कहीं बदल न जाए JEE Advanced टॉपरों की पसंद, IIT बॉम्बे को पछाड़ टॉप यूनिवर्सिटी बना IIT दिल्ली
- वर्ल्ड रैंकिंग में आईआईटी दिल्ली ने आईआईटी बॉम्बे को पछाड़ दिया है। हाल ही में जारी क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारतीय विश्वविद्यालयों में आईआईटी दिल्ली ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
आमतौर पर जेईई एडवांस्ड टॉपरों की पहली पसंद आईआईटी बॉम्बे रहता है। इस साल भी जेईई एडवांस्ड के पहले 100 टॉपरों में से 72 ने आईआईटी बॉम्बे के चुना। लेकिन वर्ल्ड रैंकिंग को देखा जाए तो निकट भविष्य में आईआईटी दिल्ली टॉपरों की फर्स्ट चॉइस बन सकता है। वर्ल्ड रैंकिंग में आईआईटी दिल्ली ने आईआईटी बॉम्बे को पछाड़ दिया है। हाल ही में जारी क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारतीय विश्वविद्यालयों में आईआईटी दिल्ली ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। महाद्वीप में 44वें स्थान पर काबिज आईआईटी दिल्ली एक वर्ष में दो पायदान ऊपर आया है और इसने आईआईटी बॉम्बे को पीछे छोड़ दिया है। वहीं आईआईटी बॉम्बे पिछले मूल्यांकन के बाद से 8 पायदान नीचे खिसककर 48वें स्थान पर आ गया है। एशिया के टॉप 100 संस्थानों में छह भारतीय विश्वविद्यालय शामिल हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आईआईटी दिल्ली की तेज तरक्की के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं जैसे रिसर्च का असर, एकेडमिक प्रतिष्ठा का बढ़ना, पीएचडी धारकों की फैकल्टी का बढ़ता अनुपात। आईआईटी दिल्ली की रैंकिंग सेल के प्रमुख और नियोजन के डीन प्रोफेसर विवेक बुवा ने कहा, 'यहां टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट, स्टार्टअप और समाज की मदद करने वाली समस्याओं को हल करने पर बहुत जोर दिया जा रहा है।"
दुनिया की प्रतिष्ठित क्यूएस एशिया रैंकिंग में भारतीय संस्थानों में आईआईटी दिल्ली के बाद आईआईटी बॉम्बे (48वीं रैंक) दूसरे स्थान पर है। हालांकि पिछले साल की तुलना में यह आठ पायदान नीचे गिरा है। कई अन्य भारतीय संस्थानों ने भी रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन किया, हालांकि कई में मामूली गिरावट देखी गई। आईआईटी मद्रास 53वें से 56वें स्थान पर आ गया है। आईआईएससी बैंगलोर 58वें से 62वें स्थान पर आ गया और आईआईटी कानपुर पिछली बार के मुकाबले 63वें से 67वें स्थान पर खिसक गया।
इन मानकों पर तय होती है रैंकिंग
- इंटरनेशनल फैकल्टी, पीएचडी वाला स्टाफ, स्टूडेंट और फैकल्टी का अनुपात, इनबाउंड एक्सचेंज, एकेडमिक प्रतिष्ठा, साइटेशन प्रति पेपर, पेपर्स प्रति फैकल्टी, इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क, इंटरनेशनल स्टूडेंट, विदेशी छात्रों से नॉलेज का आदान प्रदान, नियोक्ताओं के बीच साख ।
आईआईटी दिल्ली के 2022 में साइटेशन - 118520
आईआईटी दिल्ली के 2023 में साइटेशन - 128569
स्पॉन्सर्ड रिसर्च डेवलपमेंट फंडिंग
वर्ष 2022-23- 305.1 करोड़
वर्ष 2023-24 - 473 करोड़
कितने पीएचडी स्टूडेंट्स निकले
वर्ष 2022-23- 355
वर्ष 2023-24 - 481
दरअसल क्यूएस रैंकिंग प्रमुख मापदंडों पर तय होती है, उन पैमानों पर आईआईटी दिल्ली में काफी सुधार हुआ है। आईआईटी दिल्ली की सफलता को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में से एक 'प्रति पेपर साइटेशन' है। इसमें रिसर्च के असर को दिखाया जाता है। पेपर/पब्लिकेशन प्रति फैकल्टी भी एक महत्वपूर्ण पैमाना है जिसमें संस्थान ने 100 में से 95 अंक प्राप्त किए है।
भारत सरकार की एनआईआरएफ रैंकिंग 2024 में दूसरी रैंक (पहले पर आईआईटी मद्रास) पाने वाले आईआईटी दिल्ली में लगभग 640 रेगुलर फैकल्टी है। संस्थान के हर साल औसतन सात पब्लिकेशन प्रति फैकल्टी रहे। बुवा ने कहा, "हम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों कंपनियों के साथ-साथ भारत में सरकारी लैब के साथ सहयोग करते हैं।"
इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस इनिशिएटिव के तहत स्टेट ऑफ आर्ट रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर व उपकरणों की स्थापना के लिए 200 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए थे। हमने अपने स्वयं के संसाधनों का भी उपयोग किया। इन निवेशों ने हमारे रिसर्च आउटपुट की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को काफी बढ़ावा दिया। एकेडमिक प्रतिष्ठा पैरामीटर पर आईआईटी दिल्ली ने 100 में से 75.4 अंक प्राप्त किए। रोजगार से जुड़ी साख के मामले में इसने एशियाई विश्वविद्यालयों में 100 में से 99 अंक प्राप्त किए। संस्थान में एक ऑफिस बना हुआ है जो इसके साथ साझेदारी करने के लिए अग्रणी वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने का काम करता है। इसके अलावा हमारे पूर्व छात्र हमारी प्रतिष्ठा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमने नियोक्ताओं के बीच साख के मामले में भी 95 अंक प्राप्त किए।
आईआईटी दिल्ली, प्लानिंग, डीन ने कहा, 'संस्थान सक्रिय रूप से दुनिया भर के शिक्षाविदों से फीडबैक मांगता है। अबू धाबी कैंपस इस दिशा में अहम कदम है। जनवरी में हमने वहां एक मास्टर प्रोग्राम लॉन्च किया और सितंबर में हमने दो स्नातक कार्यक्रम शुरू किए।' इंटरनेशनल रिसर्च पैरामीटर में आईआईटी दिल्ली ने 100 में से 89 अंक प्राप्त किए जो इसके बड़े वैश्विक सहयोग को दिखाता है।
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