Hindi Newsकरियर न्यूज़Interesting stories on Teachers Day : some are teaching for Rs 1 BTech students are running a unique school in MNNIT

गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए किसी ने छोड़ी पढ़ाई, कोई 1 रुपये में पढ़ा रहा, BTech छात्र MNNIT में चला रहे अनोखा स्कूल

  • इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमएससी मैथ्स की पढ़ाई कर रहे विवेक ने सड़क किनारे झोपड़ पट्टी में रहकर मूर्ति बनाने वालों के बच्चों को चंद्रशेखर आजाद पार्क के सामने पढ़ाने से शुरुआत की। इन्हें पढ़ाने के चक्कर में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, प्रयागराज, हिन्दुस्तान टीमThu, 5 Sep 2024 05:28 AM
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झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को शिक्षित कर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विवेक कुमार दुबे ने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमएससी मैथ्स की पढ़ाई कर रहे विवेक ने सड़क किनारे झोपड़ पट्टी में रहकर मूर्ति बनाने वालों के बच्चों को चंद्रशेखर आजाद पार्क के सामने पढ़ाने से शुरूआत की। इन्हें पढ़ाने के चक्कर में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। 2015 में शुरू की गई इस मुहिम को वह आगे चलकर कीडगंज, मुट्ठीगंज में यमुना किनारे बनी झुग्गी-झोपड़ी तक ले गए फिर नैनी और शंकरगढ़ में इसका विस्तार किया। यह काम इतना आसान नहीं था, इसे करने के ले उन्हें तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। विवेक कई बार निराश हुए पर उम्मीद नहीं छोड़ी। इस काम को करने के लिए उन्होंने एक पहल शिक्षा समिति बनाई, कोई सवाल न उठे इसलिए इसकी कमान भी उन्होंने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली उन्हीं बच्चियों को सौंप दी, जिन्होंने उनकी पहल पर शिक्षा लेकर एमए तक की डिग्री हासिल की। समिति द्वारा वर्तमान में कुल 52 सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जहां गरीबों के 1100 बच्चे मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दो कम्प्यूटर लैब भी स्थापित की गई है, जहां 100 बच्चों को कम्प्यूटर सिखाया जा रहा है। इन बच्चों को 52 बाल शिक्षक और 15 वरिष्ठ शिक्षक पढ़ा रहे हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने वाले उनके सेंटर की तीन लड़कियों को हाल में एक निजी कंपनी में नौकरी भी मिली। इनमें से एक लड़की ने अपनी कमाई से स्कूटी भी खरीद ली है।

भावी टेक्नोक्रेट्स चला रहे ‘अनोखा स्कूल’

मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में 2018 यानी छह वर्ष पहले गरीब बच्चों के लिए ‘अनोखी पहल’ नाम से एक शैक्षिक प्रयास शुरू किया गया था। संस्थान से बीटेक कर रहे छात्र-छात्राएं परिसर में शाम को संस्थान के आसपास के मोहल्लों में रहने वाले गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहे हैं। इनकी क्लास में नर्सरी से लेकर 12वीं तक के बच्चे शामिल होते हैं। संस्थान के छात्र इन बच्चों को किताबी के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान देते और इनकी योग्यता का सतत मूल्यांकन भी करते रहते हैं। यही वजह है कि यहां से पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं का बोर्ड परीक्षा में भी उम्दा प्रदर्शन हो रहा है। वर्तमान में 251 बच्चे अनोखी पहल से पढ़ाई कर रहे हैं। संस्थान से बीटेक कर रहे लक्ष्य प्रताप सिंह, अभिषेक कश्यप व उपासना वर्मा समेत कई छात्र इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

इस स्कूल में एक रुपये फीस पर पढ़ रहे गरीब छात्र

प्रयागराज। संगमनगरी में अलोपीबाग रामलीला पार्क के पीछे खुले शुरूआत प्ले स्कूल में प्रतिदिन एक रुपये फीस पर गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। कंप्यूटर, कुर्सी, मेज और लाइब्रेरी से सुसज्जित आकर्षक स्कूल उन बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो पहले दिनभर भीख मांगते थे या कूड़ा बीनने में लगे रहते थे। अभिषेक और उनके साथियों ने आठ साल पहले निर्धन और मलिन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। अलोपीबाग चुंगी के पास की मलिन बस्तियों और फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ रहने वाले छोटे बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के मकसद से उन्हें प्रतिदिन शाम चार से छह बजे तक तिंरगा पार्क और तिकोनिया चौराहा पर पढ़ाया जाता था। सात अप्रैल 2022 को अलोपीबाग रामलीला पार्क के पीछे किराए के मकान में प्ले स्कूल की शुरुआत हुई। वर्तमान में तीन से दस साल के लगभग पचास बच्चों को इस प्ले स्कूल में पढ़ाया जा रहा है।

गरीब बच्चों को शिक्षा के साथ दे रहे संस्कार

प्रयागराज। सामाजिक संगठन श्री संस्कार वाटिका न्यास के सदस्य गरीब बच्चों के बीच जाकर उन्हें निशुल्क शिक्षित एवं संस्कारित कर रहे हैं। 2018 से निशुल्क शिक्षा का सेवा प्रकल्प नैनी में चलाया जा रहा है। संस्था के अध्यक्ष अभिनव शर्मा ने बताया कि मम्फोर्डगंज के राधा कृष्ण पार्क में तीन बच्चों से यह यात्रा शुरू हुई थी। हमारे पढ़ाए बच्चे इंडियन एयर फोर्स, रेलवे सहित मेडिकल के भी क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ रहे हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी एवं योगा में परास्नातक एवं बीएड अभिनव शर्मा के साथ पंकज वर्मा, चंचल, रिया, सुरेश, रमाकांत, काजल व नीरज अध्यापन में जुटी हैं। बच्चों के पढ़ने के लिए ग्रामीणों के सहयोग से तीन कमरों का भी निर्माण किया गया है।

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