Hindi Newsकरियर न्यूज़CAPF SSB Constable Vacancy : 6 weeks after pregnancy short to achieve fitness said Delhi High court

CAPF कांस्टेबल भर्ती: गर्भवती महिला के लिए डिलिवरी के बाद फिटनेस पाने के लिए 6 हफ्ते का समय कम, कोर्ट ने दिया एक और मौका

  • कोर्ट ने कहा है कि सीएपीएफ कांस्टेबल भर्ती के लिए मेडिकल जांच के समय गर्भवती महिला उम्मीदवारों को डिलिवरी के बाद मांग गई फिटनेस हासिल करने के लिए दिया जाने वाला छह सप्ताह का वक्त बेहद कम है। कोर्ट ने महिला को एक और मौका दिया है।

Pankaj Vijay भाषाSat, 14 Sep 2024 10:12 AM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में भर्ती के लिए चिकित्सा जांच के समय गर्भवती महिला उम्मीदवारों को प्रसव के बाद अपेक्षित फिटनेस हासिल करने के लिए दिया जाने वाला छह सप्ताह का वक्त बेहद कम है। अदालत ने अधिकारियों से यह भी कहा है कि वे इस मामले में उचित समय देने के प्रावधान की पड़ताल करें। उच्च न्यायालय ने कहा कि गर्भवती महिला उम्मीदवार के लिए अपनी पूरी मेडिकल फिटनेस हासिल करना और गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान बढ़े वजन को छह सप्ताह के भीतर कम करना संभव नहीं हो सकता है।

अदालत को बताया गया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स में भर्ती चिकित्सा जांच के दिशा-निर्देशों के पैराग्राफ 5.3 के अनुसार, यदि गर्भावस्था से संबंधित मूत्र परीक्षण सकारात्मक है, तो उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और प्रसव के छह सप्ताह बाद फिर से जांच की जाएगी, बशर्ते पंजीकृत चिकित्सक से फिटनेस का चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ ने कहा, ''गर्भावस्था के बाद महिला उम्मीदवार को अपनी चिकित्सा फिटनेस हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए दिशानिर्देशों के तहत परिकल्पित छह सप्ताह की यह अवधि, हमारी सुविचारित राय में, अत्यंत कम है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान वजन हासिल कर चुकी गर्भवती महिला उम्मीदवार के लिए छह सप्ताह के भीतर अपनी पूर्ण चिकित्सा फिटनेस हासिल करना और वजन कम करना हमेशा संभव नहीं हो सकता है। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत भी ड्यूटी से अनुपस्थिति की लंबी अवधि की परिकल्पना की गई है।''

न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों को चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श से दिशानिर्देशों के इस प्रावधान की जांच करने का निर्देश दिया, ताकि ऐसे महिलाओं को पर्याप्त वक्त प्रदान करने पर विचार किया जा सके, जिसके भीतर एक महिला उम्मीदवार को गर्भावस्था के बाद अपनी चिकित्सा फिटनेस हासिल करने की आवश्यकता होती है।

एसएसबी कांस्टेबल (धोबी) पद के लिए किया था आवेदन

अदालत उस महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के तहत सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में कांस्टेबल (धोबी) के रूप में शामिल होना चाहती थी, लेकिन उसे 'अधिक वजन' के आधार पर चिकित्सकीय रूप से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

महिला का मामला यह था कि लिखित परीक्षा पास करने के बाद, वह अपनी गर्भावस्था के अंतिम चरण में मेडिकल जांच के लिए उपस्थित हुई। उसकी मेडिकल जांच स्थगित कर दी गई और उसे प्रसव के बाद परीक्षा में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।

25 बीएमआई के नियम से अधिक मिला बीएमआई

याचिका में कहा गया है कि जब महिला प्रसव के बमुश्किल चार महीने बाद मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश हुई, तो उसे अधिक वजन के आधार पर 'अनफिट' घोषित कर दिया गया और मेडिकल बोर्ड की समीक्षा में भी उसे 'अयोग्य' घोषित किया गया, क्योंकि उसका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25.3 पाया गया, जो सीएपीएफ में नियुक्ति के लिए निर्धारित स्वीकार्य सीमा 25 से अधिक था।

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निष्कर्षों से असंतुष्ट होने पर उसने ग्वालियर के एक सरकारी अस्पताल का रुख किया, जहां उसका बीएमआई 24.8 पाया गया, लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद उसने राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

 

पीठ ने कहा कि हालांकि उसके पास अधिकारियों के इस कथन पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि चयन प्रक्रिया के दौरान महिला का बीएमआई 25 से अधिक पाया गया था, लेकिन इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि संबंधित उम्मीदवार ने मेडिकल जांच से बमुश्किल चार महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया था और वह नये मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच के लिए एक और अवसर दिए जाने की हकदार है।

 

अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर नये मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की जाए तथा यदि उसका बीएमआई 25 से कम पाया जाता है, तो उसे चार सप्ताह के भीतर कांस्टेबल (धोबी) के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

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