Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़This bank customer will not be able to withdraw money from this bank for 6 months know why

6 महीने तक इस बैंक से पैसे नहीं निकाल पाएंगे ग्राहक, अगर बैंक डूबा तो ग्राहकों के पैसे का क्या, समझें पूरा मामला

  • मुंबई स्थित इस बैंक के 1.3 लाख डिपॉजिटर्स में 90 प्रतिशत से अधिक के खातों में पांच लाख रुपये तक जमा हैं। बता दें कि इस सहकारी बैंक की 28 शाखाओं में ज्यादातर मुंबई महानगर में हैं। गुजरात के सूरत में इसकी दो शाखाएं और पुणे में एक शाखा है।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानSun, 23 Feb 2025 05:52 PM
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6 महीने तक इस बैंक से पैसे नहीं निकाल पाएंगे ग्राहक, अगर बैंक डूबा तो ग्राहकों के पैसे का क्या, समझें पूरा मामला

New india cooperative bank: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों की टेंशन बढ़ गई है। अब वे बैंक में जमा अपने पैसे तक नहीं निकाल पा रहे हैं। बता दें कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार घाटे में चल रहे न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कई तरह के बैन लगाए हैं। इसमें डिपॉजिटर्स द्वारा पैसे निकालना भी शामिल है। रिजर्व बैंक के निर्देश के बाद न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को 13 फरवरी से कारोबार बंद होने से लागू हो गए थे और अगले छह महीने के लिए लागू रहेंगे। आरबीआई के बयान के मुताबिक, ''बैंक की मौजूदा नकदी स्थिति को देखते हुए निर्देश दिया गया है कि वह डिपॉजिटर्स के सेविंग्स या करंट अकाउंट या किसी अन्य खाते से किसी भी राशि की निकासी की अनुमति न दे।'' मुंबई स्थित इस बैंक के 1.3 लाख डिपॉजिटर्स में 90 प्रतिशत से अधिक के खातों में पांच लाख रुपये तक जमा हैं। बता दें कि इस सहकारी बैंक की 28 शाखाओं में ज्यादातर मुंबई महानगर में हैं। गुजरात के सूरत में इसकी दो शाखाएं और पुणे में एक शाखा है।

मामले में तेजी से एक्शन

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के खातों की जांच में कुछ खामियां पाई थी। आरबीआई ने पिछले शुक्रवार को एक साल के लिए बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था और कामकाज के मैनेजमेंट के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया। प्रशासक की मदद के लिए सलाहकारों की एक समिति भी नियुक्त की गई। इसके बाद मुंबई पुलिस ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक एवं लेखा प्रमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ 122 करोड़ रुपये के कथित गबन का मामला दर्ज किया। अब मुंबई की एक अदालत ने न्यू इंडिया सहकारी बैंक गबन मामले में मुख्य आरोपी हितेश मेहता की पुलिस हिरासत 28 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी। अदालत ने बैंक के पूर्व सीईओ अभिमन्यु भोआन को भी 28 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा मामले की जांच कर रही है। बैंक के महाप्रबंधक और अकाउंट विभाग के प्रमुख मेहता पर अलग-अलग समय पर बैंक की तिजोरी से 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का आरोप है।

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ग्राहकों के पैसे का क्या?

वर्तमान नियम के मुताबिक, अगर कोई बैंक डूब जाता है तो उसके ग्राहकों को जमा की गई राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है। ऐसे में अगर यह बैंक डूबता है तो ग्राहकों के 5 लाख रुपये सिक्योर रहेंगे। पिछले कुछ वर्षों में निक्षेप बीमा व प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ऐसे दावों का भुगतान करता रहा है। यह निकाय अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले ‘कवर’ के लिए बैंकों से प्रीमियम एकत्र करता है और अधिकतर दावे सहकारी बैंक के मामले में किए गए हैं। गौरतलब है कि कि पीएमसी बैंक घोटाले के बाद डीआईसीजीसी बीमा सीमा 2020 में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई थी। अब सरकार इस राशि को और बढ़ा सकती है।

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