इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में डॉक्टर कैसे बनें, NEET से कैसे निकलता है रास्ता
- सेनाएं अपने विभिन्न मेडिकल प्रोग्राम्स के लिए एमबीबीएस ग्रेजुएट्स और फ्रेशर्स दोनों को रखती हैं। इन मेडिकल प्रोगाम्स को आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (एएफएमसी) की ओर से कराया जाता है।
इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में डॉक्टरी की जॉब आपको देश सेवा का मौका, अच्छी सैलरी और सुरक्षित भविष्य तीनों चीजें देती हैं। भारत में सेना के डॉक्टर का पद अन्य सेना अधिकारियों के समान होता है और उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ, पारिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी, यात्रा रियायतें, मेडिकल ट्रीटमेंट, आवास और मुफ्त राशन जैसे समान भत्ते मिलते हैं। इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों में डॉक्टर बनने के लिए सेलेक्शन राउंड में क्वालिफाई करना होता है। घायल व बीमार सैनिकों के इलाज के लिए तीनों सेनाओं के डॉक्टरों व मेडिकल एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है। सेनाएं अपने विभिन्न मेडिकल प्रोग्राम्स के लिए एमबीबीएस ग्रेजुएट्स और फ्रेशर्स दोनों को रखती हैं। इन मेडिकल प्रोगाम्स को आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (एएफएमसी) की ओर से कराया जाता है।
एएफएमसी (AFMC) क्या है
एएफएमसी यानी आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज। यह तीनों सेनाओं में से किसी में भी तरह के मेडिकल उम्मीदवारों के प्रवेश के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है। नीट परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर केवल कक्षा 12वीं पास उम्मीदवारों को प्रवेश दिया जाता है। आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (AFMC) महाराष्ट्र के पुणे में स्थित एक प्रतिष्ठित मेडिकल ट्रेनिंग संस्थान है। कॉलेज की देखरेख भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की जाती है।
सेनाओं में चयन के दो तरीके हैं - शॉर्ट सर्विस कमिशन और परमानेंट कमिशन। जो उम्मीदवार पहले से ही एमबीबीएस या बीडीएस स्नातक हैं, वे भारतीय सेना/नौसेना/वायुसेना द्वारा जारी शॉर्ट कमीशन भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं।
दूसरा परमानेंट कमीशन उन लोगों के लिए है जिन्होंने हाल ही में मुख्य विषय के रूप में पीसीबी के साथ कक्षा 12वीं की परीक्षा पास की है। इन उम्मीदवारों को नीट परीक्षा देनी होगी। नीट के स्कोरकार्ड से एएफएमएस (आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज) में प्रवेश देने के लिए किया जाता है। चयन प्रक्रिया में एसएसबी साक्षात्कार और मेडिकल शामिल है। मेरिट सूची के बाद उन्हें तीनों सेनाओं में से किसी एक में नियुक्त किया जाता है। प्रवेश के बाद उम्मीदवारों को मेडिकल कोर्स में एडमिशन मिलता है जिसमें उन्हें शुरू से ही एमबीबीएस या बीडीएस पढ़ाया जाता है। कोर्स पूरा करने के बाद उम्मीदवारों को स्थायी आधार पर तीनों सेनाओं में से किसी एक में डॉक्टर के रूप में नियुक्त किया जाता है। इन उम्मीदवारों को लेफ्टिनेंट का पद मिलता है।
परमानेंट कमीशन (पीसी)
परमानेंट कमीशन सशस्त्र बलों में लंबा करियर देता है जिसमें रैंक के जरिए आगे बढ़ने और पूर्ण सैन्य पेंशन के साथ सेवानिवृत्त होने का अवसर होता है। पीसी के लिए आयु सीमा एमबीबीएस के लिए 30 वर्ष, पीजी डिप्लोमा के लिए 31 वर्ष और पीजी डिग्री धारकों के लिए 35 वर्ष है। एसएससी अधिकारी 2 साल की सेवा पूरी करने के बाद और 9.5 साल से पहले विभागीय पीसी (डीपीसी) साक्षात्कार के लिए उपस्थित हो सकते हैं (पात्रता मानदंड पूरे करने पर)।
शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी)
एसएससी के तहत मिली नौकरी आमतौर पर 5 से 14 साल तक होती है। एसएससी के लिए ऊपरी आयु सीमा 45 वर्ष है। पुरुष और महिला दोनों डॉक्टरों को एएमसी में एसएससी पदों के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। चयन प्रक्रिया में साक्षात्कार और चिकित्सा परीक्षा शामिल होती है।
एएफएमसी
एएफएमसी में एमबीबीएस की 130 सीटें हैं। यहां नीट के जरिए एडमिशन लिया जा सकता है। एएफएमसी से एमबीबीएस कर आपको सेना के लिए सेवा करने का मौका मिलता है।
पात्रता मानदंड
एएफएमएस के लिए पात्र होने के लिए उम्मीदवारों के पास भारतीय विश्वविद्यालय या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से मान्यता प्राप्त किसी विदेशी संस्थान से एमबीबीएस, बीडीएस या एमडीएस जैसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता होनी चाहिए। उन्हें संबंधित राज्य चिकित्सा परिषद या एमसीआई के साथ पंजीकृत भी होना चाहिए।
आर्मी डेंटल कोर (एडीसी)
भारतीय सेना की अपनी एक डेंटल कोर भी है जो बीडीएस और एमडीएस स्नातकों के लिए परमानेंट कमीशन का मौका देता है। एडीसी में पीसी के लिए आयु सीमा बीडीएस के लिए 28 वर्ष और एमडीएस डिग्रीधारकों के लिए 30 वर्ष है।
रिमाउंट वेटरनरी कोर (आरवीसी)
भारतीय सेना की रीमाउंट वेटरनरी कोर शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए पुरुष पशु चिकित्सा स्नातकों (बीवीएससी/बीवीएससी और एएच) के लिए खुली है। इस प्रवेश के लिए आयु सीमा 21-32 वर्ष है।
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