Election Update: 543 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में होगा मतदान
निर्वाचन आयोग ने 10 मार्च 2019 को लोकसभा चुनाव 2019 तिथियां घोषित करते हुए चुनावी बिगुल फूंक दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव 10 चरणों में हुए थे। जानें 29...
निर्वाचन आयोग ने 10 मार्च 2019 को लोकसभा चुनाव 2019 तिथियां घोषित करते हुए चुनावी बिगुल फूंक दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव 10 चरणों में हुए थे। जानें 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में राज्यवार सीटों का हाल और चुनाव से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां-
2014 के लोकसभा चुनाव के अनुसार, राज्यवार और पार्टीवाइज सीटों का विवरण-
राज्य और सीटें-----भाजपा+----कांग्रेस+----अन्य
आंध्रप्रदेश (42)------19----------1----------22
अरुणाचल प्रदेश(2)---1-----------1 (नोट- तेलंगाना की 15 सीटें भी इसमें शामिल हैं)
असम (14)------------7----------3----------4
बिहार (40)-----------32---------6----------2
चंडीगढ़ (1)-----------1
छत्तीसगढ़ (11)--------10---------1
दिल्ली (7)------------7
गुजरात (26)--------26
गोवा (2)--------------2
हरियाणा (10)--------7-----------1----------2
हिमाचल प्रदेश(4)------4
जम्मू कश्मीर(6)------2----------4
झारखंड (14)---------13----------1
कर्नाटक (28)---------17---------9--------2
केरल (20)------------8---------12------0
मध्य प्रदेश (29)------27-------2
महाराष्ट्र (48) ------43------5
उत्तर प्रदेश (80)-------73------02--------05
उत्तराखंड 5-------------5
राजस्थान(25)---------25
पंजाब(13)-------------6--------3-------4
ओड़िशा(21)------------2-------------19-------0
तमिलनाडु(39)---------2----------37-------0
पश्चिम बंगाल(42)--------2----34टीएमसी----6
सिक्किम(1)------00----------00---------1
त्रिपुरा(2)------00-------------00----------2
मणिपुर(2)---00--------------00-----------1
मेघालय(2)----00------------00-----------1
मिजोरम(2)
नगालैंड(1)----00----00---1
अंडमान निकोबार(1)---1
दादरा नगर हवेली(1)---1
दमन दीव(1)------1
लक्ष्यद्वीप(1)-------0-----1
पुडुचेरी(1)--------0-----1
इवीएम का इस्तेमाल और चुनाव-
1999 के आम चुनावों से पहले मतदान पारंपरिक और पुराने तरीके यानी बैलट पेपर से कराए जाते थे। चूंकि बैलट पेपर से चुनाव कराना एक ज्यादा समय लेने वाली और थकाऊ प्रक्रिया थी। चुनाव परिणाम घोषित करने के लिए मतपत्रों की गिनती की जाती थी जिसमें काफी ज्यादा समय लगता था। इतना ही नहीं कई बार तो मतपत्र और मतपेटियां लूटने की घटनाएं भी सामने आती रहती थीं।
2004 से शुरू हुआ ईवीएम का इस्तेमाल-
ऐसे में चुनावों को आसान बनाने के लिए इसमें मशीनों का इस्तेमाल शुरू किया गया। प्राप्त सूचना के अनुसार, भारत में ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार 1982 में केरल के परूर विधानसभा में 50 मतदान केंद्रों पर हुआ। 1999 के चुनावों में आंशिक रूप से ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का इस्तेमाल शुरू हुआ। 2004 के आम चुनावों से ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से शुरू हुआ। भारत में ईवीएम की डिजाइन और उनका उत्पादन भारत इलक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने मिलकर तैयार किया।
ईवीएम की कानूनी वैधता-
ईवीएम के इस्तेमाल की कानूनी मान्यता की बात करें तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में 1988 में संशोधन कर नई धारा 61ए जोड़ी गई जिसके जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया। एक ईवीएम मशीन में अधिकतम चार बैलट यूनिट जोड़ी जा सकती हैं। एक बैलट यूनिट में 16 प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह होते हैं। इस प्रकार ईवीएम में एक क्षेत्र के अधिकतम 64 प्रत्याशियों के लिए मतदान कराया जा सकता है। प्रत्याशियों की संख्या इससे अधिक होने पर बैलट पेपर पर चुनाव कराया जा सकता है।
वीवीपैट क्या है?
वीवीपैट यानी वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएट) के तहत मतदान करने के बाद एक पर्ची निकलती है जो मतदाता को मिलती है। इस पर्ची में जिस उम्मीदवारों को वोट दिया गया है उसकी पार्टी का नाम चुनाव चिन्ह और प्रत्याशी के नाम आदि की सूचना अंकित होती है। यह पर्ची एक प्रकार से मतदाता के मतदान का प्रमाण है। ईवीएम से वोटों की गितनी पर विवाद होने पर इन पर्चियों का मिलान इलेक्ट्रॉनिक वोटों से किया जा सकता है।
वीवीपैट का इस्तेमाल पहली बार सितंबर 2013 में नागालैंड के चुनाव में हुआ था। वीवीपैट का ईवीएम के साथ इस्तेमाल नागालैंड की नोकसेन विधानसभा में किया गया था।
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