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ग्राहकों के जमा पैसे से बैंक कर्मचारी ने की मौज, ऑनलाइन गेम में किए खर्च, अब बड़ा एक्शन

ग्राहकों की 52 करोड़ रुपए से अधिक की फिक्सड डिपॉजिट तोड़ने और उसका इस्तेमाल ऑनलाइन गेम खेलने के लिए करने के आरोप में पंजाब एंड सिंध बैंक के एक पूर्व अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई हुई है।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 21 Jan 2024 09:01 PM
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ग्राहकों की 52 करोड़ रुपए से अधिक की फिक्सड डिपॉजिट तोड़ने और उसका इस्तेमाल ऑनलाइन गेम खेलने के लिए करने के आरोप में पंजाब एंड सिंध बैंक (punjab and sind bank) के एक पूर्व अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई हुई है। केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी बयान के मुताबिक इस पूर्व अधिकारी की 2.56 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति और फिक्स्ड डिपॉजिट जब्त कर ली गई। 

क्या है मामला
यह मामला दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘नॉर्थ कैम्पस’ के खालसा कॉलेज परिसर स्थित बैंक की शाखा में कार्यरत बेदांशु शेखर मिश्रा का है। इस कर्मचारी को धोखाधड़ी के मामले में नवंबर 2022 में बैंक से निलंबित कर दिया गया था। ईडी के मुताबिक जांच में पाया गया कि बेदांशु शेखर मिश्रा ने अपने आधिकारिक पद का कथित दुरुपयोग किया और कई ग्राहकों की जानकारी के बिना उनकी एफडी अनधिकृत रूप से भुनाने के लिए अपनी और अन्य कर्मचारियों की ‘सिस्टम आईडी’ का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी की। एजेंसी ने दावा किया कि आरोपी ने केवल बैंक ही नहीं, बल्कि बैंक के खाताधारकों के साथ धोखाधड़ी, जालसाजी की और 52,99,53,698 रुपये की सार्वजनिक धन की हेराफेरी की।

ऑनलाइन गेम में लगा दिए पैसे
मिश्रा ने अपराध से अर्जित आय का इस्तेमाल विभिन्न ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइट पर मोनोपोली, पोकर, तीन पत्ती आदि जैसे ऑनलाइन गेम खेलने के लिए किया। एजेंसी ने कहा कि कथित अपराध से अर्जित आय मुख्य रूप से आरोपी द्वारा अलग-अलग व्यावसायिक संस्थाओं के विभिन्न चालू खातों के माध्यम से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ट्रांसफर की गई थी। एजेंसी ने कहा है कि जिन खातों में आरोपी द्वारा पैसे ट्रांसफर किए गए, उन्हें गेमिंग वेबसाइट/कंपनियों के मालिकों ने कमीशन के आधार पर उधार लिया था।

कब का है मामला
ईडी ने कहा कि आरोपी की 2.56 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और डिपॉजिट को कुर्क करने के लिए पीएमएलए के तहत एक अस्थायी आदेश जारी किया गया है। बता दें कि यह धोखाधड़ी 2021-22 के बीच हुई थी। धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दर्ज प्रवर्तन निदेशालय का यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से जुड़ा है।

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