BAMS, BHMS : आयुष कोर्स के 2021 बैच से लागू होगा NEXT एग्जाम, फाइनल ईयर व इंटर्नशिप में भी दे सकेंगे
- केंद्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा कि आयुष पद्धति के डॉक्टर की पात्रता प्राप्त करने के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) परीक्षा का प्रावधान शैक्षिक सत्र वर्ष 2021-22 बैच तथा उसके बाद से लागू किया जाएगा।
केंद्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने गुरुवार को कहा कि आयुष पद्धति के डॉक्टर की पात्रता प्राप्त करने के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) परीक्षा का प्रावधान शैक्षिक सत्र वर्ष 2021-22 बैच तथा उसके बाद से लागू किया जाएगा। जाधव ने नई दिल्ली में कहा कि नेक्स्ट परीक्षा पर गठित समिति की इन सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि समिति की मुख्य सिफारिश के तहत नेक्स्ट परीक्षा के प्रावधान स्टूडेंट्स के लिए शैक्षिक सत्र 2021-22 और उसके बाद से लागू किया जाना चाहिए जिससे छात्रों की प्रमुख चिंता और शिकायत दूर हो जाएगी। इसके अलावा समिति ने यह भी सिफारिश की है कि दोनों आयोग निगेटिव मार्किंग के प्रावधान पर फिर से विचार करेंगे और साथ ही साथ अंडर ग्रेजुएट विद्यार्थियों को उनके अंतिम वर्ष में तथा इंटर्नशिप करने की अवधि के दौरान भी नेक्स्ट की परीक्षा को दे सकेंगे जिससे उन्हें इसे पास करने के लिए पर्याप्त अवसर मिल सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार ने समिति की ये दोनों सिफारिशें स्वीकार कर ली है और आयोग को समुचित निर्देश दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे भरोसा है कि देशभर में आयुष कॉलेजों के आंदोलन कर छात्रों के लिए यह एक राहत भरी खबर है और उनकी समस्या का समाधान है।'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार देश में अच्छी गुणवत्ता की आयुष शिक्षा का तंत्र विकसित करना चाहती है। इसके लिए देश भर के सरकारी और निजी कॉलेजों में भी शिक्षा की गुणवत्ता को उच्च स्तर पर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।
सरकार ने नेक्स्ट परीक्षा उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता लागू करने के संबंध में अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की थी जिनमें कहा गया था कि अधिसूचना जारी करने की तिथि के बाद से सभी आयुष शिक्षा के स्नातक इंटर्न स्टूडेंट्स को डिग्री लेने के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। इस अधिसूचना के बाद से देश भर के अंडरग्रैजुएट छात्र आंदोलन कर रहे थे।
इस मामले पर विचार करने के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था जिसके अध्यक्ष राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा थे। इसमें राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग और राष्ट्रीय भारतीय चिकत्सिा पद्धति आयोग के साथ-साथ देश के कई वरिष्ठ विशेषज्ञ और छात्रों के दो प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया था।
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