Hindi Newsकरियर न्यूज़25 lakh children of Bihar will appear for 5th to 8th class examination on the lines of board exam

बिहार के 25 लाख बच्चे बोर्ड की तर्ज पर देंगे 5वीं-8वीं की परीक्षा

  • पांचवीं या आठवीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले बच्चों को परीक्षा के परिणाम की घोषणा होने के तारीख से दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाएगा।

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, स्वाति आनंदMon, 6 Jan 2025 07:07 AM
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Bihar Board Class 5th to 8th Exam 2025: पांचवीं और आठवीं में अध्ययरत बिहार के करीब 25 लाख बच्चे की परीक्षा बोर्ड की तर्ज पर होगी। वजह है नो डिटेंशन पॉलिसी को हटा देना यानी अब बच्चे का प्रदर्शन खराब रहा तो उसे उसी कक्षा में रोका जा सकता है। इस बाबत स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में अधिसूचना जारी की।

अब ये बच्चे वार्षिक परीक्षा देंगे, लेकिन इसमें यदि फेल हुए तो उन्हें परिणाम की घोषणा के दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देनी होगी। पहले के नियम के अनुसार राज्य पर यह निर्भर करता था कि वह बच्चों को पास करेंगे या फेल। अब इस नियम का पालन केन्द्रीयकृत तरीके से होगा। स्कूलों में इसकी तैयारी हो रही है। सभी स्कूलों में शिक्षक नीतिगत तरीके से पढ़ाएंगे। हर राज्य शैक्षिक रिपोर्ट कार्ड सही हो इसके लिए यह किया गया है।

क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी

नो डिटेंशन पॉलिसी यानी किसी भी स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चे को उसकी प्रारंभिक शिक्षा आठवीं तक) पूरी करने तक किसी भी कक्षा में उसे नहीं रोका जाएगा। यह पॉलिसी हटने के बाद पांचवीं से आठवीं के विद्यार्थी यदि वार्षिक परीक्षा में फेल हो जाते हैं तो उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा, लेकिन उन्हें दो माह के अंदर फिर से परीक्षा देकर अपने प्रदर्शन में सुधार करने का एक और मौका मिलेगा।

परीक्षा में फेल तो दो माह के अंदर दोबारा परीक्षा

पांचवीं या आठवीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले बच्चों को परीक्षा के परिणाम की घोषणा होने के तारीख से दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। इसमें बच्चों की सक्षमता आधारित परीक्षा ली जाएगी। इसमें भी बच्चे यदि फेल होंगे तो उन्हें संबंधित कक्षा में रोका जाएगा। जो बच्चे फेल होंगे स्कूल उन बच्चों की सूची बनाएगा। ऐसे बच्चों की प्रगति की निगरानी स्कूल की ओर से की जाएगी। फेल होने के बाद भी स्कूल की ओर से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।

बच्चों की निगरानी के साथ अभिभावकों का भी मार्गदर्शन: केवी कंकड़बाग के शिक्षक अरुण कुमार ने कहा कि आठवीं तक जो बच्चे पढ़ाई में गंभीर नहीं होते थे, उन्हें गंभीर होना पड़ेगा। अभिभावकों को भी अपने बच्चे पर ध्यान देना होगा। अब कमजोर बच्चों की स्कूल में व्यक्तिगत रूप से निगरानी की जाएगी।

चूंकि अगर बच्चे फेल करते हैं और दोबारा भी फेल करते हैं तो ऐसे में शिक्षण पर सवाल उठेगा। इसलिए शिक्षक पहले से ही बच्चों पर ध्यान देंगे। इसके साथ ही शिक्षक भी ऐसे बच्चों के अभिभावक का मार्गदर्शन करेंगे। हमेशा अभिभावकों के संपर्क में रहेंगे। उन्हें नियमित बच्चों की पढ़ाई किस तरह कराई जानी है इसके लिए मार्गदर्शन करेंगे।

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