टेक्नोलॉजी से बदलेगी देश की इकोनॉमी की तस्वीर, Ola के फाउंडर को ये है उम्मीद
- पिछले दस साल में भारत की GDP लगभग दोगुनी होकर 3.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई है। यह दिखाता है कि हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।
पिछले दस साल में भारत की GDP लगभग दोगुनी होकर 3.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई है। यह दिखाता है कि हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। हमारा लक्ष्य है कि साल 2047 तक भारत एक विकसित देश बने। अगर हम अपनी आर्थिक विकास दर को 8% से बढ़ाकर 12% कर लें, तो भारत 50 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। दुनिया भर में टेक्नोलॉजी तेजी से विकसित हो रही है, खासकर एआई (AI) और न्यू एनर्जी के क्षेत्र में। हमारे समकक्ष, खासकर चीन, नई तकनीकों में भारी निवेश कर रहे हैं, पारंपरिक उद्योगों में बदलाव ला रहे हैं और नए क्षेत्रों को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत को विकास और प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए, हमें एआई (AI) और नई ऊर्जा जैसी तकनीकों को प्राथमिकता देनी होगी। इससे हमारी पूरी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है। 1947 में हमने अपनी राजनीतिक आजादी पाई थी। 2047 में हमें अपनी तकनीकी आजादी हासिल करनी है। हमने अपनी तकनीकी उन्नति के लिए अपनी खुद की रणनीति बनानी होगी जो हमारी चुनौतियों का समाधान करे और हमें अपनी ताकत का फायदा मिले। तकनीक का यह उपयोग सिर्फ आर्थिक विकास के लिए नहीं,बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी होना चाहिए।
भारत के अपने AI स्टैक का विकास
भारत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक डिजिटल हो गई है, लेकिन कंप्यूटिंग में हमारी भागीदारी अभी भी बहुत कम है। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेवाओं में हमारी बड़ी सफलता के बावजूद, 30 ट्रिलियन डॉलर की ग्लोबल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में भारत का हिस्सा सिर्फ 1% है। हमारे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों ने एआई में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। उन्होंने एआई से जुड़े रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्चर और टैलेंट में सैकड़ों अरब डॉलर लगाए हैं। एआई के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भारत को डेटा, कंप्यूटिंग और एल्गोरिदम में अपनी विशेषज्ञता का फायदा उठाना चाहिए।
डेटा कोलोनाइजैशन
भारत दुनिया का 20% डेटा जेनरेट करता है, लेकिन हमारा 80% डेटा विदेशों में स्टोर किया जाता है, इसे AI में प्रोसेस किया जाता है और फिर डॉलर में भुगतान करके वापस आयात किया जाता है। यह 'डेटा कोलोनाइजैशन' ईस्ट इंडिया कंपनी के तौर-तरीकों की याद दिलाता है, जहां भारत के कच्चे माल का दोहन करके, उन्हें प्रसंस्कृत उत्पादों के रूप में महंगे दामों पर बेचा जाता था। आज, हमारे डिजिटल कच्चे माल यानी डेटा का इसी तरह से लाभ उठाया जा रहा है। हमें अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का उपयोग करके गोपनीयता-संरक्षित डेटासेट बनाने चाहिए ताकि इस ट्रेंड को बदला जा सके। हम अपनी DPI की सफलता (जैसे UPI, UIDAI, ONDC) पर आधारित होकर दुनिया की सबसे बड़ी ओपन-सोर्स AI बना सकते हैं, जो कि भारत के सिद्धांतों पर आधारित हो।
कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर
कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो, भारत में अभी सिर्फ 1GW डेटा सेंटर क्षमता है, जबकि दुनिया की कुल क्षमता 50 GW है। अगर हम इसी रफ्तार से आगे बढ़ते रहे तो 2030 तक भारत में 5 गीगावॉट डेटा सेंटर क्षमता होगी। जबकि अमेरिका में 70 गीगावॉट और चीन में 30 गीगावॉट डेटा सेंटर कैपेसिटी होगी। AI में लीडर बनने के लिए हमें तेजी से AI अपनाने, डेटा को भारत में ही रखने के नियम, ग्लोबल कंप्यूटिंग कंपनियों के लिए प्रोत्साहन और डेटा सेंटर्स के लिए PLI योजनाओं की जरूरत होगी। साल 2030 तक 50 गीगावॉट डेटा सेंटर की क्षमता पाने के लिए 200 बिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। यह एक बड़ा, लेकिन हासिल करने योग्य लक्ष्य है।
भारत सिलिकॉन डेवलपमेंट और डिजाइन टैलेंट के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। फिर भी, हमारे पास भारत में डिजाइन किए गए चिप की कमी है। हमें इंडस्ट्री की अगुवाई वाले चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स रिसर्च-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता है। भारत में 3 नैनोमीटर से कम के अत्याधुनिक प्रोसेस फैब्स को तेजी से स्थापित करना हमारे लिए एक भौगोलिक रणनीतिक अनिवार्यता है।
एल्गोरिदम पर आरएंडडी
जैसे-जैसे AI रिसर्च तेजी से नियंत्रित और निजी होता जा रहा है, भारत के पास AI अनुसंधान और विकास में ओपन इनोवेशन का ग्लोबल लीडर बनने का एक खास मौका है। हम इसे भारत में काम करने के लिए विश्व स्तरीय प्रतिभाओं और बेहतरीन वैज्ञानिकों को आकर्षित करके, अनुसंधान के लिए बड़े संसाधन प्रदान करके और AI अनुसंधान और विकास के लिए सरकारी प्रोत्साहन देकर हासिल कर सकते हैं। AI के लिए एक ग्लोबली लीडिंग ओपन इनोवेशन प्लेटफॉर्म बनाकर भारत खुद को AI एडवांसमेंट के अगुवा के रूप में पेश कर सकता है।
न्यू एनर्जी सप्लाई चेन्स
नई ऊर्जा के मानक, खासकर लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए, जीवाश्म ईंधन के खनन और शोधन से एडवांस्ड मैटीरियल साइंसेज की ओर बढ़ रहे हैं। यह बदलाव वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को बदल रहा है। भारत को इस बदलाव में सबसे आगे रहना चाहिए। न्यू एनर्जी का पूरा इकोसिस्टम तीन स्तंभों: रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन (RE), बैटरी स्टोरेज और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) पर टिका हुआ है।
रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन
भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता साल 2014 के 72 GW से बढ़कर 2023 में 175 GW से ज्यादा हो गई है। सोलर एनर्जी कैपेसिटी 3.8 GW से बढ़कर 88 GW से ज्यादा हो गई है। लेकिन, हम अब भी दुनिया के लीडर्स से पीछे हैं। साल 2023 में, चीन ने 215 GW सोलर एनर्जी क्षमता स्थापित की, जबकि भारत ने सिर्फ 8 GW। हमें 2030 तक 500 GW के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देना चाहिए।
बैटरी स्टोरेज
रिन्यूएबल एनर्जी को प्रभावी बनाने के लिए हमें इसे मजबूत बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस के साथ जोड़ना होगा। फिलहाल, हमारी बैटरी स्टोरेज प्रॉडक्शन क्षमता सिर्फ 2 GWh है, जबकि चीन की क्षमता 1700 GWh है।
अपने रिन्यूएबल एनर्जी ग्रिड को पावर देने और 100% इलेक्ट्रिक वाहनों के लक्ष्य को पाने के लिए, हमें 1000 GWh क्षमता का लक्ष्य रखना होगा। बैटरी स्टोरेज में यह बढ़त न केवल हमारे रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगी, बल्कि इसकी लागत कम करेगी और पूरे देश में एनर्जी की उपलब्धता को बेहतर बनाएगी।
ईवी सेक्टर
अगर इलेक्ट्रिक वाहनों की बात करें तो भारत में अभी प्रति 1000 लोगों पर 200 से भी कम इलेक्ट्रिक वाहन हैं। चीन के 30 मिलियन की तुलना में भारत में हर साल सिर्फ 2 मिलियन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बेचे जाते हैं। भारत को साल 2030 तक 50 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा ईवी बाजार बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह बदलाव हमारे पर्यावरण को स्वच्छ बनाएगा, उपभोक्ताओं की परिवहन लागत को कम करेगा और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को भी घटाएगा।
मौजूदा समय में सोलर प्रॉडक्शन, लिथियम सेल उत्पादन और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स मैन्युफैक्चरिंग जैसे न्यू एनर्जी इकोसिस्टम का 90% हिस्सा चीन में है। अपनी खुद की तकनीक और सप्लाई चेन बनाकर हम अपनी अर्थव्यवस्था को अधिक ऊर्जा कुशल बना सकते हैं और देश में लाखों नौकरियां पैदा कर सकते हैं।
भविष्य की तकनीकों में महारत हासिल करना ही भारत के लिए ग्लोबल लीडरशिप का रास्ता है। हमारा उद्देश्य पीछे रहना नहीं है, बल्कि अपने समकक्षों को पीछे छोड़कर AI और नई ऊर्जा के क्षेत्र में लीडर बनना है। यह भारत को दुनिया की सबसे तकनीकी रूप से उन्नत अर्थव्यवस्था में बदलने का मौका है। इससे देश में करोड़ों नई नौकरियां पैदा होंगी। इस लक्ष्य को पाने के लिए, हमें समाज के सभी हिस्सों से एकजुट प्रयास की जरूरत है। जिस तरह हर भारतीय ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई, उसी तरह अब हमारे तकनीकी भविष्य के निर्माण में हर नागरिक की भूमिका है। यह साहसिक कदम उठाने और बड़े सपने देखने का समय है। हमें अभी से काम शुरू करना होगा ताकि हम भविष्य का निर्माण कर सकें।
(भाविश अग्रवाल, ओला कैब्स के को-फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और ओला इलेक्ट्रिक के फाउंडर हैं।)
बजट 2024 जानेंHindi News , Business News की लेटेस्ट खबरें, इनकम टैक्स स्लैब Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।