Hindi Newsबिजनेस न्यूज़Sahara Journey desire for IPO and the story of downfall started now Sahara investors have returned fund - Business News India

IPO की चाहत ने खोल दिए कंपनी के सीक्रेट, अब मिल रहा निवेशकों का फंसा पैसा

सितंबर-अक्टूबर 2009 में सेबी के पास सहारा की कंपनियों के दस्तावेज पहुंचे। सेबी इन दस्तावेजों की जांच कर रहा था तभी सहारा की दो कंपनियों के खिलाफ शिकायतें पहुंच गईं।

Varsha Pathak वर्षा पाठक, नई दिल्लीTue, 8 Aug 2023 12:06 AM
share Share
पर्सनल लोन

Sahara Downfall Journey: सितंबर 2009, एक नई कंपनी ने सेबी को प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) के लिए आवेदन दिया। शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी के पास यह आवेदन देने वाली कंपनी सहारा समूह की 'सहारा प्राइम सिटी' थी। इसके अगले महीने यानी अक्तूबर 2009 में सहारा समूह की दो और कंपनियां- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाऊसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने भी कंपनी रजिस्ट्रार के पास आईपीओ (रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस) की अर्जी दी। एक साथ 3 आईपीओ के जरिए सहारा समूह शेयर बाजार में एंट्री करना चाहता था लेकिन किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यही फैसला समूह के पतन की कहानी लिख देगा। अब जब लंबे इंतजार के बाद सहारा समूह के निवेशकों को उनकी गाढ़ी कमाई मिलने लगी है तो एक बार फिर सहारा समूह के पतन की कहानी की याद आ जाती है।

सहारा की जर्नी
क्रिकेट मैदान पर टीम इंडिया की जर्सी हो या आसमान में उड़ती एयरलाइन या फिर पेज थ्री पार्टी, हर तरफ सहारा का जलवा था। सहारा ने रियल एस्टेट, मीडिया, एंटरटेनमेंट, एविएशन, होटल, फाइनेंस समेत कई बड़े सेक्टर में अपना मुकाम हासिल किया। इस दौरान ना सिर्फ ग्लैमर और सियासत की दुनिया में पैठ जमाई बल्कि छोटे-छोट शहरों तक पहुंच बनाई। सहारा ने उन लोगों को भी बचत करने की सीख दी, जो इसकी परवाह भी नहीं करते थे। छोटे-बड़े हर वर्ग को अपनी आकर्षक ब्याज दर और आसानी से निवेश करने के माध्यम की बदौलत बहुत कम समय में सहारा ने लोगों का भरोसा जीत लिया। अब सहारा समूह का सपना शेयर बाजार में एंट्री का था। इसी सपने को पूरा करने के लिए सहारा की तीन कंपनियों ने सेबी को आईपीओ के लिए अपने दस्तावेज दिए। आपको यहां बता दें कि किसी कंपनी की शेयर बाजार में लिस्टिंग होती है तो उसकी प्रक्रिया आईपीओ लाने की होती है। आईपीओ के जरिए कंपनी में आम लोगों को भी शेयरों को खरीदने का मौका मिलता। सहारा का मकसद भी इसी तरह बाजार में एंट्री का था लेकिन यहीं से मामला बिगड़ता चला गया।

एक्टिव मोड में आया SEBI
सितंबर-अक्टूबर 2009 में सेबी के पास सहारा की कंपनियों के दस्तावेज पहुंचे। सेबी इन दस्तावेजों की जांच कर रहा था तभी सहारा की दो कंपनियां सवालों के घेरे में आ गईं। इन शिकायतों में गैर-कानूनी तरीके से निवेशकों के साथ आर्थिक लेन-देन का जिक्र किया गया। इसके बाद सेबी एक्टिव मोड में आ गया और बाद की जांच में ये बात सामने आई कि सहारा समूह ने निवेशकों से धन जुटाने के लिए जो तरीका अपनाया उसके लिए सेबी की आज्ञा जरूरी था, जिसका पालन नहीं किया गया। सेबी ने आईपीओ पर रोक लगाई तो सहारा समूह से जवाब भी मांगा। जवाब से असंतुष्ट सेबी ने सहारा की दो कंपनियों से निवेशकों से जुटाए गए फंड वापस करने को कहा। यहीं से सहारा और सेबी के बीच तनातनी भी शुरू हो गई। यह मामला अलग-अलग अदालतों में गया लेकिन आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने भी सहारा से निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपए सेबी में जमा करवाने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा से इस राशि को तीन किस्तों में जमा करवाने का विकल्प दिया। हालांकि, सहारा तीनों किस्तें जमा कराने में असफल रहा तब सेबी ने सहारा समूह के बैंक खाते फ्रीज करने और जायदाद को जब्त करने के आदेश जारी किए। सेबी के बार-बार कहने के बावजूद सहारा ने आदेशों का पालन नहीं किया। एक बार फिर मामला सुप्रीम कोर्ट गया। इस बार सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ अपील की। इसके साथ ही देश छोड़कर जाने की इजाजत नहीं देने को कहा।

इस बीच, सहारा ने अपना पक्ष सामने रखने के लिए समय-समय पर अखबारों में विज्ञापन दिए। हर बार सहारा ने बताया कि उसके पास पर्याप्त फंड है और वह निवेशकों का पैसा लौटा देगी। कई बार सहारा के विज्ञापन में ये भी बताया गया कि सेबी और कोर्ट की पाबंदियों की वजह से वह पैसे नहीं लौटा पा रही है। सहारा के तमाम दावों के बावजूद निवेशकों का इंतजार जस का तस बना रहा। अब लंबे अरसे बाद सरकार ने सहारा में जमा पैसों को लौटाने की कवायद शुरू की है। 

यह भी पढ़ें- ₹1 के शेयर वाली कंपनी को मिला करोड़ों रुपये का ऑर्डर, शेयर खरीदने टूटे निवेशक, आज 12% चढ़ा भाव 
 
5000 करोड़ रुपये लौटाए जा रहे
बता दें कि सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 18 जुलाई को ‘सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल’ की शुरुआत की थी। सरकार ने मार्च में कहा था कि चार सहकारी समितियों के 10 करोड़ निवेशकों को उनका पैसा नौ माह में लौटा दिया जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सहारा-सेबी रिफंड खाते से 5,000 करोड़ रुपये की राशि सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक (सीआरसीएस) के खाते में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। अब निवेशकों को पैसे मिलने लगे हैं।

 जानें Hindi News , Business News की लेटेस्ट खबरें, Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।

अगला लेखऐप पर पढ़ें