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भारतीय अमीर यहां खर्च करते हैं अपना पैसा? आम आदमी कर रहा कटौती

  • अमीरों का पैसा लग्जरी सामान, यात्रा, महंगे आवश्यक सामान, रियल एस्टेट और शादियों से संबंधित खर्च में खप रहा है। दिसंबर 2024 तिमाही में लॉन्च एक तिहाई से अधिक रियल एस्टेट परियोजनाओं की कीमत दो करोड़ से अधिक है।

Drigraj Madheshia मिंटThu, 21 Nov 2024 05:40 AM
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ऊंची ब्याज दरें, आरबीआई के तय दायरे से बाहर भागती मुद्रास्फीति की चर्चा जोरों पर है। विभिन्न मोर्चों पर उपभोक्ता अपने खर्च को संतुलित करने पर लगे हैं। यह भी खबरें आ रही हैं कि महंगाई से परेशान भारतीय उपभोक्ता कुछ मामलों में खर्च घटा रहे हैं। उनके इस कदम से कंपनियों को नुकसान हो रहा है। इन सबके बावजूद, अमीर भारतीय उपभोक्ताओं ने विभिन्न श्रेणियों पर खर्च जारी रखा है। मिंट ने देश के शहरी उपभोक्ताओं की मांग में आ रहे बदलाव पर बारीक नजर डाली है। आइये देखते हैं रिपोर्ट...

अमीरों का पैसा लग्जरी सामान, यात्रा, महंगे आवश्यक सामान, रियल एस्टेट और शादियों से संबंधित खर्च में खप रहा है। दिसंबर 2024 तिमाही में लॉन्च एक तिहाई से अधिक रियल एस्टेट परियोजनाओं की कीमत दो करोड़ से अधिक है। शादी के मौसम में 48 लाख शादियों से छह खरब का कारोबार होगा।

किन मदों में जा रहा इनका पैसा

बाजार की मंदी पर कंपनियों की राय

मारुति ने कहा कि पिछले महीने कारों की मांग काफी सुस्त रही। वह बिक्री बढ़ाने के लिए बड़ी छूट की योजना लाने की तैयारी कर रही है। कंपनी ग्रामीण इलाकों में प्रीमियम कारों की बिक्री को लेकर भी उम्मीद जता रही है। वहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने कहा है कि बड़े शहरों में बिक्री नीचे की ओर जा रही है।

यह गिरावट छोटे शहरों और ग्रामीण भारत से ज्यादा है। ब्रिटानिया ने कहा कि महानगरों में मंदी सबसे अधिक है, जबकि मैरिको ने कहा कि वह बिक्री बढ़ाने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी, ऑनलाइन बिक्री रणनीति में बदलाव और ग्रामीण बिक्री में सुधार पर काम करेगी।

प्रीमियम और शहरी ग्राहकों को खो रही हैं कंपनियां

उपभोक्ता कंपनियां उद्यम पूंजी की मदद से ऑनलाइन बिकने वाले ब्रॉन्ड की वजह से अपने प्रीमियम और शहरी ग्राहकों को खो रही हैं। इसके साथ ही नए जमाने की कंपनियों पर भी मंदी की मार पड़ रही है। ई-कॉमर्स सॉफ्टवेयर फर्म यूनिकॉमर्स ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि त्योहारी सीजन की मांग नरम रही है, खासकर त्योहार समाप्त होने के बाद।

इन जगहों पर भी खर्च

गुणवत्तापूर्ण परंतु महंगी स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पर जमकर खर्च हो रहा है। प्रति वर्ष य्सात लाख से अधिक की ट्यूशन फीस वाले हाई-एंड स्कूल, टियर-II और टियर-III शहरों में तेजी से बढ़ रहे हैं। इनमें कई स्कूल वैश्विक शिक्षा प्रणालियों जैसे इंटरनेशनल बैकलॉरिएट और यूके के आईजीसीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं।

कंज्यूमर सेक्टर की स्थिति

बढ़ती आय असमानता के साथ, अमीर शहरी उपभोक्ताओं ने उपभोक्ता अर्थव्यवस्था में असमान योगदान देना बंद कर दिया है। खर्च के पैटर्न में नाटकीय बदलाव से उपभोक्ता कंपनियों को नुकसान हो सकता है। हालांकि, यदि ग्रामीण मांग में सुधार जारी रहता है, तो बड़े पैमाने पर कम कीमत वाले उपभोग की वापसी से कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है।

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