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टाटा ग्रुप इस हॉस्पिटल में करेगा 500 करोड़ रुपये का निवेश, बदलने जा रही हैं सुविधाएं

  • टाटा ग्रुप हेल्थ सेक्टर में अपनी मौजूदगी को विस्तार देना चाहता है। समूह ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में 500 करोड़ रुपये निवेश करने जा रहा है। इससे इस बड़े हॉस्पिटल का इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा। टाटा ग्रुप हॉस्पिटल के लिए 14 सदस्यों वाले बोर्ड में तीन प्रतिनिधि को जोड़ने का फैसले किया है।

Tarun Pratap Singh लाइव हिन्दुस्तानWed, 19 Feb 2025 05:53 PM
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टाटा ग्रुप इस हॉस्पिटल में करेगा 500 करोड़ रुपये का निवेश, बदलने जा रही हैं सुविधाएं

टाटा ग्रुप हेल्थ सेक्टर में अपनी मौजूदगी को विस्तार देना चाहता है। समूह ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में 500 करोड़ रुपये निवेश करने जा रहा है। इससे इस बड़े हॉस्पिटल का इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा। 165 बिलियन डॉलर के मालिकाना हक वाले टाटा ग्रुप इस हॉस्पिटल को वित्तीय सहायता देती है। टाटा ग्रुप हॉस्पिटल के लिए 14 सदस्यों वाले बोर्ड में तीन प्रतिनिधि को जोड़ने का फैसले किया है।

बोर्ड में भी हो रहा है बदलाव

ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन दिग्गज बैंकर दीपक पारिख को रिप्लेस करेंगे। वो 1 अक्टूबर 2025 को ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के चेयरमैन के तौर पर जगह लेंगे। हॉस्पिटल के नाम में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, टाटा के नाम को कहीं किसी तरह से जोड़ा जा सकता है। संभावना है कि “Breach Candy, A Tata Sons Associate” नाम हो सकता है। यह फंडिंग इस हॉस्पिटल के इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने के लिए किया जा रहा है। इससे वहां टेक्नोलॉजी आदि को बेहतर किया जाएगा। जिससे मरीजों को अच्छी सुविधाएं मिल सकें।

यह टाटा ग्रुप का तीसरा हेल्थकेयर प्रोजेक्ट मुंबई में होगा। इससे पहले परेल में कैंसर के लिए रिसर्च एंड ट्रीटमेंट के लिए टाटा मेमोरियल सेंटरस, पिछले साल जानवरों के लिए महालक्ष्मी में एक हॉस्पिटल बनाया गया है।

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1946 में बना था ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल

यूरोपियन हॉस्पिटल ट्र्स्ट ने आजादी से पहले ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल की स्थापना की थी। 1946 में स्थापित हुए इस हॉस्पिटल में उस समय यूनिलीवर, फोब्स एंड क्रॉम्पटन ग्रीव्स ने पैसा लगाया था। बता दें, यह देश का पहला हॉस्पिटल था। जिसमें एमआरआई सुविधा आई थी। यह सुविधा 1998 से शुरू हो गई थी।

अटर बिहार वाजपेयी के घुटनों को ईलाज इसी हॉस्पिटल में किया गया था। वहीं, 1992 में अमिताभ बच्चन भी इसी हॉस्पिटल में एडमिट थे। धीरू भाई अंबानी अपने जीवन के आखिरी समय में इस हॉस्पिटल में रहे हैं। रतन टाटा को भी ईलाज के लिए अंतिम समय में इसी हॉस्पिटल में लाया गया था।

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