Hindi Newsकरियर न्यूज़Gandhi Jayanti Essay : easy and short essay on Gandhi Jayanti 2 October mahatma gandhi use it in speech also

Gandhi Jayanti Essay : महात्मा गांधी जयंती पर निबंध, आसानी से हो जाएगा याद

  • Gandhi Jayanti Essay : गांधी जयंती स्कूलों में भाषण देने व निबंध लिखने को कहा जाता है। हम यहां गांधी जयंती पर निबंध का एक उदाहरण दे रहे हैं जिसे देकर आप कंपीटिशन में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। आप चाहें तो नीचे दी गई लाइनें स्पीच ( Gandhi Jayanti Speech ) में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 1 Oct 2024 07:21 AM
share Share

Gandhi Jayanti Essay : हर वर्ष देश में 2 अक्टूबर का दिन सत्य के साधक महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बापू के योगदान को याद करने का दिन है। 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उन्हीं के विचारों के सम्मान में 2 अक्टूबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह इस दिन को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। गांधी जी ने दिखाया कि हथियार के बिना भी कोई बड़ा आंदोलन हो सकता है। उन्होंने सिर्फ बताया नहीं बल्कि बिना शस्त्र के क्रांति लाकर दिखाई। उनके नेतृत्व में कई जनआंदोलन खड़े हुए और आजादी की लड़ाई को तेज धार मिली।

बिना हथियार उठाए कैसे अपना हक हासिल किया जा सकता है, इसकी उन्होंने दुनिया भर के सामने शानदार मिसाल दी। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में वाद-विवाद, भाषण और निबंध लेखन जैसे प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। हम यहां गांधी जयंती पर निबंध का एक उदाहरण दे रहे हैं जिसे देकर आप कंपीटिशन में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। आप चाहें तो नीचे दी गई लाइनें स्पीच ( Gandhi Jayanti Speech ) में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

Gandhi Jayanti Essay : गांधी जयंती पर निबंध

हर वर्ष 2 अक्टूबर का दिन भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के तौर पर मनाया जाता है। न सिर्फ पूरे हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया के कई देशों में गांधी जयंती मनाई जाती है। गांधी के अहिंसा और सत्य के सिद्धांत का लोहा पूरी दुनिया ने माना, यही वजह है कि पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी की दुनिया भर में लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि गांधीजी अकेले ऐसे महापुरुष हैं जिनकी प्रतिमा सबसे अधिक देशों में हैं। उनकी मूर्तियां भारत के अलावा पाकिस्‍तान, चीन, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, अफ्रीकी देशों और जर्मनी सहित 84 देशों में लगी हुई हैं। रूस और कम्‍यूनिस्‍ट देश चीन तक में उनकी मूर्तियां स्थापित हैं। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी विश्वप्रसिद्ध प्रभावशाली हस्तियां गांधी व उनके विचारों से प्रभावित थे। ब्रांड गांधी आज भी भारत की सबसे मजबूत नुमाइंदगी करता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। आगे चलकर लोगों के बीच वह बापू के नाम से पुकारे जाने लगे। बापू ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई। महात्मा गांधी की महानता, उनके कार्यों व विचारों के कारण ही 2 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है।

 

वकील से आजादी के महानायक की ओर

महात्मा गांधी ने लंदन में कानून की पढ़ाई की थी। लॉ की डिग्री लेने के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका जाकर वकालत का काम किया। गांधी जी के इस निर्णय ने उनके राजनीतिक जीवन को काफी प्रभावित किया। दक्षिण अफ्रीका में गांधी ने अश्वेतों और भारतीयों के प्रति नस्लीय भेदभाव को महसूस किया। उन्हें कई अवसरों पर अपमान का सामना करना पड़ा जिसके कारण उन्होंने नस्लीय भेदभाव से लड़ने का निर्णय लिया।

साउथ अफ्रीका में अंग्रेजों की नस्लवादी नीति के खिलाफ पुरजोर ढंग से आवाज उठाने के कारण गांधी जी की छवि एक राष्ट्रवादी की हो चुकी थी। इसके बाद वे स्वदेश लौटे और पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किए। वह हमेशा लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे। चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन उनके कुछ प्रमुख आंदोलन ने जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया। 

यह बात सही है कि गांधी जी भारत की आजादी की लड़ाई में 1915 से सक्रिय हुए। और आजादी की जंग उसके कई दशकों पहले से चल रही थी। लेकिन गांधी जी की एंट्री ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जबरदस्त जान फूंकी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी भूमिका ने भारतीय समाज और राष्ट्रीयता को नए सिरे से गढ़ने में मदद की। उनकी अहिंसक नीतियों और नैतिक आधारों ने और अधिक लोगों को आंदोलन से जोड़ा।

गांधी जयंती पर आसान भाषण

समाज सुधारक के तौर पर भी अहम भूमिका

गांधीजी ने न सिर्फ आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई बल्कि समाज सुधार के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त छुआछूत जैसी बुराइयों के प्रति लगातार आवाज उठाई। वो चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगों को बराबरी का दर्जा हासिल हो क्योंकि सभी को एक ही ईश्वर ने बनाया है। उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। नारी सशक्तीकरण के लिए भी वह हमेशा प्रयासरत रहे।  उन्होंने सभी धर्मों को एकसमान मानने, सभी भाषाओं का सम्मान करने, पुरुषों और महिलाओं को बराबर का दर्जा देने और दलितों-गैर दलितों के बीच की युगों से चली आ रही खाई को पाटने पर जोर दिया।

 

कैसे होगी महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि

गांधी जी ने संपूर्ण सत्य यानी मन, वचन, कर्म को अपने जीवन में उतार लिया था। उन्होंने धर्म, कर्म, राजनीति, अर्थनीति और परिवार हर जगह सत्य के प्रयोग किए और साबित किया कि सत्य से बढ़कर कुछ नहीं है। महात्मा गांधी के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे। आज गांधी जयंती पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके बताए शांति, अहिंसा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे आदर्शों पर चलेंगे। उनके विचारों को जीवन में उतारेंगे। ऐसा करके ही उनके सपने पूरे होंगे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें