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SBI के करोड़ों ग्राहकों को झटका, अब लोन लेना हो जाएगा महंगा, चुकानी होगी पहले से ज्यादा EMI 

एमसीएलआर रेट में इस इजाफे के बाद आपके लिए बैंक से होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन लेना महंगा हो जाएगा। यानी अब आपको लोन लेने पर पहले से ज्यादा ईएमआई (EMI) का भुगतान करना होगा।

Ashutosh Kumar लाइव मिंट, नई दिल्लीWed, 15 Feb 2023 10:03 AM
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अगर आप बैंक से निकट भविष्य में होम लोन, पर्सनल लोन या ऑटो लोन लेने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए यह बुरी खबर है। बीते 8 फरवरी को आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट में एक बार फिर 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। रेपो रेट में इस इजाफे के बाद देश के कई बड़े प्राइवेट और सरकारी बैंकों ने अपने लेंडिंग रेट्स को बढ़ा दिया है। इसी क्रम में देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक एसबीआई (SBI) ने सभी समयावधि के लिए अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 10 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है।

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लोन लेने पर चुकानी होगी ज्यादा EMI 
एमसीएलआर रेट में इस इजाफे के बाद आपके लिए बैंक से होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन लेना महंगा हो जाएगा। यानी अब आपको लोन लेने पर पहले से ज्यादा ईएमआई (EMI) का भुगतान करना होगा। इसका सीधा–सीधा असर आम ग्राहकों के जेब पर पड़ेगा। बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार बढ़ी हुई नई ब्याज दरें 15 फरवरी से लागू हैं। आइए जानते हैं अलग-अलग समयावधि के लिए बैंक के नए एमसीएलआर रेट के बारे में।

बैंक के बढ़े हुए नए MCLR रेट
एसबीआई ने ओवरनाइट एमसीएलआर रेट को 10 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 7.85 पर्सेंट से 7.95 पर्सेंट, 1 महीने के लिए एमसीएलआर रेट 8 पर्सेंट से 8.10 पर्सेंट और 3 महीने के लिए एमसीएलआर रेट 8 पर्सेंट से 8.10 पर्सेंट कर दिया है। वहीं बैंक का 6 महीने के लिए एमसीएलआर रेट 10 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 8.30 पर्सेंट से 8.40 पर्सेंट, 1 साल के लिए एमसीएलआर 8.40 पर्सेंट से 8.50 पर्सेंट, 2 साल के लिए एमसीएलआर 8.50 पर्सेंट से 8.60 पर्सेंट और 3 साल के लिए एमसीएलआर 8.60 पर्सेंट से 8.70 पर्सेंट हो गया है।

इसे कहते हैं MCLR रेट
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) वह मिनिमम दर है जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन दे सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अलग-अलग तरह के लोन की ब्याज दरों को डिसाइड करने के लिए 2016 में एमसीएलआर रेट की शुरुआत की थी। एमसीएलआर रेट के बढ़ने या घटने से ही ग्राहकों की EMI तय होती है। यानी अगर एमसीएलआर रेट में बैंक कोई बढ़ोतरी करता है तो आपके लोन की ब्याज दरें बढ़ जाएंगी जबकि अगर बैंक एमसीएलआर रेट में कमी करेगा तो आपके लोन की ब्याज दरें कम हो जाएंगी।

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