें शिक्षा बोर्डों द्वारा परीक्षा देने की अनुमति दी जाती है, जबकि परीक्षा में हाजिर होने के लिए अपेक्षित न्यूनतम उपस्थिति दर्ज कराने की आवश्यकता होती है।
पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया। याचिका में राजीव अग्रवाल ने डीएसक्यू के तहत एमबीबीएस या बीडीएस सीटें देने के लिए डीयू व गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा लागू पात्रता मानदंड को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि डमी स्कूलों ने बाहरी छात्रों को डीएसक्यू कोटा का लाभ उठाने का प्लेटफॉर्म दिया है। ये स्टूडेंट्स बाहर से 10वीं पास करके आते हैं। दिल्ली के डमी स्कूल अपने यहां से इन्हें बिना क्लास अटेंड किए 11वीं 12वीं करवाते हैं। जबकि डीएसक्यू कोटा सीटें दिल्ली के असल निवासियों को अलॉट होनी चाहिए।
अब तक की गई कार्रवाई पर हलफनामा मांगा
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि डमी स्कूल की कोई अवधारणा नहीं है। सरकार की तरफ से दावा किया कि फर्जी दाखिले के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को अपने संबद्धता नियमों का पालन करना अनिवार्य है, ऐसा न करने पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती है। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि अधिकारियों के पास किसी भी डमी स्कूल के बारे में कोई शिकायत नहीं है। सीबीएसई के वकील ने कहा कि देश भर में 300 से अधिक डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पीठ ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर दिल्ली सरकार और सीबीएसई से हलफनामा मांगा है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे स्कूलों का इस्तेमाल अन्य राज्यों के छात्रों को दिल्ली के डोमिसाइल का लाभ देने के लिए किया जा रहा है।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोचिंग सेंटरों द्वारा ऐसे स्कूलों का उपयोग एक वेब-सीरीज में दिखाया गया था, जो राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले छात्रों पर आधारित है। अदालत ने कहा, 'ऐसा लगता है कि आपके विभाग ने इसे नहीं देखा है।' इस मामले की अगली सुनवाई मई में होगी।
इससे पहले साल 2023 में भी कोर्ट ने कहा था कि डमी स्कूल की वृद्धि उन छात्रों को नुकसान पहुंचाती है जो वास्तव में स्थानीय शिक्षा की पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं, लेकिन उनके बजाय अयोग्य छात्र दिल्ली स्टेट कोटे (DSQ) से सीटें हासिल कर लेते हैं। यही वजह है कि दिल्ली स्टेट कोटा की एमबीबीएस और बीडीएस सीटों पर प्रवेश के लिए अनिवार्य पात्रता मानदंडों में से एक के रूप में निवास प्रमाण पत्र (दिल्ली का रेजिडेंशियल प्रूफ) के मानदंड को भी शामिल करने की मांग उठती रही है।
इस मामले की सुनवाई अब मई में होगी।
क्या है डमी स्कूल
'डमी स्कूल' आम स्कूलों की तरह होते हैं बस यहां ऐसे छात्रों को नियमित कक्षाओं के लिये आने की जरूरत नहीं होती जो जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी कर रहे होते हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है।
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