Google की अर्जी पर ‘सुप्रीम’ सुनवाई आज, जानें क्यों लगी है ₹2,200 करोड़ की पेनाल्टी
गूगल (Google) ने अपनी याचिका में कहा है कि NCLAT उसे अंतरिम राहत देने से इनकार करने के परिणामों का आकलन करने में नाकाम रहा है। सीसीआई ने 2,200 करोड़ रुपये रुपये की पेनाल्टी लगाई है।
दिग्गज वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल ने एंड्रॉयड मोबाइल इकोसिस्टम में अपने वर्चस्व के दुरुपयोग पर आए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी के समक्ष दायर अपील पर सुनवाई करने में देरी को आधार बनाते हुए उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) से राहत की गुहार लगाई है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी 16 जनवरी को सुनवाई करेगा। बता दें, सीसीआई ने 2,200 करोड़ रुपये रुपये की पेनाल्टी लगाई है।
NCLAT ने भी नहीं दी राहत
गूगल ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) उसे अंतरिम राहत देने से इनकार करने के परिणामों का आकलन करने में नाकाम रहा है। कंपनी के मुताबिक, ''अंतरिम राहत नहीं मिलने पर उसे 14-15 वर्षों से कायम यथास्थिति में बदलाव करने होंगे और 19 जनवरी से उसे अपने समूचे कारोबारी मॉडल को भी बदलना होगा।'' गूगल की इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने वाली है। इसमें उसने सीसीआई के आदेश के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इनकार करने के एनसीएलएटी के कदम को चुनौती दी है।
क्या है मामला?
सीसीआई ने गत वर्ष अक्टूबर में गूगल पर प्रतिस्पर्धा को चोट पहुंचाने के आरोप का दोषी बताते हुए उसपर करीब 2,200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसमें से 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना 97 प्रतिशत मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली एंड्रॉयड प्रणाली के संदर्भ में अपने दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए लगाया गया था। वहीं, 936 करोड़ रुपये का जुर्माना प्ले स्टोर से जुड़ी नीतियों को लेकर लगााय गया था।
इस आदेश के खिलाफ गूगल ने एनसीएलएटी में अपील की थी लेकिन वहां से इसे कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। न्यायाधिकरण ने चार जनवरी को सीसीआई के आदेश पर स्थगन देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह अपील आदेश आने के दो महीने बाद 20 दिसंबर को की गई है।
हालांकि, गूगल ने इसे नकारते हुए अपनी याचिका में कहा है कि सीसीआई का आदेश 19 जनवरी, 2023 से प्रभावी होने वाला है और उसने इसके एक महीने पहले एनसीएलएटी में अपील कर दी थी। उसने कहा है कि अपील के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।
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