Hindi Newsकरियर न्यूज़MDS : Even after 6 years of notification no dental pg course in Patna Dental College 44 seats for BDS

पटना डेंटल कॉलेज में नोटिफिकेशन के 6 वर्ष बाद भी MDS नहीं शुरू हो सका, BDS की हैं 44 सीटें

  • पटना डेंटल कॉलेज में पीजी का पढ़ाई शुरू होने का नोटिफिकेशन छह साल पहले आया था। प्रोफेसर की नियुक्ति भी हो गई थी। लेकिन अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, प्रमुख संवाददाता, पटनाThu, 26 Sep 2024 08:05 AM
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छह साल पहले नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भी पटना डेंटल कॉलेज में पीजी का पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। वह भी तब जब यहां इसके लिए प्रोफेसर की तैनाती हो चुकी है। इससे यहां के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर होना पड़ रहा है। इससे दंत चिकित्सा के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य पिछड़ता जा रहा है। राज्य के सबसे पुराने डेंटल कॉलेज अस्पताल में पीजी का पढ़ाई नहीं होने का फायदा दूसरे राज्यों के सरकारी-निजी डेंटल कॉलेजों को मिल रहा है।

सरकार की ओर से 2018 में ही पटना डेंटल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत 25 नए शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों के सृजन की स्वीकृति मिली थी। इस प्रस्ताव को कैबिनेट और वित्त विभाग से भी स्वीकृति मिली थी। घोषणा के बाद कोरोना का प्रकोप आ गया। उसके बाद पीजी में पढ़ाने के लिए 2022 में कुछ प्रोफेसरों की नियुक्ति भी की गई। नियुक्ति के दो साल बाद भी पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई।

पटना डेंटल कॉलेज के बीडीएस (अंडर ग्रेजुएट) में कुल 44 सीटों पर नामांकन होता है। इसके बाद सिर्फ एक विषय में दो पदों पर पीजी की पढ़ाई स्वीकृत है। उसमें से एक केन्द्रीय कोटा के लिए आरक्षित है। वहां कार्यरत एक प्रोफेसर ने बताया कि अगर पीजी की पढ़ाई शुरू होती तो राज्य के मेधावी बच्चे बाहर नहीं जाते। दूसरे गरीब बच्चों को भी बेहद कम शुल्क पर उच्च शिक्षा ग्रहण करने का मौका उपलब्ध होता।

पढ़ाई होती तो कॉलेज का बढ़ता स्टैंडर्ड प्राचार्य

पटना डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. तनोज कुमार ने कहा कि पटना डेंटल कॉलेज देश के सबसे पुराने पांच डेंटल कॉलेजों में से एक है। इसके साथ खुले दिल्ली और लखनऊ के डेंटल कॉलेजों में सभी नौ विषयों में पीजी की पढ़ाई वर्षों से चल रही है। यहां भी प्रोफेसरों की तैनाती हो गई है। सरकार को पीजी की पढ़ाई शुरू कराना चाहिए था। पहले दो विषयों में यहां नामांकन होता था। लेकिन 2001 में क्लीनिकल पैथौलॉजी में पीजी की पढ़ाई बंद हो गई। एक विषय प्रोस्थोडोंटिक्स में दो सीटों पर नामांकन होता है, अन्य आठ विषयों में नहीं।

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