Gandhi Jayanti Speech : गांधी जयंती पर सरल भाषण, फटाफट हो जाएगा याद
- Gandhi Jayanti Speech : 2 अक्टूबर को महान स्वतंत्रता सेनानी और 19वीं सदी के सबसे सम्मानित राजनेता राष्ट्रपति महात्मा गांधी की जयंती है। अगर आप गांधी जयंती पर किसी प्रतियोगिता में भाषण देना चाहते हैं तो नीचे दी गई स्पीच से उदाहरण ले सकते हैं।
Gandhi Jayanti Speech : भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। देशभर में गांधी जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश होता है। महात्मा गांधी के त्याग और देश की आजादी में अहम योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है। देश के लोगों ने उन्हें बापू कहकर पुकारा। गांधी जयंती पर भारत के विभिन्न शिक्षा संस्थानों में विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे वाद-विवाद, भाषण और निबंध लेखन का आयोजन होता है। यहां हम महात्मा गांधी जयंती पर छोटा और आसान भाषण दे रहे हैं जो आपको इनाम दिला सकता है।
Gandhi Jayanti Speech 2024: 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर भाषण
सभी आदरणीय अध्यापक गण और प्यारे मित्रों, आप सबको मेरा प्रणाम। आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर मैं उनके संघर्षमय और प्रेरणादायी जीवन पर आधारित भाषण प्रस्तुत कर रहा हूं।
दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। साथियों ये महात्मा गांधी का करिश्माई नेतृत्व ही था जिसने बिना हथियार उठाए भारत पर 200 सालों से राज कर रही ताकतवर ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
मार्टिन लूथर किंग, आइंस्टीन, नेल्सन मंडेला जैसी विश्व की बड़ी हस्तियां महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे। दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।”
आज 2 अक्टूबर को उसी करिश्माई नेतृत्व एवं शानदार व्यक्तित्व वाले, महान स्वतंत्रता सेनानी और 19वीं सदी के सबसे सम्मानित राजनेता महात्मा गांधी की जयंती है। पूरा देश महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दे रहा है। आजादी में उनके संघर्ष को याद कर रहा है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई था। पुतलीबाई काफी धार्मिक महिला थी और बचपन में अपने बेटे यानी गांधीजी को सत्यवादी हरिशचन्द्र व श्रवणकुमार की कहानियां सुनाती थीं। इससे गांधीजी सत्य व निर्भीकता के सिद्धांत के महत्व की ओर आकर्षित हुए। मां से सीखीं ये बातें उन्होंने जीवनभर पकड़कर रखीं। गांधी जी की उम्र महज 13 साल थी जब उनकी शादी पोरबंदर की कस्तूरबा से कर दी गई। कस्तूरबा से स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी का पूरा सहयोग किया।
लोग उन्हें आदर के साथ बापू कहकर बुलाते थे। भारत सरकार ने आज के दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया हुआ है। महात्मा गांधी की ताकत सत्य और अहिंसा के सिद्धांत थे। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर उन्होंने आजादी की लड़ाई में कई आंदोलन किए और अंग्रजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उनके चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, भारत छोड़ा आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया।
गांधी जी ने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व व विचारों से स्वतंत्रता आंदोलन को जबरदस्त धार दी। गांधी जी का जीवन ही उनकी संदेश है। उन्होंने कहा था कि मानवता पर भरोसा खोना नहीं चाहिए। मानवता एक समुद्र है। अगर समुद्र की कुछ बूंदें मैली हो जाएं तो समुद्र मैला नहीं हो जाता। बापू यह भी कहते थे कि जो काम अपने से हो सके वो काम दूसरों से न कराना। वह कहते थे कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।
गांधी जी ने न सिर्फ देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि समाज सुधार के कार्य भी किए। गांधी जी समाज में फैली बुराइयों जैसे छुआछूत, शराब, जातीय भेदभाव, असमानता, महिलाओं के साथ भेदभाव के भी घोर विरोधी थी। उन्होंने सिर्फ आजादी की ही लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि समाज में दलितों की स्थिति बेहतर करने व उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए भी लड़ाई लड़ी। दलित आंदोलन किया। छुआछूत के खिलाफ जबरदस्त आवाज उठाई।
उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया, यही वजह है कि पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है।
उन्होंने कभी मांस न खाने और झूठ न बोलने का संकल्प लिया। सत्य उनका जीवन का सबसे बड़ा मौलिक गुण था। उनका जीवन सत्य और अहिंसा के नैतिक मूल्यों पर आधारित था। बापू कहते थे कि बार बार निश्चय को बदलना नहीं चाहिए, इससे मन कमजोर होता है। बापू के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे। आने वाले समय में वैश्विक समस्याओं से निपटने में गांधी दर्शन व उनके विचार और ज्यादा प्रासंगिक होंगे। आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रण लेना चाहिए।
जय हिंद। जय भारत। भारत माता की जय।
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