Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Ratan Tata dream is coming true at the age of 86 long pending pet project completed

रतन टाटा का सपना 86 साल की उम्र में होने जा रहा साकार, लंबे समय से लटका Pet प्रोजेक्ट हुआ पूरा

Ratan Tata Pet Project: 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटने के बाद वह इस पर काम शुरू कर सके। अब 12 साल बाद यानी 2024 में टाटा का सपना साकार होने की कगार पर है।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 Feb 2024 01:00 AM
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2024 में रतन टाटा का एक सपना साकार होने की कगार पर है। 86 साल की उम्र में उनका सपना पूरा होने जा रहा है। लंबे समय से लटके 'Pet' प्रोजेक्ट के रूप में मुंबई के लिए उनका पशु अस्पताल अब बनकर तैयार है। अस्पताल मार्च के पहले सप्ताह से काम करना शुरू कर देगा। 2.2 एकड़ में फैला और 165 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पशु अस्पताल में कुत्तों, बिल्लियों, खरगोशों और अन्य छोटे जानवरों के लिए 24x7 सुविधा रहेगी। 

महालक्ष्मी में टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल के उद्घाटन से पहले टीओआई के साथ इंटरव्यू में रतन टाटा ने कहा, "आज एक पालतू जानवर किसी के परिवार के सदस्य से अलग नहीं है। कई पेट्स के अभिभावक के रूप में मैं इस अस्पताल की जरूरत को समझता हूं।" टाटा ने कहा, "यह मेरा व्यक्तिगत सपना है कि शहर में एक अत्याधुनिक पशु स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए और अंततः इसे साकार होते देखकर मुझे खुशी हो रही है।"

अभी तक नहीं भूली एक घटना:अपने Pet को ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के लिए अमेरिका के मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में ले जाने से पहले उन्हें जिन कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ा था, उसे आज तक नहीं भूले। टाटा ने कहा, "लेकिन मुझे बहुत देर हो चुकी थी, और इसलिए उन्होंने कुत्ते के ज्वाइंट को एक पार्टिकुलर पोजीशन में जमा दिया गया। उस अनुभव ने मुझे यह देखने में सक्षम बनाया कि एक विश्व स्तरीय पशु अस्पताल क्या कर सकता है। " उन्होंने कहा कि अनुभव ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि मुंबई में भी एक ऐसा ही पशु अस्पताल होना चाहिए।

कब शुरू हुआ काम: 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटने के बाद वह इस पर काम शुरू कर सके। अब 12 साल बाद यानी 2024 में टाटा का सपना साकार होने की कगार पर है। यह पशु अस्पताल भारत के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक होगा। यह टाटा ट्रस्ट का नवीनतम रत्न होगा, जिसका संचालन खुद टाटा द्वारा किया जाएगा। इससे पहले ट्रस्ट ने भारत का पहला कैंसर देखभाल अस्पताल टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, एनसीपीए, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-बेंगलुरु का निर्माण किया है।

क्यों हुई देरी: शुरुआत में 2017 में राज्य सरकार के साथ भूमि सौदे के बाद नवी मुंबई के कलंबोली में योजना बनाई गई थी, टाटा ने अस्पताल को एक सेंट्रल लोकेशन पर ले जाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया, " यह पेट पैरेंट्स के लिए एक बड़ी बाधा हो सकती थी, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें इमरजेंसी सर्विस की जरूरत होती। इसे ध्यान में रखते हुए, जमीन के लिए सही जगह ढूंढना और पर्मिशन लेना भी देरी का एक कारण था।"

उन्होंने बताया , "कोविड के कारण इसमें और देरी हुई क्योंकि महालक्ष्मी में निर्माण को 3 महीने के बाद रोकना पड़ा। फिर हमें समझौतों, डॉक्यूमेंअेशन और कागजी कार्रवाई को फिर से व्यवस्थित करने में लगभग डेढ़ साल लग गए। जब तक हम सामान्य स्थिति में लौटे, स्टील, मैनपावर और कच्चे माल की उपलब्धता और महंगाई के कारण अस्पताल के खर्चों पर भी असर पड़ा।"

अस्पताल की सुविधाएं: ट्रस्ट ने अस्पताल की जमीन के लिए बीएमसी के साथ 30 साल का पट्टा समझौता किया है। यह परेल में बाई सकरबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स से कुछ ही दूरी पर है। ग्राउंड प्लस चार मंजिला टाटा अस्पताल की क्षमता 200 मरीजों की है। इसकी कमान ब्रिटिश डॉक्टर थॉमस हीथकोट के हाथ होगी।

अस्पताल ने ट्रेनिंग के लिए रॉयल वेटरनरी कॉलेज लंदन सहित पांच यूके पशु चिकित्सा स्कूलों के साथ समझौता किया है, जो छोटे जानवरों की देखभाल के साथ-साथ सर्जिकल, डायग्नोस्टिक और फार्मेसी सेवाएं प्रदान करेगा। इसमें एक डेडिकेटेड सर्विस भी होगी। इसे एक एनजीओ द्वारा चलाया जाएगा, जो पूरी तरह से आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए होगा।

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