DU : लड़की ने डीयू कैंपस की दीवार पर लिखा- NTA भंग करो, 6 महीने के लिए हुई सस्पेंड
- डीयू ने एक छात्रा को कैंपस की दीवार पर कथित रूप से 'एनटीए भंग करो'लिखने के कारण छह महीने के लिए निष्कासित कर दिया गया है
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने एक छात्रा को कैंपस की दीवार पर कथित रूप से 'एनटीए भंग करो'लिखने के कारण छह महीने के लिए निष्कासित कर दिया गया है। एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गई। आरोपी छात्रा को इससे पहले दो महीने के लिए निलंबित किया गया था। दिशा छात्र संगठन की सदस्य और स्लावी एवं फिन्नो-उग्रियाई अध्ययन विभाग में रशियन लेंग्वेज की पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्रा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उस पर डीयू के नॉर्थ कैंपस की दीवार पर नारा लिखने का आरोप है।
विभाग ने 21 अगस्त को उसे निलंबित कर दिया था, क्योंकि प्राथमिकी में कहा गया था कि छात्रा को 31 जुलाई को यह हरकत करते हुए पकड़ा गया था।
निलंबन आदेश में कहा गया है, 'जैसा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर द्वारा सूचित किया गया है, आपको डीयू के स्लावी एवं फिन्नो-उग्रियाई अध्ययन विभाग से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है, क्योंकि विश्वविद्यालय को मौरिस नगर पुलिस थाना से प्राथमिकी की एक प्रति प्राप्त हुई है, जिसमें कहा गया है कि आपको 31.07.2024 को विश्वविद्यालय की दीवारों पर आपत्तिजनक नारे लिखते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था।'
आदेश में कहा गया कि सोमवार को विश्वविद्यालय ने जांच समिति के निष्कर्षों के आधार पर निष्कासन आदेश जारी किया, जिसमें उसे कदाचार का दोषी पाया गया तथा तत्काल प्रभाव से छह महीने के लिए निष्कासित कर दिया गया।
इसमें कहा गया कि निष्कासन की अवधि के दौरान उसे कक्षाओं में उपस्थित होने, परीक्षा देने या किसी भी संस्थागत गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
दिशा छात्र संगठन ने इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि छात्रा की ओर से लिखा नारा कथित परीक्षा अनियमितताओं, प्रश्पत्र लीक और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की गलतियों के खिलाफ एक राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा था। संगठन ने एक बयान में डीयू पर असहमति को दबाने का आरोप लगाया और कहा कि उसने इस फैसले के संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली उच्च न्यायालय से संपर्क किया है।
संगठन के सदस्यों ने मंगलवार को उत्तरी परिसर के कला संकाय में विरोध प्रदर्शन किया और छात्रा के निष्कासन को अन्यायपूर्ण बताया। इस पूरे प्रकरण पर डीयू प्रशासन से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
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