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Children's Day Poem in Hindi: बाल दिवस के लिए प्यारी कविताएं

  • Bal Diwas Par Kavita: बाल दिवस के दिन स्कूलों में अलग-अगल कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। छात्रों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं और विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है। जिसमें कविता वाचन की प्रतियोगिता भी शामिल हैं।

Prachi लाइव हिन्दुस्तानWed, 13 Nov 2024 10:40 PM
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Children's Day Poem in Hindi: भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। बाल दिवस को 14 नवंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती होती है। जवाहरलाल नेहरू बच्चों को बहुत पसंद करते थे और वे बच्चों के भी बहुत प्रिय थे। बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर बुलाते थे। बाल दिवस के दिन स्कूलों में अलग-अगल कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। छात्रों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं और विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है। जिसमें कविता वाचन की प्रतियोगिता भी शामिल हैं।

आइए आपको बताते हैं कि बाल दिवस के अवसर पर आप कौन-कौन-सी कविताएं सुना सकते हैं। प्रतियोगिता में पहला ईनाम मिलेगा।

  1. कविता -1/ रामधारी सिंह 'दिनकर'

हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला,

सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।

सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूं,

ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं।

आसमान का सफ़र और यह मौसम है जाड़े का,

न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का।

बच्चे की सुन बात कहा माता ने, ‘‘अरे सलोने!

कुशल करें भगवान, लगें मत तुझको जादू-टोने।

जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ,

एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ।

कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,

बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा।

घटता-बढ़ता रोज़ किसी दिन ऐसा भी करता है,

नहीं किसी की भी आंखों को दिखलाई पड़ता है।

अब तू ही ये बता, नाप तेरा किस रोज़ लिवाएं,

सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आए।

2. कविता -2/ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

इब्न बतूता पहन के जूता,

निकल पड़े तूफान में।

थोड़ी हवा नाक में घुस गई

थोड़ी घुस गई कान में।

कभी नाक को कभी कान को।

मलते इब्न बतूता,

इसी बीच में निकल पड़ा उनके पैरों का जूता।

उड़ते-उड़ते उनका जूता,

जा पहुँचा जापान में।

इब्न बतूता खड़े रह गए,

मोची की दुकान में।

3. कविता-3/ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

चंदा मामा दौड़े आओ,

दूध कटोरा भर कर लाओ।

उसे प्यार से मुझे पिलाओ,

मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ।

मैं तैरा मृग-छौना लूँगा,

उसके साथ हँसूँ खेलूँगा।

उसकी उछल-कूद देखूँगा,

उसको चाटूँगा-चूमूँगा।

4. कविता-4/ बालस्वरूप राही

गाँधीजी के बन्दर तीन,

सीख हमें देते अनमोल ।

बुरा दिखे तो दो मत ध्यान,

बुरी बात पर दो मत कान,

कभी न बोलो कड़वे बोल ।

याद रखोगे यदि यह बात ,

कभी नहीं खाओगे मात,

कभी न होगे डाँवाडोल ।

गाँधीजी के बन्दर तीन,

सीख हमें देते अनमोल ।

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