स्टील के आयात ने बढ़ाई टाटा की टेंशन, सरकार से मिला ये भरोसा
बता दें कि देश में स्टील का आयात, इसके निर्यात की तुलना में ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में भारत का स्टील आयात 4.6 लाख टन रहा है, जबकि निर्यात इसकी तुलना में कम यानी 2.4 लाख टन है।

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टीवी नरेंद्रन ने स्टील आयात को लेकर चिंता जाहिर की है। नरेंद्रन ने एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने भरोसा दिलाया है कि अगर आयात बढ़ता रहा, तो वह हस्तक्षेप करेगी। नरेंद्रन के मुताबिक मुझे लगता है कि यह थोड़ी चिंता की बात है क्योंकि चीन की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टील की कीमतें अभी भी थोड़ी नरम हैं।
नरेंद्रन का बयान ऐसे समय में आया है जब स्टील का आयात, इसके निर्यात की तुलना में ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में भारत का स्टील आयात 4.6 लाख टन रहा है, जबकि निर्यात इसकी तुलना में कम यानी 2.4 लाख टन है।
कार्बन कर स्वीकार नहीं: इस बीच, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने घरेलू उद्योग को भरोसा दिलाया कि भारत यूरोपीय संघ के कॉर्बन कर को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि यह अनुचित है। गोयल ने कहा कि भारत पहले ही यूरोपीय संघ और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कार्बन कर पर अपनी चिंता जता चुका है। आपको बता दें कि कॉर्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) या कार्बन कर (एक तरह का आयात शुल्क) एक जनवरी, 2026 से लागू होगा। लेकिन सात कॉर्बन गहन क्षेत्रों मसलन स्टील, सीमेंट, उर्वरक, एल्युमीनियम और हाइड्रोकॉर्बन उत्पाद से जुड़ी घरेलू कंपनियों को इस साल एक अक्टूबर से ही कॉर्बन उत्सर्जन के आंकड़ों को यूरोपीय संघ के साथ साझा करना है।
टाटा स्टील में विलय
आपको बता दें कि टाटा स्टील में सहायक कंपनियों के विलय की प्रक्रिया भी चल रही है। बीते दिनों नरेंद्रन ने बताया था कि सहायक कंपनियों का खुद में विलय 2023-24 में पूरा होने की उम्मीद है। टाटा स्टील में विलय होने वाली सहायक कंपनियों में टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स, द टिनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया, टाटा मेटालिक्स, टीआरएफ, इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स, टाटा स्टील माइनिंग और एसएंडटी माइनिंग कंपनी शामिल हैं।
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